उत्तर प्रदेश के जिला कासगंज का एक छोटा सा गांव है अभयपुरा. महावीर सिंह इसी गांव के संपन्न किसान बंसीलाल का बेटा था. इसी जिले के थाना मिरहची के अंतर्गत गांव कल्यानपुर में महावीर की बहन ब्याही थी. 5 अक्तूबर, 2016 को वह अपने घर से बहन के घर जाने के लिए निकला. बहन को उस ने यह खबर फोन कर के दे दी थी कि वह शाम तक पहुंच जाएगा.

जब शाम तक महावीर बहन के घर नहीं पहुंचा तो बहन ने महावीर की पत्नी केला देवी को फोन कर के पूछा, ‘‘भाभी, महावीर भैया आने को कह रहे थे, अभी तक नहीं आए.’’

‘‘वह तो सुबह ही यहां से मिरहची के लिए निकल गए थे. अभी तक नहीं पहुंचे तो कहां चले गए.’’ केला देवी बोली.

‘‘पता नहीं भाभी,’’ बहन बोली, ‘‘आप उन के दोस्तों को फोन कर के देखो. क्या पता दोस्तों के साथ हों.’’

केला देवी ससुर बंसीलाल के पास गई और यह बात उन्हें बता दी. बंसीलाल ने महावीर का फोन नंबर मिलाया तो वह स्विच्ड औफ आ रहा था. बंसीलाल की भी समझ में नहीं आया कि बेटा गया तो गया कहां. उन्होंने उस के दोस्तों को भी फोन कर के पूछा पर कहीं से भी उस के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली.

उन का दिल तेजी से धड़कने लगा, चिंता बढ़ने लगी. कुछ नहीं सूझा तो वह मोहल्ले के  1-2 लोगों को साथ ले कर थाना अमोपुर पहुंच गए. थानाप्रभारी विजय सिंह को उन्होंने बेटे महावीर के गायब होने की बात बताई.

थानाप्रभारी ने बंसीलाल को विश्वास दिलाया कि वह महावीर का जल्द पता लगा लेंगे. उस की गुमशुदगी लिखने के बाद पुलिस महावीर की तलाश में जुट गई. महावीर कोई दूध पीता बच्चा तो था नहीं, जिस से यह समझा जाता कि वह कहीं खो गया होगा. वह समझदार और शादीशुदा था.

पुलिस यह मान कर चल रही थी कि या तो किसी ने उस का अपहरण कर लिया होगा या फिर उस के गायब होने के पीछे प्रेम प्रसंग का मामला होगा.

थानाप्रभारी ने सब से पहले महावीर के फोन की काल डिटेल्स निकलवाई. इस के बाद उन्होंने उस के बारे में जांच की कि वह किस तरह का शख्स था. गांव में उस का किसकिस के साथ उठनाबैठना था.

इस जांच में थानाप्रभारी विजय सिंह को एक नई जानकारी यह मिली कि महावीर का बदन सिंह के घर कुछ ज्यादा ही आनाजाना था. उस की बीवी निर्मला के साथ उस के नाजायज संबंध थे. इस जानकारी के बाद वह बदन सिंह के घर पहुंचे तो बदन सिंह घर पर नहीं मिला. उस की पत्नी निर्मला ने बताया कि वह एक दिन पहले ही दिल्ली गए हैं. इस पर पुलिस ने उस का पता लगाने के लिए अपने मुखबिर लगा दिए.

3 हफ्ते बीत गए पर बदन सिंह के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली. इस दौरान पुलिस महावीर के बारे में अन्य स्रोतों से भी पता लगाने की कोशिश कर रही थी. 30 अक्तूबर, 2016 को एक मुखबिर ने थानाप्रभारी को बदन सिंह के बारे में एक खास सूचना दी. उस ने बताया कि बदन सिंह आज गांव के बाहर ईंट भट्ठे पर आएगा. इस खबर को सुन कर थानाप्रभारी पुलिस टीम के साथ गांव के बाहर ईंट भट्ठे पर पहुंचे तो वहां पर उन्हें बदन सिंह के साथ एक युवक और मिला.

पुलिस ने उन दोनों को हिरासत में ले लिया. बदन सिंह के साथ जो युवक था, उस ने अपना नाम मान पाल निवासी गांव सामंती बताया. थाने में उन दोनों से पूछताछ की गई तो बदन सिंह ने बताया कि महावीर सिंह उस का जिगरी दोस्त था, पर दोस्ती की आड़ में उस ने उस के साथ ऐसा गुनाह किया जो माफी के लायक नहीं था इसलिए हालात ऐसे हो गए कि उस की हत्या करानी पड़ी.

इस के बाद उस ने महावीर की हत्या की जो कहानी बताई, वह इस प्रकार थी—

महावीर कासगंज जिले के थाना अमापुर के एक छोटे से गांव अभयपुरा में रहता था. वह दिल्ली में नौकरी करता था, इसलिए उसे दिल्ली की हवा लगी हुई थी. उस के पिता के पास अच्छीखासी जमीन थी पर महावीर का खेती के काम में मन नहीं लगता था, इसलिए वह दिल्ली में नौकरी करता था. पिता ने उस की शादी एटा निवासी केला देवी से कर दी थी. बाद में वह एक बेटे का पिता बना जिस का नाम यशवीर रखा.

महावीर की गांव के कई हमउम्र लड़कों से दोस्ती थी. उन्हीं में से एक था बदन सिंह. बदन सिंह के पिता के पास भी अच्छीखासी खेती की जमीन थी. वह पिता के साथ खेती के काम में हाथ बंटाता था. बदन सिंह की शादी निर्मला से हो चुकी थी. बाद में वह भी 2 बच्चों का पिता बना.

महावीर और बदन सिंह एक तरह से लंगोटिया यार थे. महावीर महीने 2 महीने में जब भी दिल्ली से आता तो उस का ज्यादातर वक्त बदन सिंह के साथ ही बीतता था. घर आने पर बदन सिंह की पत्नी निर्मला महावीर की खूब खातिर करती थी. महावीर के दिल्ली चले जाने के बाद बदन सिंह भी खुद को अकेला महसूस करता था.

एक बार जब महावीर दिल्ली से गांव आया तो कुछ अलग ही घटित हो गया. वह अपने दोस्त बदन सिंह के घर पहुंचा तो उस की पत्नी निर्मला को देखता ही रह गया. वह बहुत सुंदर लग रही थी. महावीर के दिल में अजीब सी हलचल होने लगी.

वह निर्मला के नजदीक आने की ख्वाहिश रखने लगा. लेकिन उस के मन के किसी कोने में यह बात भी उठ रही थी कि क्या दोस्त की बीवी को ले कर ऐसी बातें सोचना सही है? उस ने निर्मला से अपने मन की बात नहीं कही और घर लौट आया. पर बारबार निर्मला की चाहत उसे बेचैन किए जा रही थी. उसे परेशान देख कर पत्नी केला देवी ने उस से परेशानी की वजह पूछी पर उस ने कोई जवाब नहीं दिया.

महावीर ने गांव के कई लड़कों को दिल्ली ले जा कर नौकरी पर लगवाया था. कुछ सोच कर उस ने इस बार बदन सिंह को भी दिल्ली चल कर नौकरी करने को कहा, लेकिन बदन सिंह ने साफ इनकार कर दिया.

मन में अजीब सी कशमकश लिए महावीर दिल्ली चला तो गया लेकिन वहां उस का मन नहीं लगा. निर्मला उस के जेहन में हलचल मचाती रही. 15 दिन बाद उस ने फिर छुट्टी ली और घर आ गया. इतनी जल्दी घर लौटने पर घर वालों ने पूछा तो उस ने तबीयत खराब होने का बहाना बना दिया.

महावीर को मालूम था कि बदन सिंह दोपहर के समय खेतों पर चला जाता है और फिर शाम ढले ही लौटता है. इसी मौके का फायदा उठा कर वह निर्मला का दिल टटोलना चाहता था. अगले दिन दोपहर में वह नहाधो कर तैयार हुआ और पत्नी से यह कह कर घर से निकल गया कि वह डाक्टर के पास दवा लेने जा रहा है. अपने घर से वह सीधा बदन सिंह के घर पहुंचा.

अचानक महावीर को आया देख कर निर्मला बोली, ‘‘अरे देवरजी, तुम इतनी जल्दी दिल्ली से आ गए.’’

‘‘आप को देखने का दिल कर रहा था, इसलिए आ गया.’’ महावीर ने मजाक किया. उस की बात पर निर्मला हंसते हुए बोली, ‘‘आप तो बड़े मजाकिया हो.’’ कह कर निर्मला रसोई में गई और फिर कुछ देर में उस के लिए चाय बना कर ले आई.

महावीर चुपचाप चाय पीने लगा. उस के दिमाग में यही बात घूम रही थी कि अपने मन की बात उस से कैसे कहे. तभी निर्मला ने उस से पूछा, ‘‘चुप क्यों हो, क्या हमारी देवरानी से झगड़ा हुआ है?’’

‘‘नहीं भाभी, ऐसी कोई बात नहीं है. दरअसल, मेरी तबीयत कुछ ठीक नहीं थी पर आप की इस चाय ने मुझे भलाचंगा कर दिया है.’’

‘‘क्यों, हमारी देवरानी को चाय बनानी भी नहीं आती क्या?’’ कहते हुए निर्मला हंसी.

‘‘नहीं भाभी, वो सब तो ठीक है पर बहुत सी बातें हैं जो आप को आती हैं और उसे नहीं आतीं. भाभी, कभी आप ने खुद को आईने के सामने गौर से देखा है. आप जितनी सुंदर हैं, पूरे गांव में इतनी सुंदर औरत कोई नहीं है.’’ महावीर ने तारीफ की.

‘‘ओह देवरजी, बहुत हो गया. अब मुद्दे पर आ जाओ. आखिर इतनी तारीफें क्यों कर रहे हो. कहीं कुछ गड़बड़ तो नहीं है?’’ निर्मला हंसते हुए बोली.

 

इस से महावीर की थोड़ी हिम्मत बढ़ी, तभी उस ने आगे बढ़ कर निर्मला का हाथ पकड़ लिया. महावीर की इस हरकत से निर्मला को झटका सा लगा. उस ने अपना हाथ छुड़ाते हुए कहा, ‘‘ये सब क्या है?’’

‘‘भाभी, मैं खुद को रोक नहीं पा रहा हूं. पर यह सच है कि मैं आप से बहुत प्यार करता हूं.’’

‘‘अजीब आदमी हो, तुम जानते हो कि अगर तुम्हारे दोस्त को पता चल गया तो क्या होगा? लगता है तुम्हारी तबीयत सचमुच ठीक नहीं है इसलिए अभी अपने घर चले जाओ और आराम करो.’’  निर्मला ने नसीहत दी.

महावीर ने तो सोचा था कि वह अपनी मीठीमीठी बातों से निर्मला को बहला लेगा पर पासा उलटा पड़ गया. वह अपमानित सा वहां से चला आया और घर में आ कर सिर पकड़ कर बैठ गया.

केला चाय बना कर ले आई और पूछा, ‘‘दवा ले आए?’’

‘‘नहीं, डाक्टर की दुकान बंद थी.’’

केला कुछ नहीं बोली. महावीर चाय पी कर चादर ओढ़ कर लेट गया. उसे इस बात का डर था कि अगर निर्मला ने अपने पति को उस के बारे में बता दिया तो तूफान आ जाएगा. पर रात तक कुछ नहीं हुआ तो महावीर ने चैन की सांस ली. अगले दिन महावीर दिल्ली चला गया.

बेशक निर्मला ने उस के प्यार को स्वीकार नहीं किया था फिर भी दिल्ली में उस का मन नहीं लगा. आखिर नौकरी छोड़ कर वह घर लौट आया.

सामान सहित घर लौटे महावीर को देख कर घर वाले चौंके. पत्नी ने पूछा, ‘‘ये सब क्या है?’’

‘‘तुम हमेशा कहती थी न कि मैं खेती देखूं. अब हम साथसाथ रहेंगे. सच कहूं केला, तुम्हारे और यशवीर के बिना मेरा दिल्ली में दिल नहीं लगता था इसलिए चला आया.’’ महावीर ने कहा. पर इस की असल वजह उस के अलावा कोई नहीं जानता था.

बदन सिंह ने जब निर्मला को बताया कि महावीर नौकरी छोड़ कर आ गया है तो वह उस के गांव लौटने की असल वजह समझ गई.

निर्मला ने उस दिन महावीर का प्रस्ताव ठुकरा दिया था पर बाद में न जाने क्यों उस का झुकाव महावीर की ओर हो गया था. उसे अब अपने किए का पछतावा हो रहा था. उस का मन कर रहा था कि वह महावीर से इस  के लिए माफी मांगे. इसी तरह के विचार उसे बेचैन कर रहे थे.

आखिर निर्मला को एक तरीका सूझा. उस ने पति का मोबाइल चैक किया तो उसे उस में महावीर का नंबर मिल गया. दोपहर को जब बदन सिंह खेत पर चला गया तो उस ने महावीर का नंबर मिलाया. महावीर ने हैलो कहा तो निर्मला के दिल की धड़कनें तेज होने लगीं. तभी महावीर ने कहा, ‘‘अरे भाई बोलो भी, चुप क्यों हो.’’

तभी निर्मला ने हैलो कहा तो महावीर के दिल में घंटियां सी बजने लगीं. निर्मला अब सीधेसीधे मुद्दे पर आ गई. उस ने कहा, ‘‘आग लगा कर अब दूर क्यों भाग रहे हो?’’

‘‘ये क्या कह रही हो भाभी, मैं ने क्या किया?’’ वह नासमझ बनते हुए बोला.

‘‘ओह, तो यह भी हम ही बताएं कि तुम ने किया क्या है. यहां हम बेचैन हो रहे हैं और तुम वहां मौज कर रहे हो. अच्छा, सुनो आज रात को घर आ जाना. तुम्हारे दोस्त बाहर जा रहे हैं.’’

महावीर का हाल अजीब था. दिल की धड़कनें बेकाबू हो रही थीं. उस ने अच्छा कह कर फोन काट दिया और सोचने लगा कि क्या सचमुच निर्मला भी उसे चाहने लगी है. दिन भर वह सोच में रहा. न ठीक से खाया न ही खेत पर चैन मिला. वह बड़ी बेसब्री से रात होने का इंतजार करने लगा.

आखिर रात आ ही गई. घर वाले जब सो गए तो महावीर चुपचाप दरवाजा खोल कर बाहर निकल गया. वह बदन सिंह के दरवाजे पर पहुंचा तो दरवाजा भिड़ा हुआ था. हलका का धक्का देते ही वह खुल गया. जैसे ही वह अंदर गया तो निर्मला कमरे से निकल आई. महावीर को देख कर वह खुश हो गई और दरवाजे की कुंडी लगा दी. वह कमरे में महावीर के पास आ कर बोली, ‘‘इस आशिकी के चक्कर में तुम क्यों 2 परिवारों को बरबाद करना चाहते हो. जानते तो हो मेरे 2 बच्चे हैं.’’

‘‘जानता हूं, पर इस दिल का क्या करूं जो मानता ही नहीं है.’’ महावीर ने कहा.

‘‘क्या तुम सचमुच मेरे प्रति गंभीर हो?’’ निर्मला ने पूछा, ‘‘केला का क्या होगा, सोचा है कभी.’’

‘‘हां, बिलकुल गंभीर हूं. उस की चिंता मत करो. वह भी अपने बारे में सोच ही लेगी.’’ कहते हुए महावीर ने निर्मला को खींच कर गले से लगा लिया. महावीर के आगोश में निर्मला ने भी समर्पण कर दिया. उस ने अपनी जिंदगी की नाव को तूफान के हवाले कर दिया.

इस के बाद दोनों ने अपनी हसरतें पूरी कीं. इस से उन्हें संतुष्टि भले ही हासिल हुई होगी पर यह बात सच थी कि उन्होंने जो काम किया, उस से उन के पारिवारिक रिश्तों की बुनियाद हिलने की शुरुआत हो चुकी थी.

देर रात महावीर घर पहुंचा तो घर में सभी को सोते देख कर उस ने राहत की सांस ली. अब महावीर और निर्मला की आशिकी मोबाइल के जरिए चलने लगी. दोनों मिलने का समय तय कर लेते और समय निकाल कर एकदूसरे की बांहों में खो जाते.

पत्नी के कृत्य से बदन सिंह तो अभी तक बेखबर था पर केला को लगने लगा था कि जरूर कुछ गड़बड़ है. फिर गांव के एक युवक ने केला से कह भी दिया, ‘‘भाभी, महावीर भैया का बदन सिंह के घर ज्यादा आनाजाना ठीक नहीं है. लोग उन के बारे में तरहतरह की बातें करते हैं.’’

केला के पति की बदन सिंह से काफी पुरानी दोस्ती थी. इसी वजह से लोगों ने उस के बारे में कभी कुछ नहीं कहा. वह सोचने लगा कि अब ऐसी क्या बात हो गई जो लोग तरहतरह की बातें करते हैं. यही बात केला के दिमाग में घूमने लगी. एक दिन कपडे़ धोते समय महावीर की जेब में निर्मला का फोटो मिला तो उस का शक और भी गहरा गया. वह सोचने लगी कि पति से कैसे पूछे. उसे अपना और बेटे यशवीर का भविष्य खतरे में नजर आने लगा.

एक रात जब केला की नींद खुली तो महावीर बिस्तर से नदारद था. उस का दिल तेजी से धड़कने लगा. महावीर बाहर से देर रात आया और बिस्तर पर लेटने लगा तो वह बोली, ‘‘आ गए, उस से मिल कर?’’

महावीर के पैरों तले से जमीन खिसकने लगी. वह बात को छिपाते हुए बोला, ‘‘मैं तो बाहर हवा खाने गया था.’’

केला ने कुछ नहीं कहा. इस के पीछे उस की मजबूरी यह थी कि उस के मातापिता का देहांत हो चुका था. एक भाई था. सोचा अगर पति ने छोड़ दिया तो वह बच्चे को ले कर कहां जाएगी. इसलिए वह चुप रही.

अगले दिन सुबह उसे लगा कि पति से उस की दूरी बढ़ चुकी है. खाना खाते समय भी महावीर ने उस से बात नहीं की. महावीर के दिल में भी अपराधबोध था पर वह अपने दिल का क्या करता जो निर्मला के पल्लू में बंधा हुआ था.

काफी देर बाद आखिर केला ही चुप्पी तोड़ते हुए बोली, ‘‘जो तुम कर रहे हो, ठीक नहीं है.’’

‘‘मैं क्या कर रहा हूं. तुम क्या कह रही हो, मैं समझा नहीं.’’ वह बोला.

‘‘लेकिन मैं सब कुछ समझ रही हूं विनाश काल में बुद्धि विपरीत हो जाती है. डरती हूं कि कहीं तुम्हारा भी यही हाल न हो.’’

इस बीच बदन सिंह को भी पता चल गया कि उस की पत्नी के संबंध महावीर के साथ हैं. दोस्त के इस विश्वासघात पर बदन सिंह को बड़ा गुस्सा आया. उस ने महावीर से तो कुछ नहीं कहा पर पत्नी पर निगाह रखने लगा. बदन सिंह एक दिन दोपहर में घर लौटा तो घर में महावीर को देख कर उस के तनबदन में आग लग गई. उस ने महावीर को बाहर का रास्ता दिखाते हुए कहा, ‘‘अब कभी भी मेरी गैरमौजूदगी में मेरे घर मत आना.’’

महावीर घबरा गया, ‘‘यह क्या कह रहे हो दोस्त, मैं तो तुम से मिलने आया था.’’

‘‘तो फिर खेत पर मिलते.’’ कहते हुए बदन सिंह ने महावीर का हाथ पकड़ कर बाहर निकाला और दरवाजा बंद कर दिया.

निर्मला अवाक रह गई. वह बोली, ‘‘ये तुम ने ठीक नहीं किया.’’

बदन सिंह उसे घूरते हुए बोला, ‘‘अगर तुम नहीं संभली तो मैं इस से भी ज्यादा बुरा कर दूंगा.’’

निर्मला ने फोन द्वारा महावीर को सतर्क किया और इस के बाद दोनों अमापुर जा कर मिलने लगे. साथ ही उन्होंने घर से भाग जाने की योजना बना ली. बदन सिंह को पता चल गया कि निर्मला महावीर के साथ भाग जाना चाहती है. यदि ऐसा हो जाता तो उस की समाज में बहुत बदनामी होती. इस से पहले कि वह ऐसा कोई कदम उठाती, बदन सिंह ने महावीर को ही ठिकाने लगाना बेहतर समझा.

वह अपने एक दोस्त मान पाल निवासी गांव सामंती, थाना सोरों से मिला और अपनी परेशानी बताई. मान पाल ने उस का साथ देने का वादा किया. इस के बाद दोनों मौके की तलाश में लग गए. इसी बीच उन्हें पता चला कि 5 अक्तूबर, 2016 को महावीर को कल्याणपुर स्थित अपनी बहन के घर जाना है.

उस दिन बदन सिंह और मानपाल महावीर के घर से बाहर निकलने का इंतजार करने लगे. महावीर जैसे ही घर से निकला, दोनों पीछे लग गए. मानपाल ने महावीर से बात की और उसे बहलाफुसला कर शराब के ठेके पर ले आया. उस ने महावीर को खूब शराब पिलाई. इसी बीच बदन सिंह भी वहां आ गया और दोनों उसे ई-रिक्शा में डाल कर तबल नगला के जंगल में ले गए.

जंगल में पहुंचने पर उन्होंने महावीर को उतार कर ई-रिक्शा चालक को पैसे दे कर भेज दिया और महावीर को मार डाला और लाश को वहीं डाल कर भाग खड़े हुए. जिस अंगौछे से गला घोंट कर उस की हत्या की गई थी, उसे उस के गले में ही रहने दिया.

बदन सिंह दिल्ली चला गया था लेकिन उस के पास पैसे खत्म हो चुके थे. अत: उस ने मान पाल से कहा कि वह पैसों का इंतजाम कर के उसे अमापुर में भट्ठे पर मिले. यह बात मुखबिर को पता लग गई. उसी मुखबिर के इशारे पर दोनों पुलिस के हत्थे चढ़ गए.

बदन सिंह की निशानदेही पर पुलिस ने महावीर का कंकाल और गले में पड़ा अंगौछा बरामद कर लिया. पुलिस ने भादंवि की धारा 346, 302, 201, 120बी और 404 के तहत बदन सिंह और मान पाल को गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया. निर्मला की आशिकी में उसे कुछ हासिल नहीं हुआ, 2 परिवार जरूर बरबाद हो गए.  

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