कोरोना वायरस के चलते लगाये गए लॉकडाउन ने सभी को प्रभावित किया है. लेकिन जिसके कंधे पर घरों में बैठे लोगों के पेट भरने का दारोमदार है उनकी सरकार से छूट मिलनें के बाद भी हालत खराब होती जा रही है. इसमें जिन पर सबसे ज्यादा असर पड़ रहा है वह हैं सब्जी किसान. चूँकि तैयार सब्जियों को ज्यादा दिन स्टोर कर नहीं रखा जा सकता है ऐसे में मांग घटने के चलते इन सब्जी किसानों तैयार फसल खेतों में ही सड़ जा रही है ऐसे में किसानों की हालत माली रूप से ख़राब होती जा रही है.

ट्रांसपोर्ट वाहनों की धरपकड़ बन बड़ा कारण

लॉक डाउन नें रोड पर चलनें के लिए कई तरह के वाहनों पर रोक लगा रखा है इस असर ट्रांसपोर्ट के वाहनों पर भी पड़ा है. ट्रांसपोर्टर वाहन जब्त किये जाने के डर के चलते अपने वाहन बहार नहीं निकाल पा रहें हैं जिससे यूपी और मध्यप्रदेश में एक से दूसरे जिलों के मंडियों में सब्जियों की आवाजाही कम हो गई है. जो किसान अपने वाहनों से सब्जियां लेकर मंडियों में पहुंचा रहें हैं वह भी लॉकडाउन के चलते बाहर नहीं जा पा रही हैं. जिससे किसानों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है.

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तय कीमतों से भी कम रेट पर बिक रहीं है सब्जियां

सरकारों ने लॉक डाउन के चलते जमाखोरी और कालाबाजारी पर रोक लगाने के लिए आवश्यक खाद्य वस्तुओं और सब्जियों के फुटकर व थोक रेट तय कर रखें हैं. जिससे कोई भी दुकानदार सरकार द्वारा तय किये गए इस रेट से ज्यादा ज्यादा मूल्य नहीं ले सकता है. लेकिन सब्जी के मामले में यह एकदम उलट हो गया है. यह सब्जियां सरकार द्वारा तय मूल्य से भी कम दाम पर बिक रहीं हैं. जिन किसानों नें सब्जियों की खेती कर रखी है मांग कम होने के चलते उनकी तैयार फसल खेतों में सड़ जा रही है. ऐसे में सब्जी किसान अपने तैयार फसल को औनें पौने दाम पर बेंचने की मजबूर हो रहें है. कई किसान उत्पादन ज्यादा होने और मांग कम होने के चलते अपनी तैयार सब्जियां तोड़ कर फेंक दे रहें हैं या फ्री में बाँट रहें हैं. ऐसे में खेती में लगाई गई उनकी लागत तक निकालना मुश्किल हो गया है.

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