अंजलि ने सोचा था कि वह आसिफ उर्फ राज से निकाह कर के खुश रहेगी लेकिन निकाह के बाद आसिफ ने उस का खूब शोषण किया. फिर उसे छोड़ कर सऊदी अरब चला गया. बेसहारा अंजलि को आसिफ के घर वालों ने भी नहीं स्वीकारा तो वह न्याय पाने के लिए पुलिस के पास गई. जब पुलिस ने भी उस की मदद नहीं की तो आखिर अंजलि ने…
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ का हजरतगंज इलाका, कई मायनों में महत्त्वपूर्ण क्षेत्र है. इसे लखनऊ का दिल भी कहा जाता है. हजरतगंज क्षेत्र में ही विधानसभा भवन, भारतीय जनता पार्टी का प्रदेश मुख्यालय, कुछ दूरी पर दारुलशफा में विधायक आवास के अलावा कई सरकारी भवन हैं.
उस दिन अक्तूबर महीने की 13 तारीख थी. दोपहर 12 बजे विधानसभा भवन के सामने बीजेपी राज्य मुख्यालय के गेट नंबर 2 पर लगभग 35-36 वर्ष की एक महिला ईरिक्शा से उतरी. कुछ दूर वह चली, उस के बाद उस ने अपने चारों तरफ निगाह डाली. किसी की नजर अपने पर पड़ती न देख वह निश्चिंत हो गई. उस के हाथ में एक फाइल थी. कंधे पर एक पर्स लटका हुआ था. उस ने पर्स को खोला तो उस में एक बोतल रखी हुई थी. बोतल में केरोसिन भरा हुआ था.
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महिला ने केरोसिन से भरी बोतल का ढक्कन खोल दिया. केरोसिन बोतल से निकल कर पूरे पर्स में फैल गया. महिला ने देर न करते हुए तुरंत माचिस की तीली जला कर पर्स में डाल दी. केरोसिन ने आग पकड़ी तो महिला का शरीर उस की चपेट में आ गया. उस वक्त महिला ने अपना दिल इतना मजबूत कर रखा था कि उस आग की जलन का दर्द भी उसे टस से मस नहीं कर पाया. वह एक कदम भी नहीं हटी. महिला को जलता देख कर वहां मौजूद पुलिसकर्मी उस ओर दौड़ पडे़. सिपाही सिद्धार्थ सेंगर पुलिस चौकी से तौलिया उठा लाया और उस से आग बुझाने की कोशिश करने लगा. महिला सिपाही निशा पाल, दरोगा नरेंद्र राय और कृष्णकांत राय ने कंबल से महिला को ढक दिया. काफी प्रयासों के बाद आग बुझाई जा सकी.
सूचना मिलने पर हजरतगंज थाना पुलिस भी वहां पहुंच गई. आननफानन में इंसपेक्टर अंजनी पांडेय ने उस महिला को सिविल अस्पताल के बर्न वार्ड में भरती कराया. महिला 90 फीसदी तक जल चुकी थी. गंभीर हालत में भरती महिला का इलाज शुरू किया गया.
जांच में पता चला कि उस महिला का नाम अंजलि तिवारी उर्फ आयशा है. वह महराजगंज जिले की रहने वाली थी. उस ने उसी दिन महराजगंज के महिला थाने में आत्मदाह करने का नोटिस भिजवाया था. जिस के बाद से महिला थाने की एसओ मनीषा सिंह उस की खोजखबर में लगी थीं. लेकिन उन्हें अंजलि का कोई पता नहीं लग सका.
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पुलिस को दिया था नोटिस
घटना से 15 मिनट पहले ही एसओ मनीषा सिंह ने हजरतगंज इंसपेक्टर अंजनी पांडेय को अंजलि के आत्मदाह कर लेने के नोटिस के बारे में बताया था. इस से पहले कि सुरक्षा व्यवस्था और चाकचौबंद होती, अंजलि ने अपने आप को आग के हवाले कर दिया था.लखनऊ पुलिस ने महराजगंज पुलिस से संपर्क किया. वहां से महिला के संबंध में पूरी जानकारी जुटाई तो कई अहम बातें पता चलीं. लखनऊ पुलिस ने अंजलि के मोबाइल की काल डिटेल्स निकलवाई. काल डिटेल्स में घटना से पहले जिन नंबरों पर अधिक बात हुई थी, उन की जांच की गई.
उन में एक नंबर पर पुलिस की निगाह टिक गई. वह नंबर यूपी दलित कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष आलोक प्रसाद का था. आलोक प्रसाद बराबर फोन के जरिए अंजलि के संपर्क में था. घटना के समय उस की लोकेशन भी घटनास्थल के पास की मिली. महराजगंज के एसपी प्रदीप गुप्ता ने भी लखनऊ पुलिस को जो इनपुट दिया था, उस में आलोक प्रसाद के बारे में काफी कुछ बताया गया था. उस के साथ कुछ और लोग भी शामिल थे.
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आलोक प्रसाद महराजगंज में रहता था. उस का आवास लखनऊ के गोमतीनगर में भी था. वह राजस्थान के पूर्व राज्यपाल स्वर्गीय सुखदेव प्रसाद का बेटा था. साक्ष्य मिलने के बाद हजरतगंज पुलिस ने कोतवाली में आलोक प्रसाद व अन्य अज्ञात के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने, साजिश रचने की धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया. 14 अक्तूबर की सुबह आलोक प्रसाद को उस के गोमतीनगर स्थित आवास से गिरफ्तार कर लिया.
उधर बुरी तरह जल चुकी अंजलि ने 14 अक्तूबर की शाम सवा 7 बजे इलाज के दौरान इस उम्मीद से अंतिम सांस ली कि जो न्याय उसे जीते जी न मिला, शायद मरने के बाद मिल जाए. अंजलि किन हालात, किस दर्द से गुजर रही थी और किस तरह लचर कानून व्यवस्था से लड़ते हुए वह इस दुनिया से चली गई, इस बारे में भी जान लेते हैं.
अंजलि झारखंड राज्य के जिला पलामू के चेपात की रहने वाली थी. 8 साल पहले उस का विवाह उत्तर प्रदेश के महराजगंज जिले के गांव पचरूखिया के रहने वाले अखिलेश तिवारी के साथ हुआ था.
सीधेसादे सरल स्वभाव की अंजलि बड़े अरमान ले कर अपनी सुसराल आई. लेकिन कुछ ही दिनों में उस के अरमान मिट्टी में मिल गए. जिस जीवनसाथी के साथ उस ने जिंदगी जीने की कल्पना की थी, वह उस के बिलकुल विपरीत था. वह एक नंबर का नशेड़ी था. उसे नशे की ऐसी बुरी लत थी कि उसे हर रोज नशा चाहिए होता था.
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पति की इस आदत से अंजलि परेशान होती. वह पति से इस बात को ले कर बहस करती तो वह उसे पीट देता था. शादी के कुछ समय में ही ऐसे हालात बन गए कि अंजलि को मजबूरन ससुराल छोड़नी पड़ी.
पति का घर छोड़ कर अंजलि महराजगंज शहर के वीरबहादुर नगर में किराए पर रहने लगी. अपनी जीविका चलाने के लिए वह साड़ी के एक शोरूम में काम करने लगी.वीरबहादुर नगर में ही आसिफ रजा उर्फ राज रहता था. वह प्राइवेट जौब करता था. वह दिखने में काफी स्मार्ट था. उस ने सिर्फ इंटरमीडिएट तक ही पढ़ाई की थी. लेकिन उस की बातों से कभी नहीं लगता था कि वह उच्च शिक्षित नहीं है.
आसिफ से हुई मुलाकात
एक ही मोहल्ले में होने से आसिफ और अंजलि एकदूसरे को जान गए थे. मोहल्ले में कोई खूबसूरत महिला वह भी अकेले किराए पर रहने आ जाए तो पूरे मोहल्ले के युवकों की नजर उस पर टिक जाती है. ऐसे युवकों में आसिफ भी था. आसिफ को अंजलि की खूबसूरती भा गई थी. वह उस पर फिदा हुआ तो उस से बातें करने की कोशिश करने लगा.
अंजलि को भी महसूस हो गया था कि आसिफ उस में दिलचस्पी ले रहा है. आसिफ देखने में काफी अच्छा लगता था. वह स्वयं उस के नजदीक आने की कोशिश कर रहा था. अंजलि ने सोचा कि उसे अपनी कसौटी पर परखने में क्या बुराई है. और फिर पति को छोड़ कर आने के बाद जिंदगी में उसे वैसे भी ११किसी का हाथ तो पकड़ कर चलना ही था, पूरी जिंदगी अकेले तो नहीं काटी जा सकती. इसलिए उस ने भी आसिफ की उस से मिलने की कोशिशों को आसान करने का फैसला कर लिया.
एक दिन जब वह अपनी नौकरी पर जाने के लिए निकली तो उस का सामना आसिफ से हो गया. आसिफ उसे खड़ा निहार रहा था. वह कुछ कहना चाहता था लेकिन कह नहीं पा रहा था. उस की हालत देख कर मुसकराते हुए अंजलि आगे बढ़ गई. लेकिन कुछ दूर जा कर वह रुकी और पलट कर आसिफ को देखा, फिर वापस उस के पास आ कर बोली, ‘‘मुझे आप को देख कर ऐसा लगा कि आप मुझ से कुछ कहना चाहते हैं, लेकिन कह नहीं पा रहे हैं.’’
आसिफ पहले तो हड़बड़ाया लेकिन फिर संभलते हुए बोला, ‘‘हां आप से आप के बारे में जानना चाह रहा था.’’‘‘क्यों…’’ अंजलि मंदमंद मुसकराते हुए उस से पूछने लगी, ‘‘क्या करेंगे मेरे बारे में जान कर.’’
‘‘हम एक मोहल्ले में ही रहते हैं. इसलिए एकदूसरे के बारे में जानकारी तो होनी ही चाहिए.’’ वह बोला.
‘‘केवल यही बात है या कुछ और…’’ इस बार अंजलि ने आसिफ की आंखों में झांकते हुए पूछा.
आसिफ की एक पल को जुबान लड़खड़ाई लेकिन अगले ही पल वह संभलते हुए बोला, ‘‘और क्या बात हो सकती है.’’‘‘वही बात जो खूबसूरत लड़की से दोस्ती करने के लिए की जाती है. तुम मुझ से दोस्ती करना चाहते हो..है ना?’’
आसिफ समझ गया कि वह जो चाहता है, अंजलि उसे बखूबी जान गई है. वह फ्रैंक है, तभी तो बेधड़क उस से सवालजवाब कर रही है. आसिफ उस के अंदाज का कायल हो गया और बोला, ‘‘आप ने सही सोचा. ऐसा ही है, मैं आप से दोस्ती करना चाहता हूं.’’‘‘मैं जानती थी कि तुम क्या चाहते हो और हर रोज किस उम्मीद से मेरे सामने आते हो. लेकिन तुम्हे दोस्त बनाने से पहले मैं तुम्हारे साथ कुछ समय बिताऊंगी. इस के बाद ही फैसला कर पाऊंगी कि तुम मेरे दोस्त बन सकते हो या नहीं.’’
आसिफ ने सहमति दे दी. आसिफ जानता था कि अंजलि को उस की दोस्त बनने से कोई नहीं रोक सकता. दोस्त बनने के बाद आगे बढ़ने की राह और आसान हो जाएगी. इस के बाद दोनों खाली समय में मिलने लगे. उन के बीच बातें होतीं, साथ बाजार जाते, घूमतेफिरते. आसिफ उस की हर तरह से मदद करता. धीरेधीरे अंजलि को आसिफ पर विश्वास होने लगा, जिस से आसिफ अंजलि का दोस्त बन गया. दोस्ती का अगला पायदान प्यार होता है. प्यार में डूबने के लिए उन के दिलों का मिलना जरूरी था. दिलों में तो पहले से ही एकदूसरे के लिए जगह बन गई थी. दोस्ती करने के दौरान ही अंजलि आसिफ पर दिल हार बैठी थी. बाद में वह उस के साथ जिंदगी बिताने के सपने भी देखने लगी. आसिफ तो उसे चाहता ही था.
एक दिन आसिफ अंजलि से मिलने उस के कमरे पर पहुंचा तो उस के हाथ में अंजलि के लिए एक तोहफा था. आसिफ ने अंजलि को वह तोहफा दिया तो वह खुश हो गई.
आसिफ के कहने पर उस ने पैकिंग खोली तो उस में एक खूबसूरत तोहफा था. एक प्रेमी अपनी प्रेमिका के सामने प्रणय निवेदन कर रहा था. वह लाइट से घूमने वाला आइटम था. अंजलि ने उस के प्लग को लाइट बोर्ड के सौकेट में लगाया तो वह तोहफा रोशनी से जगमगा उठा और मधुर संगीत बजने के साथ ही प्रेमीप्रेमिका की वह मूर्तियां गोल घेरे में घूमने लगीं.
प्रणय निवेदन किया स्वीकार
तोहफे में जो मूर्तियों की स्थिति थी उस के हिसाब से एक युवक ने बांया घुटना जमीन पर टिका रखा था, जबकि दाहिना पंजा जमीन पर था. उस ने बायां हाथ दिल पर रखा हुआ था और दाहिने हाथ से लाल गुलाब सामने मुसकराती खड़ी युवती को भेंट कर रहा था. युवती का हाथ गुलाब की ओर बढ़ा हुआ था, जिस से प्रतीत हो रहा था कि उस ने युवक का प्रेमनिवेदन स्वीकार कर लिया है.अंजलि ने उन मूर्तियों की भावनाओं से अपने तार जोड़े तो मानो उस में खो गई. आसिफ की ओर से उस का ध्यान ही हट गया. उस की तंद्रा तब टूटी जब लाइट जाने से मूर्तियों ने घूमना बंद कर दिया. जब वह पीछे की तरफ घूमी तो पीछे खड़े आसिफ को मूर्ति वाले युवक के अंदाज में जमीन पर घुटने टेके बैठा पाया. लेकिन उस के हाथ में कागज का लाल गुलाब था. जोकि उस ने अलमारी में रखे गुलदान से निकाल लिया था. आसिफ के इस अंदाज को देख कर वह हतप्रभ रह गई.
आसिफ बोला, ‘‘अंजलि फूल कागज का है, इसलिए इस में खुशबू नहीं है, पर मेरी भावनाएं मोहब्बत के फूलों की खुशबू से भरी हुई हैं. कागज के फूल को नहीं, मेरी भावनाओं को समझो.’’कुछ देर अंजलि अपलक उसे निहारती रही, फिर मूर्ति वाली नायिका की तरह मुस्कराते हुए आसिफ के हाथ से कागज का फूल ले लिया.आसिफ के होंठों पर मुसकान आ गई. वह खड़ा होता हुआ बोला, ‘‘अंजलि, फूल तो तुम ने ले लिया, पर उस का अर्थ भी जानती हो?’’
‘‘अर्थ न जानती तो फूल लेती ही क्यों!’’ अंजलि मुसकराने लगी. उस के गालों पर हया की लाली फैल गई.
आसिफ ने बांहें फैला दीं, ‘‘अगर तुम बुरा न मानो तो इस प्यार की शुरुआत गले लगा कर करना चाहता हूं.’अंजलि आगे आई और उस की बांहों में समा गई. इस तरह दोनों के प्यार की शुरूआत हो गई. प्यार हुआ तो कुछ महीनों बाद शादी के बारे में बात हुई. आसिफ ने अंजलि से अपने धर्म को अपनाने को कहा लेकिन अंजलि ने मना कर दिया और कहा कि बिना धर्म परिवर्तन के भी वह उस से निकाह कर के उस के साथ रह सकती है. आसिफ ने उस की बात मान ली और उस से निकाह कर लिया. निकाह के बाद अंजलि आयशा बन गई.
निकाह के बाद आसिफ उसे अपने घर नहीं ले गया. अंजलि घर ले चलने को कहती तो आसिफ उसे कह देता कि अभी घर वाले उसे घर में रखने को तैयार नहीं होंगे क्योंकि वह इस निकाह से नाराज हैं. अंजलि को उस की बात माननी पड़ी. आसिफ उस के साथ था, इसलिए उस ने परवाह नहीं की.आसिफ उसे गोरखपुर ले गया और वहीं रहने लगा. आयशा 2 बार गर्भवती हुई लेकिन दोनों बार आसिफ ने उस का गर्भपात करवा दिया. पहले 2016 में फिर 2018 में. आसिफ आयशा पर अपना धर्म कुबूल करने के लिए दबाब बनाने लगा. अब वह अंजलि को इस के लिए प्रताडि़त भी करने लगा था.
2 साल पहले एक दिन आसिफ अचानक उसे अकेला छोड़ कर सऊदी अरब चला गया. वह वहां से खर्चे के लिए आयशा को पैसे भेजता था. लेकिन 6 महीने तक पैसे भेजने के बाद उस ने पैसे भेजने बंद कर दिए.
अब पैसा न मिलने से आयशा के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया. एक दिन वह महराजगंज में आसिफ के घर पहुंच गई और आसिफ के घर वालों से घर में रखने की जिद करने लगी. घर वाले इस के लिए तैयार नहीं हुए और उन्होंने उसे वहां से भगा दिया.
लव जिहाद का शिकार हुई अंजलि
आयशा की समझ में आ गया कि जिस लव जिहाद के बारे में अभी तक वह सुनती आई थी, वह खुद उसी का शिकार हो गई है. लेकिन उस ने हिम्मत नहीं हारी, अपना हक लेने के लिए उस ने लड़ना जारी रखा. उस ने महराजगंज के महिला थाने और पुलिस अधिकारियों के सामने न्याय की गुहार लगाई, लेकिन किसी ने उस की एक न सुनी. 4 अक्तूबर, 2020 को वह आसिफ के घर के सामने धरना दे कर बैठ गई. पुलिस को सूचना दी गई तो महिला थानाप्रभारी मनीषा सिंह मौके पर पहुंच गईं और उसे समझाबुझा कर महिला थाने ले आई.
आयशा ने उन को अपने उत्पीड़न की पूरी कहानी सुनाई, लेकिन थानाप्रभारी ने सभी आरोपों को नजरअंदाज कर दिया. समझौते की बात शुरू हुई तो आयशा ने इसे मानने से इंकार कर दिया. बहरहाल, थाने में आयशा के आरोपों पर किसी तरह का केस दर्ज नहीं किया गया. न्याय पाने के लिए आयशा कुछ राजनैतिक लोगों से मिली तो उन्होंने आयशा को लखनऊ जा कर आत्मदाह करने के लिए उकसाना शुरू कर दिया. उन्होंने कुछ इस तरह आयशा का ब्रेनवाश किया कि वह उस के लिए तैयार हो गई.
11 अक्तूबर को वह गोरखपुर से लखनऊ के लिए निकली. लखनऊ पहुंच कर उस ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलने की कोशिश की, लेकिन उसे मिलने नहीं दिया गया. हर तरफ से निराश हो कर उस ने विधान भवन के सामने बीजेपी राज्य मुख्यालय के गेट नंबर 2 पर आत्मदाह का फैसला कर लिया.
कुछ राजनैतिक लोग उस से फोन पर संपर्क बनाए हुए थे. वही लोग उसे आगे का रास्ता दिखा रहे थे कि कैसे क्या करना है. अपने राजनीतिक फायदे के लिए वे लोग आयशा की जिंदगी छीन लेने को आतुर थे.
आखिर 13 अक्तूबर को दोपहर 12 बजे आयशा ने आत्मदाह कर लिया. 14 अक्तूबर को वह न्याय पाने की आस लिए इस दुनिया से विदा हो गई. लखनऊ की हजरतगंज थाना पुलिस आत्मदाह के लिए उकसाने वाले लोगों पर काररवाई कर रही थी.
आसिफ और उस के घरवालों के खिलाफ काररवाई की बात पर हजरतगंज पुलिस ने कहा कि यह काम महराजगंज पुलिस करेगी. पुलिस काररवाई से यही लगता है कि जहां उसे जीतेजी न्याय नहीं मिल सका, वहां उस के मरने के बाद न्याय मिलने की उम्मीद कम ही है.