सौजन्या- मनोहर कहानियां

अपराध और अपराध की गिरफ्त में जकड़ता उत्तर प्रदेश. यह प्रदेश पहले से अधिक खतरनाक और हिंसक हो चला है. भगवा कपड़े पहना संत, नेता बन सत्ता में आया और अपराधमुक्त राज्य बनाने का दावा किया, लेकिन यह खोखला दावा आसमानी हो गया है और जमीन अपराध से लाल.   आगरा के एत्मादौला थाना क्षेत्र में रामवीर 30 साल से रह रहे थे. घर के बाहर के कमरे में उन की परचून की दुकान थी. वहीं पर 31 अगस्त को रामवीर, उस की पत्नी मीरा और बेटा बबलू की हत्या कर दी गई. बबलू और मीरा के हाथ बंधे थे. रामवीर के गले में फंदा पड़ा था. हत्या करने के बाद शव को जलाने और सिलैंडर के विस्फोट को दिखाने का साहस भी बदमाशों ने किया. तिहरे हत्याकांड ने प्रेम की नगरी आगरा को दहला दिया.    स 1 सितंबर को लखनऊ के मौल इलाके में पड़ने वाले मवई खुर्द गांव में रहने वाले किसान की 5 साल की बेटी को रैदास नामक युवक टौफी खिलाने के बहाने ले कर गया.

रात 11 बजे के करीब घर वालों को लड़की की लाश खेत में मिली. लड़की के शरीर पर कपड़े नहीं थे. लड़की की गला दबा कर हत्या कर दी गई थी. लड़की के घर वालों का आरोप था कि बच्ची के साथ रेप किए जाने के बाद उस की हत्या की गई थी.   स 2 सितंबर को बाराबंकी जिले के सतरिख थाने में लाठियों से पीटपीट कर इमरान नामक युवक की हत्या कर दी गई. इमरान के भाई गुड्डू की तबीयत ठीक नहीं रहती थी. असगर ने उस को सलाह दी कि अपने भाई को तांत्रिक को दिखा ले. इस के लिए उस ने इमरान के घर वालों से 15 हजार रुपए भी ले लिए. जब तांत्रिक से इलाज नहीं करा पाया और इमरान ने अपने पैसे वापस मांगे तो उस की लाठियों से पीट कर हत्या कर दी गई.    स 3 सितंबर को राजधानी लखनऊ के पीजीआई थाने के इलाके में दुर्गेश यादव किराए पर रहता था. सुबह साढ़े 7 बजे 2 कारों से एक युवती और 7-8 लोग आए. दुर्गेश बाथरूम में था. बाथरूम से बाहर निकलते ही युवती और उस के साथ आए लोगों ने उस की पिटाई करनी शुरू कर दी. लगभग 40 मिनट सभी मिल कर उस को पीटते रहे.

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अंत में हमलावरों ने दुर्गेश के पेट में गोली मार दी. राजधानी में एक महिला और उस के साथी ऐसा कर सकते हैं, यह किसी ने भी सोचा नहीं होगा.  स 6 सितंबर को लखीमपुर खीरी जिले में पूर्व विधायक निर्वेद्र मिश्र की जमीन के विवाद में मारपीट के बाद हत्या कर दी गई. मारपीट में पुलिस की भूमिका भी पाई गई. इस के कारण प्रदेश सरकार पर ब्राह्मण उत्पीड़न का आरोप भी लग रहा है. स 11 सितंबर को अलीगढ़ में दिनदहाड़े 40 लाख रुपए लूट लिए गए. सारसौल चौराहे से 100 मीटर की दूरी पर खैरो जाने वाले रास्ते पर सुंदर वर्मा की दुकान है. यहां पर इन का मकान और सुंदर ज्वैलर्स के नाम से ज्वैलरी शौप है. 11 सितंबर को दुकान पर सुंदर वर्मा, उन का 14 वर्षीय बेटा, नौकर धर्मेश के अलावा 3-4 ग्राहक भी बैठे थे. इसी दौरान करीब एक बजे बाइक पर 3 बदमाश आए. वे मास्क लगाए थे. उन के पास तमंचे थे. बदमाशों ने दुकान में आ कर पहले अपने हाथों पर सैनिटाइजर लगाया, फिर तमंचे निकाले और 700 ग्राम सोने के जेवर और 50 हजार रुपए नकद लूट कर भाग गए.  ‘तुम्हारी फाइलों में गांव का मौसम गुलाबी है, मगर ये आंकड़े  झूठे हैं, यह दावा किताबी है’ उत्तर प्रदेश के ही मशहूर शायर अदम गोंवी की ये पंक्तियां प्रदेश की योगी सरकार के रामराज के दावे पर एकदम फिट बैठती हैं. सरकार आंकड़ों में यह साबित करने में लगी है कि उत्तर प्रदेश में अपराध कम हो गए हैं, पर अपराध की रोज घटने वाली वारदातों से पता चलता है कि सारे दावे किताबी हैं. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने कार्यकाल में केवल पुलिस पर सब से अधिक भरोसा किया. उत्तर प्रदेश पुलिस ‘योगी की पुलिस’ कही जाती है.

पुलिस केवल फर्जी एनकांउटर को ले कर चर्चा में रहती है. अपराध नियंत्रण को ले कर यहां कोई सुधार नहीं है. लूट, हत्या, बलात्कार, अपहरण और धोखाधड़ी की घटनाएं कम नहीं हो रही हैं.  प्रदेश के कानपुर, उन्नाव, गोरखपुर, बुलंदशहर, गोंडा, आगरा, नोएडा और लखनऊ जैसे शहरों के विषय में जानने के लिए अगर कोई ‘गूगल’ करता है तो यहां की हत्या, बलात्कार, लूट और अपहरण की घटनाएं सब से पहले दिखने लगती हैं. ये घटनाएं इन शहरों की आपराधिक सचाई की पोल खोल देती हैं. मुख्यमंत्री बनने के बाद योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश के कई शहरों के नाम बदल दिए थे. उन को लगता था कि नाम बदलने से उत्तर प्रदेश की छवि अच्छी हो जाएगी, पर अपराध की बढ़ती घटनाओं ने पूरे प्रदेश की छवि को खराब कर के रख दिया है. जनता पूछ रही है, ‘यह रामराज है या अपराध राज.’फेल हो गई ‘ठोक दो शैली’ अपराध को रोकने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पुलिस से कहा था कि वह ‘ठोक दो शैली’ में काम करे. जिस के तहत सरकार ने अपराधियों के एनकाउंटर की खुली छूट पुलिस को दे दी थी.

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पुलिस ने 6 हजार से अधिक मुठभेड़ के मामलों में सैकड़ों लोगों को जान से मार दिया. इस के बाद भी अपराध की घटनाएं कम नहीं हुईं. मार्च 2017 से ले कर जुलाई 2020 के बीच उत्तर प्रदेश पुलिस और अपराधियों के बीच 6,326 एनकाउंटर हुए. इन मुठभेड़ों में पुलिस ने 123 अपराधियों को मार गिराया. वहीं 2,337 को फायरिंग के दौरान गोली लगी.हाईकोर्ट के अधिवक्ता राजेश तिवारी कहते हैं, ‘‘मुख्यमंत्री की ‘ठोक दो शैली’ अपराध रोकने में कारगर नहीं हुई. उलटे, पुलिस ने मनमानी से लोगों को मार दिया. कानून को हाथ में लेने से अपराध तो कम नही हुए, कानून का राज जरूर खत्म होने लगा.’’ राजेश आगे कहते हैं, ‘‘अपराध की घटनाएं किसी भी सरकार का तख्ता पलट सकती हैं. 2007 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के नेता मुलायम सिंह यादव ने अपनी सरकार के कार्यकाल में घटे अपराध की घटनाओं पर सफाई देने के लिए अभिनेता अमिताभ बच्चन से एक प्रचार फिल्म बनवाई, जिस में दावा किया गया कि ‘यूपी में है दम क्योंकि यहां अपराध हैं कम.’

इस का उलटा प्रभाव पड़ा और मुलायम सिंह यादव चुनाव हार गए और बसपा बहुमत से सरकार बनाने में सफल हो गई.विरोधियों पर मुकदमे हत्या, बलात्कार, अपहरण, लूट और गैंग बना कर अपराध के मामलों में उत्तर प्रदेश सुर्खियां बटोरता जा रहा है. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू कहते हैं, ‘‘उत्तर प्रदेश में भाजपा की योगी सरकार रामराज का वादा कर के आई थी जबकि अपराध राज बना कर रख दिया है. यह पहली सरकार है जहां सवाल करने, आलोचना करने पर विरोधी के खिलाफ आपराधिक मामलों में मुकदमा कायम करा दिया जाता है. जनता के मुकदमे लिखे नहीं जाते, पर सरकार की आलोचना करने वालों को जेल भेज दिया जाता है.’’पीडि़तों की बातें पुलिस नहीं सुनती.

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कई मामलों में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने पत्र लिख कर मुख्यमंत्री से कार्रवाई करने को कहा, तब पुलिस ने मामलों का संज्ञान लिया. समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी कहते हैं, ‘‘सरकार ने अपराधियों को सरंक्षण दे रखा है. कुलदीप सेंगर, स्वामी चिन्मयानंद और विकास दुबे का संबंध भाजपा से दिखता है. ऐसे कुछ लोगों के मुकदमे भी वापस लेने का प्रयास हो रहा है. दूसरी तरफ आजम खान जैसे नेताओं को जेल में जबरदस्ती रखा जा रहा है.’’जातिगत आरोप में घिरे मुख्यमंत्रीमुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपराध रोकने में सफल तो हो नहीं पा रहे, उलटे, उन पर जातिवाद के आरोप लगने लगे हैं. कानपुर के अपराधी और 8 पुलिसमैनों की हत्या करने वाले विकास दुबे के एनकाउंटर के बाद सोशल मीडिया पर ऐसे मैसेज खूब वारयल हुए, जिन में यह कहा गया कि योगी सरकार में ब्राह्मण असुरक्षित हैं. सोशल मीडिया पर यह तर्क दिया गया कि उन्नाव के बलात्कारी विधायक कुलदीप सेंगर, शाहजहांपुर में सैक्स स्कैंडल में फंसे स्वामी चिन्मयानंद के खिलाफ योगी सरकार नरम बनी रही.

प्रतापगढ़ के बाहुबली नेता राजा भैया के खिलाफ लगे मुकदमे वापस लेने की तैयारी हो रही है. यह आरोप इतना बड़ा था कि भाजपा को अपने ब्राह्मण विधायक और मंत्रियों को इस की काट के लिए मैदान में उतारना पड़ा.आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह कहते हैं कि उत्तर प्रदेश में अपराध कम नहीं हो रहे. सरकार के खिलाफ आवाज उठाने वालों को प्रताडि़त किया जा रहा है. उन की आवाज को दबाया जा रहा है और उन का उत्पीड़न किया जा रहा है. मुख्यमंत्री के व्यवहार के कारण लोगों में दूरियां बढ़ रही हैं. ठाकुर जाति बेवजह निशाने पर आ गई है. प्रदेश के लोगों में इस जाति के प्रति सोच बदलती जा रही है. जिस का खमियाजा इस जाति के लोगों को भुगतना पड़ रहा है.

आकड़े सारे किताबी हैंएनसीआरबी यानी नैशनल क्राइम रिकौर्ड ब्यूरो के आकड़े बताते हैं कि उत्तर प्रदेश में क्राइम रेट 2017 के मुकाबले 2018 में बढ़ गया है. ब्यूरो की रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर प्रदेश पुलिस हर 2 घंटे में बलात्कार का एक मामला दर्ज करती है. जबकि, राज्य में हर 90 मिनट में एक बच्चे के खिलाफ अपराध की सूचना दी जाती है. 2018 में बलात्कार के 4,322 मामले दर्ज किए गए थे. राज्य में महिलाओं के खिलाफ 59,445 अपराध दर्ज किए गए हैं. जिन में रोजाना 62 मामले सामने आए हैं. यह 2017 में 7 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है, जबकि कुल 56,011 अपराध दर्ज किए गए थे.

बच्चों के मामलों में, 2017 में 139 के मुकाबले 2018 में 144 लड़कियों के बलात्कार के मामले सामने आए थे. 2018 में महिलाओं के साथ हुए अपराधों में लखनऊ सब से शीर्ष पर रहा है, जहां महिलाओं के साथ अपराध के 2,736 मामले दर्ज किए गए. इसी तरह लखनऊ में बच्चों के खिलाफ 19,936 आपराधिक मामले दर्ज किए गए, जिन में रोजाना 55 मामले दर्ज हुए. प्रदेश में साल 2018 में दहेज के मामलों में सब से अधिक 2,444 हत्याएं दर्ज की गईं. हालांकि, इस में 2017 के मुकाबले 3 प्रतिशत की कमी देखी गई. यूपी में 2017 में दहेज के कारण हत्या के 2,524 मामले दर्ज किए गए थे.

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प्रदेश में वरिष्ठ नागरिकों के खिलाफ हुए अपराधों में भी वृद्धि दर्ज की गई है.2018 में 454 अपराध दर्ज किए गए, जो 2017 के मुकाबले 12 प्रतिशत अधिक हैं. 2017 में 129 की तुलना में 2018 में 131 बुजुर्गों की हत्या की गई. वरिष्ठ नागरिकों द्वारा रिपोर्ट की गई डकैती की घटनाओं में 2018 में 15 और 2017 में 14 घटनाओं के साथ मामूली वृद्धि दर्ज की गई. राज्य में 2018 में साइबर अपराध के मामलों में भी वृद्धि देखी गई. 2018 में 6,280 साइबर अपराध के मामले दर्ज किए गए, जो 2017 की तुलना में 26 प्रतिशत अधिक हैं. पुलिस कहती है, ‘‘प्रदेश में बलात्कार के मामले 3,946 हैं जो 2017 की तुलना में 7 प्रतिशत कम हैं.’’ पुलिस कुछ भी कहे पर जमीनी हालत बेहद खराब है. हर शहर में अपराध की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं.

 

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