सहेली की शादी थी. फेरों की व्यवस्था छत पर की गई थी. शादी वाले दिन सुबह से ही आसमान में बादल घिर आए. सब इस चिंता में डूब गए कि पानी बरसा तो क्या होगा, पर ऊपरी मंजिल पर घर होने के कारण कुछ हो नहीं सकता था. जैसी कि आशंका थी, रात में फेरों के दौरान ही पानी अपने लावलश्कर के साथ आ पहुंचा. आंधीपानी के कारण मंडप उखड़ने लगा तो सब घबरा गए. तब कुछ युवक आगे आए, उन्होंने मंडप के खंभों को पकड़ा और वरवधू ने दौड़दौड़ कर फेरे लिए. शादी के वीडियो में जब यह दृश्य आता है तो हम सब हंसतेहंसते लोटपोट हो जाते हैं.

– शशि श्रीवास्तव, खड़गपुर (प.बं.)

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मैं अपने बेटे के पास कोलकाता गया हुआ था. मेरे पोते आयुष की 10वीं की वार्षिक परीक्षाएं सिर पर थीं. उसे भौतिक विज्ञान पढ़ाने की जिम्मेदारी मेरी थी. अपनी विभिन्न विशेषताओं के कारण स्कूल में आयुष लोकप्रिय छात्र बन गया था. उस के मित्रों की संख्या कुछ ज्यादा ही थी. मित्रों में लड़के तथा लड़कियां, दोनों थे. आयुष बोर्ड की परीक्षा के लिए कड़ी मेहनत कर रहा था. किंतु उस के दोस्तों का फोन उस की पढ़ाई में विघ्न डाल रहा था. सो, उस ने हम सब से कहा कि जब उस के किसी दोस्त का फोन आए तो कोई बहाना बना कर टाल दे. यह सिलसिला चल ही रहा था कि तभी उस की लेडी क्लासटीचर ने आयुष को कुछ जानकारी देने के लिए फोन किया. घर में काम करने वाली बाई ने फोन पकड़ा. वह आयुष के आने वाले फोन, खासकर लड़कियों के फोन से चिढ़ी रहती थी. उस ने बड़े ही रूखे ढंग से जवाब दिया कि यहां कोई आयुष नहीं रहता है और दोबारा फोन न करें. अगले दिन उस टीचर ने आयुष की मां को सारा मामला बताया. तब हम लोगों का हंसतेहंसते बुरा हाल हो गया.

– विनोद प्रसाद, रांची (झारखंड)

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मेरे भैया आंखों में दर्द की शिकायत होने पर नेत्रविशेषज्ञ को दिखा कर आए. डाक्टर ने उन्हें चश्मा बना कर दे दिया था. शाम को खाने के वक्त भाभीजी अंदर से खाना ले कर आईं तो भैया ने उन्हें देखते ही चश्मा लगा लिया. यह देख कर भाभीजी बोलीं, ‘‘क्या बात है, मेरे पास आते ही चश्मा लगा लिया.’’ भैया ने जवाब दिया, ‘‘डाक्टर ने कहा था कि सिरदर्द महसूस होते ही चश्मा लगा लेना.’’ उन की इस बात पर भाभीजी तो खूब झेंपीं, मगर बाकी सब ने खूब ठहाके लगाए.

– मुकेश जैन ‘पारस’, बंगाली मार्केट (न.दि.)

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