‘मूव ओवर लेडीज फौर पौट लक, नाऊ कम चीफ मिनिस्टर ऐंड हिज मिनिस्टर्स फौर पौट लक किट्टी.’ अब भोपाल में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पौट लक मंत्रिमंडल बैठक बुलाई जिस में सभी मंत्री घर से खाना लाए और सब ने आपस में शेयर किया. बजाय जनता को सिखाने का काम करते रहने के मंत्रियों का जनता से सीखने का यह एक अच्छा मामला रहा है.

मंत्रियों को एकदूसरे का खाना कैसा लगा, यह तो नहीं बता सकते पर अगर महिलाओं से पूछें तो उन्हें रेस्तराओं और कैटररों के खाने से घरों के खाने में कहीं ज्यादा स्वाद आता है. एक घरवाली के हाथ का स्वाद ही कुछ और होता है पर हमारे यहां किचन को नीचा देखा जाने लगा है.

इस की एक वजह यह भी है कि किचन की बनावट ही कुछ गलत होती है और रखरखाव खराब रहता है. आजकल कई बिल्डर किचन को विशेष ढंग से सजाने लगे हैं कि वह अलग लगे ही नहीं और बड़े मकानों में भी आम घर की सी लगे ताकि खाना पकाने में बोरियत न हो.

भोपाल का मंत्रिमंडल प्रयोग बहुत अच्छा है और उसे बोर्डरूमों में भी ले जाना चाहिए ताकि गंभीर चर्चा के साथ खाने के स्वाद की भी  चर्चा हो सके. हां, यह संभव है कि वैसे बहुत ही सुलझे जने की बीवी या कुक अनगढ़ हो और कह डाले कि या तो अधपका ले जाओ या फिर किसी रेस्तरां से खरीद कर ले जाओ. उस में मजा ही खत्म हो जाएगा.

सम्मिलित भोज सदियों से समाज को जोड़ने का काम करते रहे हैं. हां, विशिष्ट लोगों का अपना ग्रुप बन जाए जिस में वे औरों को न आने दें तो बात दूसरी. तब मुश्किल हो जाती है. सामूहिक भोज विभाजन की लकीर बन जाता है. रोटीबेटी का संबंध बनाने या न बनाने की गलत परंपरा वहीं से विकसित हुई है. यह समाज के हर हिस्से में फैली है.

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