19 जुलाई, 2014 को शाम करीब पौने 7 बजे नीरज के मोबाइल फोन पर उस के जीजा नितिन का फोन आया, जिस में उस ने बताया कि मेरा और पारुल के बीच झगड़ा हो गया है. अब हमारा सब कुछ खत्म हो गया है. इस के बाद फोन कट गया. इतना सुनते ही नीरज परेशान हो गया कि जीजा यह किस तरह की बातें कर रहे हैं. उस ने महसूस किया कि फोन करते समय जीजा की आवाज में घबराहट थी.

नीरज जानना चाहता था कि ऐसा क्या हो गया, जो उन्होंने इस तरह की बात कही. जानने के लिए उस ने नितिन को फोन लगाया, लेकिन किसी वजह से उन से उस की उस से बात नहीं हो सकी.

नितिन पत्नी पारुल और 4 साल की बेटी आयुषि के साथ नोएडा सेक्टर-120 स्थित प्रतीक लोरियल अपार्टमेंट के फ्लैट नंबर ई-402 में रहता था.

बात गंभीर थी, इसलिए नीरज ने यह बात अपने पिता सुरेंद्र कुमार को फोन कर के बता दी. सुरेंद्र कुमार धीपरवाड़ा, रेवाड़ी, हरियाणा में रहते थे. रेवाड़ी से नितिन का फ्लैट बहुत दूर था. जल्द फ्लैट पर पहुंचना उन के लिए असंभव था, इसलिए उन्होंने भी दामाद से बात करने के लिए कई बार फोन मिलाया. लेकिन किसी वजह से उन की बात नहीं हो सकी और न ही बेटी पारुल से कोई संपर्क हो सका.

सुरेंद्र कुमार भी इस बात की चिंता कर रहे थे कि बेटी और दामाद में से किसी का भी फोन क्यों नहीं लग रहा. नितिन ने नीरज से फोन पर जो शब्द कहे थे, उस से उन्हें अंदेशा हो रहा था कि कहीं उन लोगों के साथ कोई अनहोनी तो नहीं हो गई. इस तरह की तमाम आशंकाएं उन के मन में आ रही थीं.

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