संजय को विदेश जाना था, जाने के लिए वह घर से निकला भी था. लेकिन विदेश जाने के बजाए उस की लाश नदी में तैरते दिखी. तो क्या संजय के साथ यह सब उस के अपनों ने ही…
रात्रि गश्त के बाद राजनगर थाने के इंचार्ज राजेश कदम सुबह 5 बजे अपने साथियों के साथ गपशप कर रहे थे. ‘चलो आज की रात तो ठीक कट गई. अब घर जा कर थोड़ा आराम करेंगे.’ राजेश कदम इत्मीनान की सांस लेते हुए कह रहे थे.
‘अरे सर, नहाइएगा कैसे? आज तो नलों में पानी ही नहीं आ रहा. राजनगर में पानी की किल्लत को देखते हुए पिछले 15 दिनों से एक दिन छोड़ कर एक दिन पानी सप्लाई किया जा रहा है. आज तो आप को ड्राईक्लीन ही करना पड़ेगा.’ एक सहयोगी बोला तो सभी ठहाका मार कर हंस पड़े.
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अप्रैल का महीना होने के कारण सुबह 5 बजे ही हलकी रोशनी आने लगी थी, तभी एक अधेड़ उम्र का आदमी थाने में घुसा और राजेश कदम के पास आ कर बोला ‘‘साहब, उधर नदी में एक लाश पड़ी है. शायद किसी ने पुल से कूद कर आत्महत्या कर ली है.’’
‘‘लो, यहां पीने का पानी नहीं मिल रहा और लोग डूब कर पानी गंदा कर रहे हैं.’’ सहयोगी फिर मजाक करते हुए बोला.
उस व्यक्ति ने आगे बताया, ‘‘मैं रोज की तरह आज भी उधर मौर्निंगवौक के लिए गया था. तभी मुझे नदी पर बनी पुलिया से नीचे लाश दिखाई दी और मैं आप को सूचना देने चला आया.’’
‘‘चलो मौके का मुआयना करते हैं.’’ राजेश ने अपनी टीम को निर्देश दिया.
थोड़ी देर में पुलिस टीम उस व्यक्ति के साथ घटनास्थल पर पहुंच गई. मृतक की उम्र लगभग 35-36 साल थी. उस के कपड़ों से उस की आर्थिक स्थिति अच्छी लग रही थी. लेकिन उस की जेब से कोई पर्स, मोबाइल, सुसाइड नोट बरामद नहीं हुआ.
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पुलिस ने प्राथमिक जांच के बाद मृतक के कई एंगल से फोटोग्राफ्स लेने के बाद लाश पोस्टमार्टम के लिए भेज दी.
‘‘सामान्यत: लाश को तल से ऊपर आने में 6 से 8 घंटे का समय लगता है. मतलब उस आदमी ने आत्महत्या रात के लगभग 11 बजे की होगी. गर्मियों में प्राय: इतने समय तक लोग ठंडी जगहों पर नहीं घूमते. मतलब किसी ने उसे कूदते और डूबते हुए नहीं देखा होगा.’’ राजेश कदम आश्चर्य से बोले.
‘‘शायद इस ने सब कुछ सेट करने के बाद छलांग लगाई होगी.’’ साथी सुरेश ने कहा.
‘‘जेब में मोबाइल, पर्स भी नहीं था मतलब आसपास का ही रहने वाला होना चाहिए.’’ राजेश ने संभावना व्यक्त की.
‘‘जरूर, ऐसा संभव है.’’ सुरेश बोला.
इस बीच 3 दिन बीत गए.
‘‘सुरेश, 2 दिन हो गए, नदी से मिली उस लाश के बारे में पता चला?’’ इंसपेक्टर राजेश ने औफिस में प्रवेश करते हुए अपने सहायक से पूछा.
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‘‘सर, काफी कोशिशों के बाद भी उस आदमी का कोई पता ठिकाना नहीं मिला. आसपास के थाना क्षेत्रों में भी गुमशुदगी की कोई रिपोर्ट दर्ज नहीं है.’’ सुरेश ने उत्तर दिया.
‘‘आसपास के होटल्स, लौज, गेस्ट हाउस में भी इंक्वारी कर लो शायद कोई क्लू मिल जाए.’’ इंसपेक्टर राजेश ने निर्देशित किया.
‘‘सर, इन जगहों पर भी इंक्वारी की जा चुकी है. पर कहीं भी ऐसा कोई आदमी नहीं ठहरा.’’ सुरेश ने आगे बताया.
‘‘चलो ठीक है, वक्त ही बताएगा कि यह शख्स कौन है? वैसे पोस्टमार्टम रिपोर्ट क्या कहती है?’’ राजेश ने जिज्ञासा से पूछा.
सुरेश ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट राजेश कदम के सामने रखते हुए कहा, ‘‘सर, रिपोर्ट के मुताबिक मौत पानी में डूबने के कारण दम घुटने से हुई है. मतलब आत्महत्या.’’ सुरेश ने विवरण दिया.
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‘‘सुरेश, तुम ने यह रिपोर्ट ठीक से पढ़ी नहीं है. कोई भी निष्कर्ष निकालने से पहले रिपोर्ट को ठीक से पढ़ लेना चाहिए.’’ इंसपेक्टर राजेश कदम ने नाराजगी जाहिर की.
‘‘क्यों सर? कुछ गड़बड़ है क्या?’’ सुरेश सहमा हुआ सा बोला.
‘‘रिपोर्ट में साफ लिखा है मौत 18 से 24 घंटे पूर्व पानी में दम घुटने के कारण हुई है. दूसरे मृतक के दाहिने हाथ की कलाई के ऊपर की हड्डी के बारे में लिखा है, फाउंड बैडली डैमेज्ड. मतलब यह आत्महत्या नहीं हत्या है.’’ राजेश कदम अपने निष्कर्षों के साथ बोले.
‘‘यह भी तो हो सकता है ऊपर से कूदने के कारण पानी की चोट से हाथ की हड्डी टूट गई हो.’’ सुरेश ने अपना शक जाहिर किया.
‘‘उस स्थिति में हड्डी लिनियर अरेंजमेंट में ब्रेक होती है, जिसे फ्रैक्चर कहा जाता है. बैडली डैमेज मतलब हड्डी का कई टुकड़ों में टूटना.’’ इंसपेक्टर राजेश ने विस्तार से समझाया.
‘‘मतलब मारने से पहले मृतक पर किसी ऐसी चीज से वार किया गया, जिस से हड्डी तो टूट गई पर खून नहीं निकला. फिर उसे नदी में फेंक दिया गया ताकि वह तैर ना सके और डूब कर मर जाए.’’ सुरेश ने अपने शक की थ्योरी जाहिर की.
‘‘शायद.’’ राजेश ने बिना उत्साह दिखाए ठंडेपन से कहा. लेकिन यह आदमी इस नदी में डूबने से नहीं मरा. राजेश ने फिर अपना शक जाहिर किया.
‘‘वो कैसे सर?’’ सुरेश ने हैरानी से पूछा. ‘‘वो ऐसे कि लाश हमें सुबह 6 बजे के करीब मिली और पोस्टमार्टम उस के 4 घंटे बाद हुआ, मतलब 10 बजे. और मौत हुई उस के 18 से 24 घंटे पहले यानी सुबह 10 से शाम 4 बजे के बीच. मालूम है न, इसी समय के बीच पुल पर हैवी ट्रैफिक रहता है.’’
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इंसपेक्टर कदम ने अपनी बात जारी रखी, ‘‘आश्चर्य की बात ये है कि इतनी भीड़ में से किसी ने भी उसे कूदते हुए नहीं देखा. दूसरे अगर वह आदमी आत्महत्या करता तो उस की जेब में पर्स, मोबाइल या कम से कम रूमाल जैसी बेसिक चीजें तो मिलनी ही चाहिए थीं.’’
‘‘मतलब हत्या लूट के लिए की गई है.’’ सुरेश ने पूछा.
‘‘शायद, सही कारण तो हत्यारा ही बता सकता है.’’ राजेश कदम बोले.
‘‘तो फिर आप बताइए, अब क्या किया जाए?’’ सुरेश ने प्रश्न किया.
‘‘वाइड सर्कुलेशन वाले न्यूज पेपर में फोटो दे कर विज्ञापन दिया जाए. शायद कोई इस शख्स को पहचानने वाला मिल जाए.’’ राजेश ने निर्देश दिया.
‘‘राइट सर,’’ कहते हुए सुरेश औफिस के बाहर निकल गया.
2 दिन बाद राजेश के औफिस में प्रवेश करते हुए सुरेश ने कहा, ‘‘सर, आज के न्यूजपेपर में उस डैडबौडी का विज्ञापन छपवा दिया है.’’
‘‘गुड, अब शायद कोई क्लू मिल जाए.’’ इंसपेक्टर कदम ने उम्मीद जताई. अभी दोनों बातें कर ही रहे थे कि एक सिपाही ने आ कर सूचना दी, ‘‘सर, अमलतास हाउसिंग सोसाइटी का सिक्योरिटी गार्ड आप से मिलना चाहता है. उस का कहना है कि वह अखबार में छपे फोटो को पहचानता है.’’
‘‘अच्छा, अमलतास हाउसिंग सोसाइटी तो पुलिस स्टेशन के पास ही है. भेजो उस को.’’ राजेश कदम ने आदेश दिया.
‘‘सर, मेरा नाम सुमेर सिंह और मैं अमलतास हाउसिंग सोसाइटी का सिक्योरिटी गार्ड हूं. मैं मरे हुए इन साहब को जानता हूं. इन का नाम संजय देव है और यह सोसाइटी के सिक्स्थ फ्लोर पर पांचवें फ्लैट में रहते थे.’’ सिक्योरिटी गार्ड विवरण दिया.
‘‘यह आदमी क्या करता था और इस की फैमिली में और कौनकौन है?’’ सुरेश ने प्रश्न किया.
‘‘सर, इन का विदेश में कोई बिजनैस है. महीने 2 महीने में 8-10 दिनों के लिए इंडिया आते हैं. पिछले 5 सालों की मेहनत के बाद अब वहां इन के बिजनैस ने रफ्तार पकड़ ली है. इसीलिए कुछ समय के बाद अपने परिवार के साथ वहां शिफ्ट हो जाना चाहते थे. परिवार में सिर्फ उन की पत्नी हैं.’’ सुमेर सिंह ने बताया.
‘‘तुम्हें यह सब कैसे मालूम?’’ सुरेश ने अगला सवाल किया.
‘‘मैडम को सिगरेट सख्त नापसंद है. इसीलिए सर अकसर खाना खाने के बाद और सुबह वाक के पहले सिगरेट पीने के लिए सिक्योरिटी औफिस में आ जाया करते थे. बातों ही बातों में उन्होंने यह सब जानकारी मुझे दी थी. वह सौ पचास रुपए की बख्शीश भी दिया करते थे.
‘‘सब से आश्चर्य की बात यह है कि संजय सर 7 दिन पहले विदेश जाने के लिए सुबह 6 बजे टैक्सी से निकले थे. उन्होंने मुझे सौ रुपए भी दिए थे. फिर अचानक डूब कैसे गए?’’ सुमेर सिंह आश्चर्य से बोला.
‘‘क्या मैडम भी उन्हें छोड़ने के लिए गई थी?’’ सुरेश ने पूछा.
‘‘नहीं सुबह साढ़े 6 बजे मैडम जिम जाती हैं. शायद इसी वजह से नहीं गईं. संजय सर के जाने के कुछ देर बाद ही मैडम स्कूटी से जिम चली गई थीं.’’ सुमेर सिंह ने बताया.
‘‘क्या तुम्हें पक्का यकीन है कि यह संजय देव हैं?’’ राजेश कदम ने फोटो की ओर इशारा कर के पूछा. वह अपनी तरफ से कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते थे.
‘‘सौ परसेंट सर, बल्कि उस से भी अधिक. साहब ने जाते वक्त वही कपड़े पहने थे जो फोटो में हैं.’’ सुमेर सिंह पूरे विश्वास के साथ बोला.
‘‘मतलब अब मैडम से बात करनी होगी. सुमेर सिंह हमारे साथ चलो, तुम्हारी मैडम से मुलाकात करते हैं.’’ इंसपेक्टर राजेश कदम पुलिसिया अंदाज में बोला.
राजेश कदम अपनी टीम के साथ सुमेर सिंह के साथ बताए गए पते पर जा पहुंचे. फ्लैट की घंटी बजाने पर एक महिला ने दरवाजा खोला.
‘‘मेरा नाम राजेश कदम है और मैं राजनगर पुलिस स्टेशन का इंचार्ज हूं. क्या मैं संजय देव की पत्नी से मिल सकता हूं.’’ राजेश कदम ने अपना परिचय देते हुए आने का मकसद जाहिर किया.
‘‘जी, मैं ही संजय देव जी की वाइफ सीमा हूं.’’ महिला ने जवाब देते हुए कहा, ‘‘आइए अंदर आइए.’’
‘‘क्या संजय देव जी घर पर हैं?’’ राजेश ने पूछा.
‘‘जी नहीं. संजय अकसर अपने काम के सिलसिले में विदेश जाते रहते हैं. अभी 7 दिनों पहले ही गए हैं.’’ महिला ने जवाब दिया.
‘‘वह जहां जाने वाले थे, क्या वहां पहुंच गए? आप की उन से बात हुई?’’ राजेश ने अगला सवाल किया.
‘‘जी हां, संजयजी जहां जाने वाले थे, कुशलता से वहां पहुंच गए हैं. कुछ तकनीकी कारणों से उन की वहां की लोकल सिम इनएक्टिव हो गई है. इसलिए इंडियन नंबर पर व्हाट्सएप के थू्र रोजाना बात हो रही है. यह देखिए.’’ कहते हुए सीमा ने अपना मोबाइल राजेश कदम के सामने रख दिया.
जिस नंबर से व्हाट्सएप पर बातें हुई थीं वह नंबर डियर हब्बी के नाम से सेव था. राजेश कदम उस कनवर्सेशन को चैक कर ही रहा था कि सीमा बोल पड़ी, ‘‘यह हसबैंड और वाइफ के बीच की बातें हैं आप ना ही पढ़े तो ही बेहतर होगा.’’
‘‘जी बिलकुल, मैं आप लोगों के बीच की बातें नहीं पढूंगा. मैं तो लास्ट चैट का समय देख रहा था जो आप का ही है. चैट पढ़ने का काम तो हमारी यह लेडी कांस्टेबल मधु करेगी.’’ कहते हुए राजेश ने मोबाइल मधु की तरफ बढ़ाते हुए कहा, ‘‘मिस मधु, इस नंबर पर घंटी दीजिए और कोई फोन उठाए तो उस से बातें करिए.’’
‘‘यस सर.’’ कहते हुए मधु ने फोन ले लिया और नंबर डायल करने लगी. एक दो रिंग जाने के बाद उधर से किसी ने फोन उठा लिया.
‘‘हैलो.’’ उधर से आवाज आई.
‘‘हैलो, यहां पर पुलिस आ गई है.’’ मधु ने घबराई हुई आवाज का अभिनय करते हुए कहा.
‘‘देखो उन्हें कुछ मत बताना. तुम अपने बयानों पर कायम रहोगी तो कुछ समय बाद वह लोग लौट जाएंगे. फिर हम अपनी अगली रूपरेखा तैयार करेंगे.’’ उधर से आवाज आई.
राजेश ने मधु को कुछ इशारा किया जिसे मधु समझ गई.
‘‘अभी तो मैं ने व्हाट््सअप की चैट दिखा कर उन्हें टरका दिया है. तुम जल्दी से फ्लैट पर आ जाओ. मुझे बहुत डर लग रहा है.’’ मधु ने अपना अभिनय जारी रखते हुए कहा.
‘‘ठीक है आता हूं.’’ उधर से आवाज आई.
‘‘अब तो बता दीजिए सीमा देवी यह डियर हब्बी कौन है? और कौन से देश से उड़ कर आ रहे हैं. ये आप नहीं बताएंगी तो हमारे साथ समझावन सिंह जी भी हैं.’’ राजेश मधु के हाथ की तरफ इशारा करते हुए बोला, ‘‘यह मसझावन सिंह अच्छेअच्छे अपराधियों को समझा देते हैं.’’
सीमा समझ चुकी थी कि उस का झूठ पकड़ा जा चुका है. वह रोते हुए बोली, ‘‘यह जिम इंस्ट्रक्टर राजन है. हमारी रिलेशनशिप कालेज के जमाने से है.’’
कुछ ही देर में राजन भी फ्लैट पर आ गया. दरवाजा खुलते ही सीमा को पुलिस पार्टी से घिरा देख कर वह समझ गया कि उस का पर्दाफाश हो चुका है.
‘‘देखो राजन सीमा तो हमें बस कुछ बता चुकी है. अब तुम अपने मुंह से पूरा घटनाक्रम बताओ.’’ इंसपेक्टर राजेश कदम ने राजन को डांटते हुए कहा.
‘‘सर, उस दिन संजय के एरोड्रम जाने के बाद सीमा जिम पर आई, चूंकि हम लगभग 2 हफ्तों से नहीं मिले थे, इसलिए लगभग 9 बजे सीमा के फ्लैट पर आ गए. उधर कुछ तकनीकी गड़बड़ी के चलते संजय की फ्लाईट 24 घंटे के लिए डिले हो गई.
‘‘एयरलाइंस ने सभी पैसेंजर्स के रुकने की व्यवस्था एक होटल में की थी. परंतु संजय होटल में ना रुक कर सीमा को सरप्राइज देने के लिए बिना सूचना के घर चला आया. उसे लो बीपी की प्रौब्लम रहती थी. शायद इसीलिए मुझे अपने बेडरूम में देख कर उसे चक्कर आ गया और वह निढाल हो कर गिर गया.
‘‘होश में आने पर संजय क्या करेगा यह तो निश्चित नहीं था. परंतु इतना तो निश्चित था कि संजय सारी प्रौपर्टी वापस ले लेगा जो उस ने सीमा के नाम से ले रखी थी और जिस की कीमत करोड़ों में थी. मैं ने उसे मारने का प्रस्ताव रखा किंतु हमारे पास कोई हथियार नहीं था.
‘‘शहर में पानी की कमी होने के कारण सीमा एक बाथरूम में काफी मात्रा में पानी इकटठा कर के रखती थी, उन्हीं में से एक डेढ़ फीट चौड़ा और 4 फीट लंबा टब भी था. मैं तुरंत निढाल संजय को घसीट कर उस बाथरूम में ले गया और उस का मुंह पानी में डुबो दिया.
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‘‘मुंह पर पानी लगते ही संजय को होश आ गया और वह बचने के लिए हाथपैर फेंकने लगा. तब सीमा उसे कंट्रोल करने के नजरिए से उस के दोनों पैरों पर बैठ गई. मैं ने भी अपने पैरों से उस के एक हाथ और अपने दोनों हाथों से उस की गर्दन पकड़ रख थी. लगभग 10 मिनट के संघर्ष के बाद संजय शांत हो गया.
‘‘उस की पहचान छुपाने के नजरिए से हम ने उस का मोबाइल, पर्स और दूसरा सामान निकाल लिया. चूंकि हम ने उसे पानी में डूबो कर मारा था. अत: सब से आसान यही था कि हम उसे नदी में डूबो दें ताकि पुलिस भी उसे आत्महत्या ही समझे.
‘हमारी धारणा थी कि लाश 6 घंटे से 8 घंटों में ऊपर आएगी. तब तक या तो मछलियां लाश का चेहरा बिगाड़ चुकी होंगी या लाश इतनी गल चुकी होगी कि उसे पहचान पाना मुश्किल होगा. इसीलिए रात के लगभग 2 बजे हम ने संजय की ही कार से उस की लाश को पुल पर से नदी में गिरा दिया था. पता नहीं कैसे उस की लाश इतनी जल्दी ऊपर आ गई.’’ राजन पूरी घटना का खुलासा करते हुए हैरानी से बोला.
‘‘वो हम बताते हैं.’’ राजेश कदम बोले, ‘‘जब तुम ने संजय को पानी में डूबो कर मारा तो उस की सांसें अंदर ही अटकी रह गई. सारी हवा उस के फेफड़ों में भर गई और इसी वजह से उस के फेफड़ों ने हवा के एक गुब्बारे या बुलबुले का रूप ले लिया. गरमी का मौसम होने के कारण मरने के बाद उस के शरीर के इंटरनल बौडी पार्ट्स भी डिकंपोज होने लगे और इसी से कुछ गैस बौडी के दूसरे पार्ट्स में भर गई. यही वजह रही कि संजय की लाश बुलबुले के रूप में जल्दी ही सतह पर आ गई.’’
‘‘पर सर, एक बात समझ में नहीं आई. हाथ की हड्डी का चूरा कैसे हुआ?’’ सुरेश ने आश्चर्य और प्रश्नवाचक निगाहों से राजेश की तरफ देखा.
‘‘भाई राजन, तुम ही इस रहस्य से परदा उठाओ. मैं तो वहां था नहीं.’’ राजेश ने राजन की तरफ देखते हुए कहा.
‘‘जब मैं ने एक हाथ को अपने पैरों से दबा लिया तो संजय बचने के लिए तेजी से दूसरा हाथ चलाने लगा. उस का हाथ वहीं पर लगे लोहे के पाइप से पूरी ताकत के साथसाथ बारबार टकराने की वजह से उस की हड्डी टूट कर चूरा हो गई. अगर हड्डी नहीं टूटती तो शायद हम नहीं पकड़े जाते.’’ राजन अपने अपराधभाव को दबाते हुए बोला.
‘‘नहीं राजन, यह सोचना तुम्हारी गलती है. हमारे पास दूसरे क्लू भी थे.’’ इंसपेक्टर राजेश कदम पूरे आत्मविश्वास के साथ बोले. ‘‘वो क्या सर?’’ सुरेश ने आश्चर्य के साथ पूछा.
‘‘मरने वाले की स्किन जो गलना शुरू नहीं हुई थी. सामान्यत: आत्महत्या के केस में यह क्षतविक्षत अवस्था में मिलती है.’’ राजेश ने रहस्य से परदा उठाते हुए कहा.
‘‘यू आर ग्रेट सर.’’ सुरेश प्रशंसात्मक स्वर में बोला.
—कहानी सौजन्य मनोहर कहानी