सौजन्य: मनोहर कहानियां

3 बच्चों के पिता राहुल के संबंध न सिर्फ उस की साली ज्योति से थे, बल्कि ससुराल की संपत्ति पर भीड्ड उस की नजर थी. 20 लाख रुपए कर्ज ले कर उस ने ससुराल में आलीशान मकान भी बनवा लिया था.

16अप्रैल, 2022 की सुबह साढ़े 7 बजे पुलिस कंट्रोलरूम से खबर दी गई कि प्रयागराज के थाना

नवाबगंज के गांव खागलपुर में सामूहिक नरसंहार हुआ है. इस खबर से पुलिस महकमे में अफरातफरी मच गई और पुलिस अधिकारी घटनास्थल की ओर रवाना हो लिए.

कुछ देर बाद एसएसपी अजय कुमार, एसपी (गंगाघाट) अभिषेक अग्रवाल, आईजी डा. राकेश सिंह, एडीजी प्रेम प्रकाश तथा डीएम संजय खत्री घटनास्थल पर पहुंच गए.

पुलिस अधिकारी घर के अंदर कमरे में पहुंचे तो वहां का दृश्य देख कर दहल उठे. कमरे के अंदर पड़ी चारपाई पर प्रीति (38 वर्ष) की लाश खून से सनी थी. किसी धारदार हथियार से गला काट कर उस की हत्या की गई थी.

चारपाई के पास ही चौकी पड़ी थी. उस पर उस की बेटियों माही (12 वर्ष), पीहू (9 वर्ष) तथा पाहू (5 वर्ष) की लाशें पड़ी थीं. उन तीनों की भी किसी धारदार हथियार से गला काट कर हत्या की गई थी.

कमरे के अंदर खून ही खून फैला था. दीवारों पर भी खून के छींटे दिखाई दे रहे थे. निरीक्षण के दौरान पुलिस अधिकारी आंगन में पहुंचे तो वहां का नजारा भी दिल दहला देने वाला था.

घर के मुखिया राहुल तिवारी का शव छत पर लगे लोहे के जाल में साड़ी के फंदे से झूल रहा था. आंगन में फोल्डिंग पलंग पड़ा था. जिस के ऊपर प्लास्टिक की 2 कुरसियां रखी थीं. संभवत: इन्हीं कुरसियों पर चढ़ कर उस ने फंदा गले में कसा था.

राहुल बनियान व पैंट पहने था. उस के हाथों व बनियान पर खून के छींटे थे. शरीर पर अन्य किसी तरह के चोट के निशान नहीं थे. राहुल की उम्र 42 वर्ष के आसपास थी. राहुल के शव के पास से पुलिस को 2 पन्नों का लिखा एक सुसाइड नोट भी मिला. पुलिस ने उसे सुरक्षित कर लिया.

पुलिस अधिकारियों को कमरे से 2 मोबाइल फोन बरामद हुए. वह संभवत: राहुल व उस की पत्नी प्रीति के थे. एक मोबाइल फोन में राहुल के बड़े भाई मुन्ना का फोन नंबर सेव था. अत: पुलिस ने घटना की जानकारी मुन्ना को दी और यथाशीघ्र घटनास्थल पर पहुंचने को कहा.

पुलिस के आला अधिकारियों ने घर के बाहर निरीक्षण किया तो घर के सामने प्याज के खेत में उन्हें खून सना चापड़ मिला. अधिकारियों ने अनुमान लगाया कि इसी चापड़ से प्रीति तथा उस की बेटियों की हत्या की गई होगी. साक्ष्य के तौर पर चापड़ को भी सुरक्षित कर लिया गया.

पुलिस निरीक्षण के बाद फोरैंसिक टीम ने घटनास्थल का निरीक्षण किया और साक्ष्य जुटाए. टीम ने चापड़, दीवार सहित कई जगह से फिंगरप्रिंट भी लिए.

सरोज ने देखी थीं घर में 5 लाशें

घटनास्थल पर मृतक राहुल तिवारी का पड़ोसी दद्दू सरोज मौजूद था. उस ने बताया कि राहुल के परिवार से उस के अच्छे संबंध थे. रोजाना मिलनाजुलना था. दोनों परिवारों के बच्चे एक साथ खेलते थे.

7 बजे के करीब उस की मंझली बेटी सुमन (10 वर्ष) पीहू को बुलाने पहुंची तो मुख्यद्वार पर लगा चैनल खुला हुआ था. पीहू को कई बार आवाज लगाने पर भी जब कोई जवाब नहीं मिला तो वह भीतर जाने लगी.

उस ने कुछ ही कदम बढ़ाए थे कि आंगन में राहुल को फंदे पर लटके देखा. वह चीखते हुए बाहर की ओर भागी. सुमन के चीखने की आवाज सुन कर वह और परिवार के अन्य लोग पहुंचे तो सब से पहले राहुल फांसी पर लटका दिखाई दिया.

शोरगुल मचाने पर आसपास के अन्य लोग आ गए. उस के बाद भीतर गए तो कमरे का दृश्य देख कर सब के होश उड़ गए. फिर थाना नवाबगंज पुलिस को सूचना दी. उस के बाद पुलिस की आवाजाही शुरू हो गई.

दद्दू सरोज ने पुलिस को यह भी जानकारी दी कि राहुल तिवारी ने उस के बेटे अभिषेक की शादी कौशांबी में तय कराई थी. आज दोनों परिवारों को गोद भराई की रस्म पूरी करने के लिए कौशांबी जाना था.

दद्दू सरोज ने यह भी बताया कि इस मकान में एक अन्य किराएदार संदीप भी है. वह राहुल की बेटियों को ट्यूशन पढ़ाता था. साथ ही नौकरी की तलाश में जुटा है. लेकिन इधर 2 दिन से घर पर नहीं है. पता नहीं कहां गया है.

संदीप शक के दायरे में आया तो पुलिस ने उस की तलाश शुरू कर दी. अब तक घटनास्थल पर भारी भीड़ जुट गई थी. घटना को ले कर लोगों में गुस्सा साफ नजर आ रहा था. कहीं अराजक तत्त्व इस का फायदा न उठा लें, अत: पुलिस अधिकारियों ने खागलपुर गांव को छावनी में बदल दिया और निगरानी में जुट गए.

घटना की सूचना पा कर सांसद केसरी देवी पटेल तथा क्षेत्रीय विधायक गुरु प्रसाद मौर्य भी घटनास्थल पर आ गए थे. उन्होंने एसएसपी अजय कुमार के साथ घटनास्थल का निरीक्षण किया और लोगों को भरोसा दिलाया कि जल्दी ही घटना का खुलासा हो जाएगा.

अभी सांसद और विधायक निरीक्षण कर ही रहे थे कि मृतक राहुल के परिवार वाले आ गए. भाई का शव देख कर मुन्ना व विवेक फफक पड़े. वहीं दोनों बहनें नीतू व ज्योति भी फूटफूट कर रोने लगीं. पुलिसकर्मियों ने किसी तरह उन्हें धैर्य बंधाया और शव से अलग किया.

ज्योति व नीतू ने रोते हुए आरोप लगाया कि उस के भाई की हत्या उस के ससुराल वालों ने की है. दोनों बहनों ने पुलिस अधिकारियों से हाथ जोड़ कर कहा कि वह ससुरालीजनों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर उन्हें जेल भेजें.

बहनों ने ससुरालियों पर लगाया हत्या का आरोप

पुलिस अधिकारियों ने मृतक राहुल के भाई मुन्ना तिवारी से पूछताछ की तो उस ने बताया कि 12 अप्रैल को राहुल की बेटी पीहू का जन्मदिन था. तब वह अपने बेटे प्रिंस के साथ खागलपुर गांव आया था. उस समय सब कुछ सामान्य था. किसी के चेहरे पर कोई तनाव न था. पीहू का जन्मदिन धूमधाम से मनाया गया था. इस के बाद वह वापस घर चले गए थे.

मुन्ना ने आगे बताया कि राहुल अपनी ससुराल अंदावा (कौशांबी) में रहता था. वहां उस ने आलीशान मकान बनवाया था और कुछ जमीन भी खरीदी थी. लेकिन उस के साले जयप्रकाश उर्फ पिंटू तथा रामप्रकाश उर्फ चंद्रशेखर ने उस का मकान तथा जमीन छीन ली तथा मारपीट कर वहां से भगा दिया.

उस के बाद वह परिवार के साथ खागलपुर गांव में किराए के मकान में रहने लगा था. पशुओं का व्यापार कर वह अपने परिवार का खर्च चलाता था. मुन्ना ने तहरीर दे कर दोनों सालों तथा उस के दोस्त मनोज उर्फ मैनेजर तथा अभिषेक तिवारी के विरुद्ध रिपोर्ट दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार करने का अनुरोध किया.

अब तक सामूहिक नरसंहार की गूंज प्रयागराज से राजधानी लखनऊ तक पहुंच चुकी थी. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्वयं ही इस घटना को संज्ञान में लेते हुए आईजी डा. राकेश सिंह तथा एडीजी प्रेम प्रकाश से बात की थी. उन्होंने आदेश दिया कि घटना की निष्पक्ष जांच हो और दोषी किसी भी हालत में बख्शे न जाएं. उन्होंने सहायता के लिए एसटीएफ को भी लगा दिया.

पुलिस अधिकारियों को राहुल के शव के पास 2 पन्नों का एक सुसाइड नोट मिला था, जिसे सुरक्षित कर लिया गया था. इस पत्र को अधिकारियों ने पढ़ा तो पहले पन्ने पर 11 नाम लिखे थे, जिन्हें राहुल ने मौत का जिम्मेदार बताया था. इन के नाम थे जयप्रकाश तिवारी उर्फ पिंटू, रामप्रकाश तिवारी उर्फ चंद्रशेखर, मंजू पत्नी जयप्रकाश, ज्योति पत्नी रामप्रकाश, सुनील, आशू, मनोज उर्फ मैनेजर, संतोष, अवध किशोर, शिवम तथा नमो नारायण सभी निवासी अंदावा (कौशांबी). इन में जयप्रकाश व रामप्रकाश मृतक राहुल के सगे साले तथा मंजू व ज्योति सलहज थीं. शेष लोग उन के सहयोगी थे. पत्र के दूसरे पन्ने पर मृतक राहुल ने लिखा था कि साले व ससुराल पक्ष के लोग 2 गाडि़योें से आए और उन की पत्नी व बेटियों की हत्या कर भाग गए. साले, सलहज तथा साले के दोस्त सामूहिक हत्या के दोषी हैं. लेकिन पुलिस जांच में यह बात गलत साबित हुई. क्योंकि ग्रामीणों ने बताया कि रात में कोई वाहन गांव में आया ही नहीं था.

मृतक राहुल के भाई मुन्ना की तहरीर तथा सुसाइड नोट में लिखे गए नामों के आधार पर थाना नवाबगंज इंसपेक्टर ए.के. सिंह ने भादंवि की धारा 302/34 के तहत रिपोर्ट दर्ज कर ली और उन की गिरफ्तारी के प्रयास में जुट गए.

रिपोर्ट दर्ज होने के बाद पुलिस अधिकारियों ने पांचों शव पोस्टमार्टम के लिए एसआरएन अस्पताल भिजवा दिए. 3 डाक्टरों के एक पैनल ने वीडियोग्राफी के साथ सभी शवों का पोस्टमार्टम किया.

पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार राहुल की मौत हैंगिंग से हुई थी, जबकि प्रीति व उस की बेटियों की मौत श्वांस नली के कटने तथा अधिक खून बहने से हुई थी.

संदीप ने दी जांच को नई दिशा

अब तक पुलिस ने घर में रह रहे दूसरे किराएदार संदीप पाल को भी हिरासत में ले लिया था. पुलिस अधिकारियों ने उस से पूछताछ की तो उस ने कई चौंका देने वाले खुलासे किए. संदीप पाल ने बताया कि वह सुरेश शुक्ला के मकान में किराए पर रहता है और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहा था. राहुल तिवारी के परिवार से उस के अच्छे संबंध थे. उस के बच्चों को वह ट्यूशन पढ़ाता था और परिवार के साथ ही खाना खाता था. राहुल की पत्नी प्रीति उसे अपने बच्चों जैसा मानती थी.

संदीप ने अधिकारियों को बताया कि राहुल और प्रीति के बीच रिश्ते अच्छे नहीं थे. उन में आए दिन झगड़ा होता रहता था. राहुल ससुराल पक्ष से चल रहे विवाद, कर्जदारी, साली से अवैध रिश्तों आदि से इतना परेशान था कि कई बार खुदकुशी की बात कह चुका था. कुछ मौकों पर तो उस ने यहां तक कहा कि मन करता है कि सभी को मार कर खुद मर जाऊं.

संदीप ने बताया कि राहुल गहरे मानसिक तनाव से जूझ रहा था. दरअसल, राहुल ने अपनी ससुराल अंदावा में एक आलीशान मकान बनवाया था जिस में लाखों रुपए खर्च किए थे.

इस के लिए उस ने काफी कर्ज लिया था. बाद में अपने सालों से विवाद के बाद उसे उस मकान से हाथ धोना पड़ा. यही नहीं, जिस जमीन को उस ने अपनी सास से अपने नाम बैनामा कराया था, वह भी उस के कब्जे से निकल गई.

राहुल के उस की साली ज्योति से अवैध संबंध थे, जिसे ले कर पत्नी से उस का विवाद होता रहता था.

पुलिस अधिकारी अब तक की गई जांच, पोस्टमार्टम रिपोर्ट, संदीप पाल व अन्य ग्रामीणों के बयान के आधार पर इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि घर के मुखिया राहुल ने ही पहले अपनी पत्नी प्रीति का कत्ल किया, उस के बाद बेटियों को भी मौत के घाट उतार दिया. ससुराली जनों एवं उन के सहयोगियों को फंसाने के लिऐ उस ने आत्महत्या करने के पूर्व उन के नाम सुसाइड नोट में लिख दिए.

हालांकि घटना की तसवीर साफ हो गई थी फिर भी नामजद आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए पुलिस अधिकारियों ने 7 टीमें बनाईं और उन्हें कौशांबी, फतेहपुर के लिए रवाना किया. कौशांबी के थाना कोखराज के अंदावा गांव में राहुल की ससुराल थी. लगभग सभी आरोपी इसी गांव के थे. अत: पुलिस की 2 टीमें अंदावा गांव पहुंचीं और ताबड़तोड़ छापा मार कर सभी 11 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया.

सभी आरोपियों को थाना नवाबगंज लाया गया. पुलिस अधिकारियों ने उन से पूछताछ की तो आरोपी जयप्रकाश व रामप्रकाश ने अपने बहनोई राहुल से संपत्ति विवाद की बात तो स्वीकार की, लेकिन बहन व उस की बेटियों की हत्या से साफ इनकार कर दिया.

अन्य आरोपियों ने भी हत्या से साफ इनकार किया. लेकिन पुलिस ने उन की एक नहीं सुनी और सभी को कोर्ट में पेश कर नैनी जेल भेज दिया. पुलिस जांच से इस सामूहिक नरसंहार की जो घटना प्रकाश में आई, उस का विवरण इस प्रकार है—

उत्तर प्रदेश के कौशांबी जिले के थाना कोखराज अंतर्गत एक गांव है-अंदावा. इसी गांव में भोलानाथ तिवारी सपरिवार रहते थे. उन के परिवार में पत्नी पार्वती के अलावा

2 बेटे जयप्रकाश उर्फ पिंटू, रामप्रकाश उर्फ चंद्रशेखर तथा 2 बेटियां प्रीति व ज्योति थीं.

भोलानाथ तिवारी किसान थे. खेतीबाड़ी से ही वह अपने परिवार का पालनपोषण करते थे. वर्ष 1990 में गंभीर बीमारी के चलते भोलानाथ का निधन हो गया. पति की मौत के बाद 4 बच्चों के पालनपोषण की जिम्मेदारी पार्वती पर आ गई.

संकट के दिनों में पार्वती ने बच्चों को पालपोस कर बड़ा किया. जयप्रकाश व रामप्रकाश का मन खेतीकिसानी में नहीं लगता था. अत: दोनों भाइयों ने गांव छोड़ दिया और लखनऊ आ गए. यहां वे प्राइवेट नौकरी कर अपना खर्च चलाने लगे.

भाईबहनों में प्रीति सब से बड़ी थी. वह बचपन से ही चंचल स्वभाव की थी. जवान हुई तो उस में चंचलता और बढ़ गई. वह बनसंवर कर रहती और गलीमोहल्ले में इतरातीइठलाती चलती.

उस की मदमस्त जवानी और चंचलता ने कई युवकों की नींद हराम कर दी थी. वे बंद आंखों से उसे पाने का सपना संजोने लगे थे. लेकिन प्रीति उन्हें पास नहीं फटकने देती थी.

पार्वती के घर मुन्ना तिवारी का आनाजाना था. वह पड़ोसी गांव भदवां का रहने वाला था और दूर का रिश्तेदार था. मुन्ना 3 भाइयों में सब से बड़ा था. मंझला भाई राहुल था जबकि सब से छोटा विवेक था. 2 बहनें ज्योति व नीतू थीं. मुन्ना के पिता त्रिपुरारी कर्मकांडी ब्राह्मण थे. वह लगभग 8 बीघा उपजाऊ भूमि तथा 2 पक्के मकान के मालिक थे.

पार्वती के घर आतेजाते मुन्ना की निगाह उस की जवान बेटी प्रीति पर पड़ी. वह उसे अपने प्रेम जाल में फंसाने का प्रयत्न करने लगा. वह जब भी घर आता, प्रीति के लिए कोई न कोई उपहार जरूर लाता. उपहार पा कर प्रीति का चेहरा खिल उठता.

धीरेधीरे मुन्ना प्रीति से हंसीमजाक व शारीरिक छेड़छाड़ भी करने लगा. प्रीति वैसे भी चंचल स्वभाव की थी, मुन्ना की छेड़छाड़ से वह आनंदित होने लगी. दोनों के बीच प्यार बढ़ा तो एक रोज मुन्ना प्रीति को भगा ले गया.

मुन्ना ने छोटे भाई राहुल की करा दी प्रीति से शादी

बदनामी से बचने के लिए पार्वती ने मुन्ना के घर वालों से संपर्क किया और बेटी को वापस करने की गुहार लगाई.

मुन्ना की पत्नी आरती को जब पता चला कि उस का पति एक कुंवारी लड़की को भगा ले गया है तो उस ने बखेड़ा शुरू कर दिया. उस ने अपने स्तर पर पता लगा कर और पति पर दबाव बना कर प्रीति को बरामद किया और उस की मां को सौंप दिया.

प्रीति के भाग जाने से पार्वती की समाज में बदनामी हुई थी. अब उसे उस के ब्याह की चिंता सताने लगी थी. प्रीति कहीं दोबारा कोई गलत कदम न उठा ले, इसलिए वह जल्द ही उस के हाथ पीले कर देना चाहती थी.

इसी बीच प्रीति से संबंध बनाए रखने के लिए मुन्ना ने एक चाल चली. उस ने पार्वती को राजी कर प्रीति का विवाह (कोर्ट मैरिज) अपने भाई राहुल तिवारी से करा दिया. राहुल उस समय इलाहाबाद विश्वविद्यालय में संविदा पर काम करता था.

कोर्ट मैरिज करने के बाद प्रीति राहुल के साथ रहने लगी. जमीनी विवाद के कारण राहुल की अपने भाइयों से पटरी नहीं खाती थी. जमीनमकान को ले कर अकसर उस का झगड़ा भाइयों से होता रहता था. इस कारण राहुल शादी के बाद अपनी ससुराल अंदावा में रहने लगा.

ससुराल में रहते राहुल ने कुछ सालों में ही अपना सिक्का जमा लिया. यही नहीं उस ने सास पार्वती को बहलाफुसला कर 16 बिस्वा जमीन भी अपने नाम करा ली. भारी कर्ज ले क र उस ने ससुराल में एक आलीशान मकान भी बना लिया.

राहुल के भी हो गए साली ज्योति से संबंध

मायके में रहते प्रीति ने 3 बेटियों माही, पीहू व पाहू को जन्म दिया. राहुल अपनी बेटियों को बहुत प्यार करता था और उन की हर जरूरत को पूरा करता था. राहुल खुद भी ठाटबाट से रहता था और पत्नीबच्चों को भी अच्छे से रखता था. इस ठाटबाट के लिए वह कर्ज लेने से भी गुरेज नहीं करता था.

कौशांबी के पश्चिम शरीरा का रहने वाला सुनार पुष्पराज लोगों को ब्याज पर पैसे देता था. राहुल भी इसी पुष्पराज सुनार से पैसा लाता था. आलीशान मकान बनवाने व अन्य खर्चों के लिए वह लगभग 20 लाख रुपए पुष्पराज से ले चुका था. रुपए मांगने वह अकसर राहुल के पास आता था. रुपए न देने पर वह उसे धमकाता भी था.

राहुल रंगीनमिजाज भी था. 3 बेटियों को जन्म देने के बाद प्रीति अब उसे फीकी लगने लगी थी. इसी दौरान राहुल के अपनी 25 वर्षीया कुंवारी साली ज्योति से अवैध संबंध हो गए.

एक दिन पार्वती ने ज्योति को राहुल की बांहों में झूलते देखा तो वह अवाक रह गई. उस ने बेटी व दामाद दोनों को फटकार लगाई. यही नहीं, उस ने प्रीति को भी सतर्क कर दिया और राहुल पर नजर रखने को कहा.

निगाह रखने का परिणाम यह हुआ कि एक रात प्रीति ने भी राहुल को ज्योति के साथ देख लिया. फिर तो उस रात घर में जम कर हंगामा हुआ. प्रीति ने छोटी बहन ज्योति को भी खूब खरीखोटी सुनाई.

उस ने ज्योति से स्पष्ट शब्दों में कहा कि वह उस की सौत बनने की कोशिश न करे, अन्यथा इस का परिणाम अच्छा नहीं होगा.

लेकिन चेतावनी के बाद भी न ज्योति मानी और न ही राहुल. दोनों को जब भी मौका मिलता मिलन कर लेते. ज्योति को ले कर अब प्रीति व राहुल के बीच अकसर झगड़ा होने लगा था. आजिज आ कर प्रीति ने मां पर दबाव बना कर ज्योति की शादी कुंडा (प्रतापगढ़) निवासी सूरज के साथ करा दी.

लेकिन राहुल ज्योति को ससुराल नहीं भेजता था. वह किसी भी कीमत पर ज्योति को खोना नहीं चाहता था. ज्योति मायके में ही ज्यादा रहती थी. इसी बीच बीमारी के चलते ज्योति के पति सूरज की मौत हो गई, तो वह मायके में ही रहने लगी थी. राहुल यही तो चाहता था.

राहुल के साले जयप्रकाश व रामप्रकाश लखनऊ में नौकरी करते थे. दोनों भाइयों को जब पता चला कि उस के बहनोई ने धोखाधड़ी कर 16 बिस्वा जमीन का अपने नाम बैनामा करा लिया है और बहन ज्योति को भी बहलाफुसला कर उस से संबंध बना लिए हैं तो उन का माथा ठनका.

वे नौकरी छोड़ कर गांव आ गए और खेती किसानी करने लगे. वह घर खेत की रखवाली करने लगे और बहन ज्योति पर भी नजर रखने लगे. इसी बीच जयप्रकाश की मंजू से तथा रामप्रकाश की ज्योति से शादी हो गई.

राहुल को छोड़नी पड़ी ससुराल

जुलाई 2021 में राहुल और उस के सालों जयप्रकाश व रामप्रकाश के बीच जम कर झगड़ा हुआ. इस झगड़े में परिवार वालों ने दोनों भाइयों का साथ दिया. सब ने मिल कर राहुल को जल्द घर छोड़ने की चेतावनी दे दी.

मजबूर हो कर राहुल ने नवंबर 2021 में अंदावा स्थित ससुराल का घर छोड़ दिया और प्रयागराज से 40 किलोमीटर दूर नवाबगंज थानांतर्गत खागलपुर गांव में सुरेश शुक्ला के मकान में किराए पर रहने लगा. सुरेश शुक्ला बीएसएफ में सहायक कमांडेंट थे और प्रयागराज में रहते थे.

परिवार के भरणपोषण के लिए राहुल पशुओं की खरीदफरोख्त का व्यापार करने लगा था. लेकिन इस व्यापार में उसे इतना मुनाफा नहीं होता था कि वह परिवार को ठीक से चला सके. कर्ज ले कर उसे गृहस्थी चलानी पड़ रही थी.

इसी मकान में एक अन्य किराएदार संदीप पाल रहता था. वह नौकरी की तलाश में था और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में जुटा था. संदीप मिलनसार था जल्द ही उस की दोस्ती राहुल से हो गई. वह उस की बेटियों को ट्यूशन पढ़ाने लगा तथा उस के परिवार संग खाना खाने लगा. राहुल की पत्नी प्रीति भी उसे अपने बच्चों जैसा सम्मान देती थी.

राहुल का अपने पड़ोसी दद्दू सरोज के साथ भी अच्छा व्यवहार था. दोनों परिवारों के बच्चे एकदूसरे के घर खेलने आते थे. दद््दू सरोज की मंझली बेटी सुमन और राहुल की मंझली बेटी पीहू के बीच गहरी दोस्ती थी. दोनों हमउम्र थी. पीहू सुबह ही उस के घर खेलने पहुंच जाती थी.

राहुल और प्रीति के बीच रिश्ते सामान्य नहीं थे. दोनों के बीच अकसर झगड़ा होता रहता था. झगड़ा कर्जदारी और बहन ज्योति के साथ नाजायज रिश्तों को ले कर होता था.

दरअसल, राहुल लगभग 20 लाख का कर्जदार था. यह कर्जा उस ने पुष्पराज सुनार से लिया था, जो कौशांबी के पश्चिम शरीरा का रहने वाला था.

जिस दिन वह कर्ज का तगादा करने आता और राहुल को डराताधमकाता या जिस दिन राहुल साली ज्योति से बतियाता और उस से हंसीठिठोली करता, उस दिन राहुल का प्रीति से झगड़ा होता और कई दिनों तक बोलचाल बंद रहती.

राहुल घर के कलह से परेशान था. वह अपनी व्यथा संदीप से शेयर करता था. बातोंबातों में राहुल ऐसी बात कह जाता जिसे सुन कर संदीप कांप उठता.

राहुल को अब अपना जीवन नीरस लगने लगा था. क्योंकि ससुराल का आलीशान मकान, जिसे उस ने कर्ज ले कर बनवाया था, वह उस से छिन गया था. जिस जमीन का बैनामा उस ने कराया था, वह भी सालों ने छीन ली थी और साली ज्योति जो उस के जीवन में रस घोलती थी, वह भी दूर हो गई थी. राहुल को लगने लगा कि अब उस के जीने का कोई मकसद नहीं है.

फिर लगा कि यदि उस ने जीवन समाप्त कर लिया तो उस की बेटियों का क्या होगा, उन को कौन संभालेगा. काफी सोचविचार के बाद राहुल ने अपनी हताश जिंदगी का अंत करने के पहले अपने पूरे परिवार को मिटाने का निश्चय किया.

12 अप्रैल, 2022 को राहुल ने अपनी मंझली बेटी 9 वर्षीय पीहू का जन्मदिन धूमधाम से मनाया. जन्मदिन उत्सव में शामिल होने राहुल का बड़ा भाई मुन्ना व भतीजा प्रिंस भी आया. लेकिन उस ने अपने खतरनाक इरादों की भनक किसी को नहीं लगने दी. जन्मदिन पार्टी में किराएदार संदीप पाल भी शामिल हुआ था. लेकिन दूसरे रोज वह किसी काम से प्रतापगढ़ चला गया था.

15 अप्रैल, 2022 की रात 8 बजे राहुल ने पत्नी व बेटियों के साथ खाना खाया. उस के बाद प्रीति कमरे में पड़ी चारपाई पर लेट गई और माही, पीहू और पाहू चौकी पर लेट गईं. कुछ देर बाद वह सो गई.

इधर राहुल की आंखों से नींद कोसों दूर थी. वह देर रात तक चहलकदमी करता रहा. फिर चापड़ ले कर कमरे में पहुंच गया. कमरे में प्रीति व उस की तीनों बेटियां गहरी नींद सो रही थीं.

राहुल ने पहले प्रीति के गले पर चापड़ से प्रहार किया. जिस से उस का गला कट गया और उस की मौत हो गई. उस के बाद राहुल ने बारीबारी से तीनों बेटियों को भी मौत के घाट उतार दिया.

पत्नी व बेटी की हत्या करने के बाद उस ने आलाकत्ल चापड़ घर के सामने प्याज के खेत में छिपा दिया. फिर कमरे में आ कर सुसाइड नोट लिखा, जिस में उस ने साले सलहज सहित 11 नाम लिखे और उन्हें हत्यारोपी बताया. इस के बाद उस ने आंगन में लोहे के जाल में साड़ी बांध कर फंदा बनाया और झूल गया.

पुलिस ने मृतक राहुल के भाई मुन्ना द्वारा दर्ज कराई गई रिपोर्ट के आधार पर 11 नामजद लोगों को हत्या के आरोप में जेल भेज दिया. लेकिन विवेचना में यदि ये लोग निर्दोष पाए गए तो हत्या की धारा हट जाएगी. उस के बाद उन पर आत्महत्या के लिए प्रेरित करने की धारा 309 के तहत ही कोर्ट में मुकदमा चलेगा. बहरहाल, कथा संकलन तक सभी आरोपी नैनी जेल में थे.

-कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...