बिहार में इस बार जो हिंदूमुसलिम दंगे हो रहे हैं वे उन इलाकों में भी हो रहे हैं जहां कभी नहीं हुए. यह भारतीय जनता पार्टी के कट्टरपंथी पंडावादियों की चाल है कि मुसलमानों के नाम पर कुछ दबंग हिंदुओं को उकसा कर उन्हें दलितों और अतिपिछड़ों को काबू में करने के लिए इस्तेमाल करा जा सके.

बिहार, पश्चिम बंगाल, ओडिशा के मुसलमानों में बहुत ही कम ऐसे हैं जिन के पुरखे 800 से 1000 साल पहले सिंध नदी की दूसरी तरफ से आए हों. यहां के मुसलमान ज्यादातर अछूत और शूद्र यानी पिछड़े हैं जिन्हें सदियों से पंडावादी राजाओं और गांवों के मुखियाओं ने गुलामों की तरह रखा था. जब मुसलमानों ने इन इलाकों पर राज करना शुरू किया तो ये मुसलिम बन कर अत्याचार से छूटे.

बंगलादेश इसी की देन है. अब जो करोड़ों मुसलमान इस इलाके में बचे हैं वे शूद्रों यानी पिछड़ों व अछूतों यानी दलितों के साथ के हैं, दोनों में आपसी गठजोड़ है. भारतीय जनता पार्टी उसे तोड़ना चाहती है. लालू प्रसाद यादव ने इन्हें जोड़ा था. इस से पहले गांधी और कांग्रेस ने इन्हें एक तरह से पटा कर रखा था.

नीतीश कुमार यह सब जानते हैं पर कांग्रेस और लालू प्रसाद यादव से उन की नहीं बनी इसलिए ज्यादातर भारतीय जनता पार्टी की गोद में बैठे रहे. अब तक उन की सुनी जाती थी पर अब पौराणिक राज दोबारा थोपने की जल्दबाजी में भगवाई चौधरी मुसलमानों पर हमले कर के उन्हें और दलितों को जता रहे हैं कि मान जाओ वरना तुम्हें तुम्हारे ही लोगों से पिटवा दिया जाएगा.

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