कांग्रेस नेता राहुल गांधी की कन्याकुमारी से दिल्ली तक हो चुकी सफल ‘भारत जोड़ो यात्रा’ की खिंचाई करने के लिए रविशंकर प्रसाद जैसे मंत्रीपद से फेंके गए भारतीय जनता पार्टी के नेता इस यात्रा पर टुकड़ेटुकड़े गैंग का साथ देने का आरोप लगा रहे हैं. यह बहुत पुरानी कला है जो पौराणिक साहित्य में भरी है कि जिस में अपने विरोधियों को तरहतरह के नाम दे कर बिना सिद्ध किए बदनाम किया जाता है.

भारत के इस टुकड़ेटुकड़े गैंग में हर उस जने को शामिल कर लिया गया है जिस ने भारतीय जनता पार्टी का कहीं विरोध किया. धर्म की राजनीति करने वाली भाजपा ने देश में मंदिरों बनाने के लिए मसजिदों को तोडऩे का अभियान चला रखा है, समाज को बांटने के लिए गौमांस का बहाना ले कर हिंदूमुसलिम सहयोग तोडऩे का अभियान चला रखा है, हिंदू औरतों का मनोबल तोडऩे के लिए उन्हें गुस्सैल पति से तलाक लेने की इच्छा पर अदालतों के चक्कर चलाने का अभियान चला रखा है. यही नहीं, उस ने छोटे व्यापारों की कमर तोडऩे के पहले नोटबंदी लागू की और फिर व्यापारियों पर जीएसटी की जटिलता थोप दी.

भारत में निर्माण हो रहा है तो मंदिरों का, घाटों का, चारधामों का या फिर 4-5 बड़े धन्ना सेठों का जो लाखों का कर्ज ले कर अपने व्यवसाय फैला रहे हैं और मध्यवर्गीय परिवारों के चल रहे व्यापारों की कमर तोड़ कर ताबड़तोड़ उन्हें खरीदे ले रहे हैं. केंद्र की मौजूदा भाजपाई भगवा सरकार की नीतियां अदालतों को तोडऩे में लगी है. इतना ही नहीं, इस सरकार की अग्निवीर योजना ने सेना की पक्की व टिकाऊ नौकरी की इच्छा को तोड़ डाला. सरकार के हाईवे प्रोजैक्टों ने खेतों को तोड़ डाला, शहरों की सडक़ें चौड़ी करने के नाम पर मकानों को तोड़ डाला.

जिस सरकार की निशानी बुलडोजर हो जो सिर्फ तोडऩे का काम करता है, बनाने का नहीं, वह सरकार किसी को टुकड़ेटुकड़े गैंग का नाम कैसे दे सकती है. नीच, पापी, रसातल में जाने वाले, दैत्य, तीखे दांतों वाले जैसे शब्दों के जो प्रयोग पुराणों में ऋषियों की मौजमस्ती में विघ्न डालने वालों के लिए इस्तेमाल किए गए है उन का आज महिमामंडन किया जा रहा है. मीडिया के माध्यम से संविधान के तोडऩे वालों को संविधान का रक्षक बताया जा रहा है. और वे अपने ऊपर रक्षक का दुशाला ओढ़े घूम रहे हैं. जबकि, जो संविधान के हकों को बनाए रखना चाहते हैं उन्हें टुकड़ेटुकड़े गैंग कहा जा रहा है.

देश के फाइबर को कोई तोड़ रहा है तो वे धार्मिक यात्राएं हैं जो हर गांवशहर में हर रोज अब आयोजित की जाने लगी हैं जिन के लिए चंदा जमा किया जाता है, लोगों को घरों से निकाला जाता है और औरतों को थालियां व कलश ले कर नंगेपैरों निकाला जाता है वह भी सब जाति, उपजाति, अपनेअपने इष्ट देवता के नाम पर. धर्मजाति के नाम पर दलितों को ही नहीं बल्कि पिछड़ों, अगड़ों को भी अलगअलग देवीदेवता दिए जा चुके हैं और उन से वहीं पूजा करने को कहा जाता है.

देश में गरीब और अमीर की खाई बढ़ रही है और दोनों के बीच पुल टूट रहे हैं. गरीब सेवाएं दे रहे हैं और गंदी बस्तियों में रहने को मजबूर हैं. अमीर कानूनों, नियमों और टैक्नोलौजी पर कब्जा कर के गरीबों को और ज्यादा तोड़ कर उन को अलगथलग कर के, बांट कर राज कर रहे हैं.

राहुल गांधी देश को जोडऩे की बात कर रहे हैं. कांग्रेस की इस यात्रा से बौखलाई भाजपा राहुल गांधी की खिल्ली उड़ाने की पूरी कोशिश कर रही है पर कहीं भी यह कहने की हिम्मत नहीं कर रही है कि बताओ, देश कहां टूटा है. वह यह सवाल उठाना ही नहीं चाहती क्योंकि फिर सवालों का जो दावानल निकलेगा उसे समझना मुश्किल है. धर्म हमेशा भक्तों से सुनने को कहता है, कुछ पूछने को नहीं; आदेशों का अनुसरण करने को कहता है, क्यों का जवाब नहीं देता. भाजपा और उस की सरकार भी यही करती है. यह सब इसलिए क्योंकि धर्म पर आधारित दुकानदारी, राजनीति, दरअसल, समाज को तोड़ कर ही सफल होती है. और भाजपा इसी विश्वास पर राजनीति करती है.

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