जब मेरी शादी हुई थी तब मैं थोड़ी मोटी थी. इतनी भी मोटी नहीं थी, फिर भी ससुराल में और लोगों की तुलना में, खास कर पति और छोटी ननद की तुलना में, मोटी तो थी. ये लोग अकसर मुझे डाइटिंग करने को कहा करते थे. मेरा मायका छोटे से शहर में था. एक बार जब मैं मायके में थी, मेरे पति और छोटी ननद मुझे लेने आए थे. हम लोग एक दिन सिनेमा का नाइट शो देखने गए थे. रात में लौटते समय कोई रिकशा या आटो नहीं मिला था. दोचार रिकशे थे जो सवारी ले कर निकल गए थे. हमारा घर करीब डेढ़ किलोमीटर दूर था. एक रिकशेवाले ने कहा था कि अगर हम आधा घंटा इंतजार करें तो वह सवारी छोड़ कर वापस आ कर हमें घर पहुंचा देगा. रात के साढ़े 11 बज चुके थे.
मैं ने सोचा कि उतना इंतजार करने से अच्छा है कि हम टहलते हुए 15 मिनट में घर पहुंच जाएंगे. सड़क सुनसान थी. हम लोग थोड़ी दूर निकले ही थे कि एक लड़के ने पीछे से मेरी ननद का हाथ पकड़ कर खींचना चाहा तो वह जोर से चिल्लाई, ‘‘भैया.’’ मेरे पति ने उसे रोकना चाहा, पर उस ने धक्का दे कर उन्हें गिरा दिया. मुझ में न जाने इतनी स्फूर्ति और शक्ति कहां से आ गई कि मैं उस पर टूट पड़ी थी और वह धराशायी हो गया. इस के पहले कि वह उठता, मेरी हाई हील सैंडल की ताबड़तोड़ मार से वह कराह उठा था. तब तक मेरे पति भी संभल चुके थे. दोचार हाथ उन्होंने भी जमाए. फिर हम लोग वहां से चल पड़े. पर मेरे पति इस पर भी मुझे चिढ़ाने से बाज नहीं आए और कहा, ‘‘जिस की बीवी मोटी उस का भी बड़ा काम है.’’