बांझपन किसी भी औरत के लिये सबसे वेदना का विषय होता है. इस कारण वह बांझपन दूर करने के लिये हर तरह का समझौता करने को तैयार हो जाती है. कई बार औरतों में बच्चा न होने का कारण पति में कमी का होना होता है पर वह इस बात को मानने के लिये तैयार नहीं होता. ऐसे में औरतें बांझपन दूर करने के लिये ढोंगी बाबाओं का शिकार हो जाती है.

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से 30 किलोमीटर दूर बाराबंकी जिले में बाबा परमानंद औरतों के बांझपन को दूर करने का काम करते थे. बाबा परमानंद का असल नाम रामशंकर तिवारी था. बाराबंकी जिले के हर्रई गांव में उनका आश्रम है. बाबा के आश्रम में बच्चे पैदा करने की चाहत रखने वाली महिलाओं की लाइन लगी रहती थी. आश्रम में कई राज्यों से महिलाएं आती थीं. दिल्ली, उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल और बिहार से आने वाली महिलाएं ज्यादा होती थीं.

बाबा के चेले इस बात का प्रचार करते थे कि बाबा के आश्रम में आशीर्वाद पाने और पूजा करवाने वाली सभी महिलाओं को बेटा होता है. बाबा की पूजा देर रात तक चलती रहती थी. इस दौरान कमरे में बाबा और महिला के अलावा कोई नहीं रहता था. पहले बाबा बाराबंकी के स्टेशन रोड पर लोगों की झाड़-फूंक करता था. धीरे धीरे जब उसका प्रचार प्रसार हो गया तो उसने गांव में ही आश्रम बना लिया, कुछ सालों में बाबा के पास अकूत संपत्ति आ गई.

बाबा के दरबार में पुलिस के कई अफसर भी आनेजाने लगे जिससे बाबा का इलाके में रूतबा बढ गया. बाबा के पास कई मोटरसाइकिल, स्कॉर्पियो, मारुति वैन, ऑल्टो, ट्रक, ट्रैक्टर के साथ सीमेंट सरिया की एक दुकान भी बताई जाती है. 1989 से लेकर साल 2008 के बीच बाबा पर तमाम तरह के 9 मुकदमें भी दर्ज हुये. इसके बाद बाबा का कद बढ गया, तो इन मुकदमों से उसका कुछ बिगडा नहीं.

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