पत्नियों को सुप्रीम कोर्ट को शुक्रिया कहना चाहिए कि उस ने राष्ट्रीय व राज्य के राजमार्गों पर 500 मीटर तक शराब बेचने व परोसने पर रोक लगा दी ताकि लोग एक घूंट चढ़ा कर ड्राइविंग का मजा न ले सकें. ड्राइवरों को तो मजा आता था पर पत्नियों की जान सूखी रहती थी कि न जाने कब कहां कौन सी दुर्घटना शराब के नशे में हो जाए. देश में होने वाली लाखों सड़क मौतों के पीछे ज्यादातर शराब ही जिम्मेदार होती है.

ये राजमार्ग कई शहरों के बीच से भी गुजरते हैं और बहुत से बढि़या होटलों से ले कर रेस्तरां व ढाबे भी इन के पास बने हुए थे जहां दारू चढ़ाते लोगों को देखा जा सकता है. ज्यादातर मामलों में देखा गया है कि बेचारी औरतें चुप बैठी हैं और साथ के मर्द लंबी बातें करते रंगीन पानी के साथ पीए जा रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट ने झटके से देश भर की आधे से ज्यादा शराब की दुकानों को बंद करा दिया है. अब शराब पीने या खरीदने के लिए कम से कम 1 किलोमीटर अतिरिक्त जाना ही पड़ेगा और वह भी संकरी सड़कों पर.

शराब का नुकसान ज्यादातर आरतों को ही होता है चाहे उन्हें पतियों के पीने पर लंबीचौड़ी आपत्ति न हो और वे खुद भी 2-4 घूंट चढ़ा लेती हों. औरतों की घर की आय में तो सेंध लगती ही है, घर के कमाऊ जने का स्वास्थ्य खराब होने का डर भी बना रहता है. आजकल तो मांओं को यह भी चिंता होने लगी है कि बेटेबेटी पी पा कर पता नहीं क्या कर गुजरें. सड़कों के किनारे शराब बंद करने से शराब रुक नहीं जाएगी पर यह संदेश जरूर जाएगा कि शराब कुछ ऐसी चीज है जिस से न केवल दुर्घटना हो सकती है, उसे पाने के लिए मशक्कत भी करनी पड़ेगी. जैसे बंद जगहों पर सिगरेट की पाबंदी का असर यह हुआ है कि रेलों, होटलों, रेस्तराओं आदि में सिगरेट का धुआं नहीं दिखता वैसे ही शराब पर अंकुश असर दिखाएगा.

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