आज के तकनीकी समय में ऐसे कई उपकरण ईजाद हो गए हैं जिन से किसी अपराधी की भागीदारी या मौजूदगी का पता आसानी से लगाया जा सकता है. ऐसे में अपराध कर बच निकल जाने की भूल बेवकूफी है. अमरमणि त्रिपाठी उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री थे. बाहुबलि छवि के इस नेता को कविताएं पढ़ने वाली युवा लड़की मधुमिता त्रिपाठी से लगाव हो गया. यह लगाव मोहब्बत में बदल गया. अमरमणि की पत्नी मधुमणि को इस पर एतराज था. परेशानी तब खड़ी हो गई जब मधुमिता गर्भवती हो गई.

उस पर अमरमणि और उस की पत्नी मधुमणि की तरफ से गर्भपात कराने के लिए दबाव पड़ने लगा. मधुमिता ने इनकार किया. इस हालत में ही एक दिन मधुमिता की हत्या उस के ही आवास पर कर दी गई. पुलिस को मधुमिताअमरमणि मसले की जानकारी थी. हत्या का आरोप अमरमणि त्रिपाठी व उन की पत्नी मधुमणि पर लगा. लोकल पुलिस ने घटना को छिपाने का काम किया. अमरमणि का रसूख भारी पड़ रहा था. लोकल पुलिस ने जांच में यह साबित करने का प्रयास किया कि मधुमिता के पेट में पल रहा बच्चा किसी और का था. पुलिस ने मीडिया के कुछ लोगों के साथ मिल कर मधुमिता की शादी किसी लड़के के साथ साबित करने का प्रयास किया. सारी कोशिश अमरमणि त्रिपाठी को बचाने की थी. मधुमिता के परिवार के लोगों ने हार नहीं मानी. मधुमिता हत्याकांड की जांच सीबीआई को देने के लिए अदालत में गुहार लगाई. कोर्ट ने जांच सीबीआई को दे दी.

सीबीआई ने जांच में अमरमणि त्रिपाठी व उन की पत्नी मधुमणि सहित कई अन्य लोगों को घटना का जिम्मेदार माना. सीबीआई के पास सब से मजबूत सुबूत यह था कि मधुमिता के पेट में पल रहे बच्चे के डीएनए का मिलान अमरमणि से किया गया तो वह अमरमणि का बच्चा ही पाया गया. इस सुबूत के आधार पर अमरमणि व उन की पत्नी मधुमिता को आजीवन उम्रकैद की सजा दे दी गई. दोनों जेल में हैं. अपने अंतिम दिनों की प्रतीक्षा कर रहे हैं. सामान्य उम्रकैद की सजा 14 साल की होती है. रातदिन मिला कर 7 साल रहती है, जिस का मतलब यह होता है कि कैदी 7 साल के बाद आजाद हो जाता है. अमरमणि और उन की पत्नी मधुमणि को आजीवन उम्रकैद की सजा मिली जिस का अर्थ यह होता है कि उन को अब अपना बचा हुआ जीवन जेल के अंदर ही काटना है.

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