पूरे देश में पानी का संकट  गहरा गया है, जो चिंता की बात है. महाराष्ट्र के लातूर जिले में जल संकट को दूर करने के लिए ट्रेन के जरीए पानी पहुंचाने की हालत से पानी के संकट को समझा जा सकता है. केवल लातूर ही नहीं, महाराष्ट्र, राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, ओडिशा, आंध्र प्रदेश और बिहार के बहुत से जिलों में पानी का संकट सिर चढ़ कर बोल रहा है. महाराष्ट्र के जल संकट को देखते हुए क्रिकेट की इंडियन प्रीमियर लीग के कई मैचों की जगह बदलने की मांग उठी और मामला कोर्ट तक जा पहुंचा. अदालत ने कहा कि मैच के दौरान लाखों लिटर पानी की बरबादी होती है. इस वजह से जिन शहरों में पानी का संकट है, वहां आईपीएल के मैच नहीं होंगे.

यह सच है कि आईपीएल मैचों के रुकने से जल संकट दूर नहीं होगा, पर इस फैसले से लोगों का ध्यान जल संकट की तरफ जाएगा और धीरेधीरे वे यह समझने में कामयाब होंगे कि पूरे देश में भी जल संकट आ सकता है. इस जल संकट को दूर करने के लिए अपनेअपने लैवल पर अलगअलग तरह के प्रयोग हो रहे हैं. महाराष्ट्र के पुणे में गरमी के दिनों में जल संकट से निबटने के लिए दफ्तर, होटल, रैस्टोरैंट में आने वालों को आधा गिलास पानी ही पीने के लिए दिया जाता है, जिस से पानी की बरबादी को रोका जा सके. पुणे नगरनिगम द्वारा इस तरह के आदेश जारी किए गए हैं.

जानलेवा होती गरमी

राजस्थान और महाराष्ट्र के कुछ गांव ऐसे हैं, जहां पानी लाने के लिए 25 से 30 किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है. इन गांवों में लड़कों की शादियां इसलिए नहीं होतीं, क्योंकि शादी के बाद औरतों को पानी लाने के लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ती है. भारत में जल संकट केवल पीने के पानी को ले कर ही नहीं है, बल्कि फसलों की सिंचाई के लिए भी पानी नहीं है. जिन जगहों पर पानी है, वहां जमीन के नीचे बोरिंग कर के पानी को बाहर निकाला जाता है. इस से बहुत सारा पानी बरबाद होता है. हमारे देश में प्यास लगने पर कुआं खोदने की कहावत पुरानी है. पानी की कमी के साथ भी ऐसा ही हो रहा है.  गरमी शुरू होते ही पानी की चिंता होने लगती है और कमज्यादा बरसात होते ही पानी की चिंता से पल्ला झाड़ लिया जाता है. गरमियों की शुरुआत में ही इस साल पारा 45 डिगरी के ऊपर पहुंच गया था. अप्रैल महीने में ही गरमी से 150 लोग अपनी जान गंवा चुके थे.

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