समाज कहीं का कहीं पहुंच गया हो, पर उसकी सोच जस की तस है. लोग अब भी चमत्कार में यकीन रखते है. केवल यकीन ही नहीं रखते उस यकीन को सच में बदलने के लिये हत्या जैसे बडे अपराध को करने से भी नहीं चूकते है. उत्तर प्रदेश की राजधनी लखनऊ से 30 किलोमीटर दूर इटौंजा में रहने वाले सर्वेश को बिना मेहनत के पैसा कमाने की धुन सवार रहती थी. उसकी मुलाकात कुम्हरांवा गांव के रहने वाले संतोष वाजपेई से हुई. संतोष ने सर्वेश को बताया कि वेदप्रकाश वाजपेई एक तांत्रिक है. अगर किसी आदमी को मारकर रस्सी से लटका दिया जाये तो वह रस्सी का वह फंदा वेद प्रकाश 5 लाख में बिकवा देते हैं. सर्वेश को यह धंधा चोखा लगा जिसमें 100 रूपये की रस्सी 5 लाख में बिक जाती हो.
संतोष ने सर्वेश की मुलाकात वेद प्रकाश के साथी पप्पू से भी कराई जो बक्शी का तालाब इलाके में तकिया मस्जिद के पास रहता था. सर्वेश इंटौजा में लाई चना की दुकान करता था. वहीं रहने वाला हसरत अली उसकी बहन से छेडछाड करता था. सर्वेश ने योजना बनाई की वह हसरत अली को मार कर रस्सी से लटका देगा. इससे उसे पैसा भी मिल जायेगा और हसरत अली को उसके किये कि सजा भी मिल जायेगी. सर्वेश को दोहरा लाभ दिखा. आनन फानन में सर्वेश ने अपना साथ देने वालों की टोली तैयार कर ली. इसमें तेज प्रताप और मनीष प्रमुख थे. यह सभी पढे लिखे नहीं थे. सर्वेश ने अपने सभी साथियों को 50-50 हजार देने का वादा भी किया. अपना खुद का बैंक में खाता भी खुलवा लिया.
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