3 नवंबर, 2016 की रात हरदोई के पुलिस अधीक्षक राजीव मेहरोत्रा सरकारी काम से लखनऊ के थाना हजरतगंज आए थे. वह अपनी सरकारी सूमो गाड़ी भीड़भाड़ वाले इलाके हजरतगंज में खड़ी कर के काम निपटाने चले गए. ड्राइवर महेश कुमार गाड़ी के पास था. महेश को चाय पीने की तलब लगी तो वह सूमो के चारों दरवाजे लौक कर के चाय पीने चला गया. थोड़ी देर बाद जब वह चाय पी कर वापस लौटा तो गाड़ी वहां नहीं थी. यह देख महेश के पैरों तले की जमीन खिसक गई और वह परेशान हो गया. उस ने इधरउधर देखा, लेकिन गाड़ी कहीं दिखाई नहीं दी. महेश समझ गया कि वाहन चोरों ने एसपी साहब की सरकारी गाड़ी पर हाथ साफ कर दिया है. उस ने तुरंत फोन कर के एसपी राजीव मेहरोत्रा को इस मामले की जानकारी दी. सूचना मिलते ही एसपी राजीव काम बीच में ही छोड़ कर वहां लौट आए. थोड़ी ही देर में एसपी साहब की गाड़ी गायब होने की खबर लखनऊ के पूरे पुलिस डिपार्टमेंट में फैल गई.

आननफानन में कोतवाली पुलिस घटनास्थल पर पहुंच गई. पुलिस कंट्रोल रूम ने यह सूचना जिले के सभी थानों को दे दी थी. फलस्वरूप पुलिस ने राजधानी से जुड़े सभी सीमाई इलाकों की नाकेबंदी कर के वाहनों की चैकिंग शुरू कर दी. लेकिन देर रात तक चली चैकिंग के बाद भी सूमो का कहीं पता नहीं चला. वाहन चोर संभवत: सूमो को पहले ही लखनऊ से बाहर ले गए थे. इस संबंध में कोतवाली थाने में अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया.

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