मेरे पति का स्कूटर काफी पुराना हो चुका है. मैं ने कई बार उन से कहा कि इसे बेच दो पर वे उस को बेचना नहीं चाहते. हां, कार नई ले ली है.
एक बार बाजार में स्कूटर खड़ा कर ये एक दुकान में सामान खरीदने लगे. जब बाहर आए तो देखा कि 2 आदमी इन का स्कूटर ले कर जा रहे हैं. यह आराम से देखते रहे और मुसकराते रहे.
वे थोड़ी दूर गए कि स्कूटर रुक गया. खीज में स्कूटर को गिरा कर वे भाग गए. घर आ कर पतिदेव ने हंसते हुए कहा, ‘‘मैं ने सोचा कि अच्छा है वे ले जाएं और तुम्हारी बात पूरी हो जाए पर क्या किया जाए, स्कूटर भी जाना नहीं चाहता क्योंकि स्कूटर को भी प्रेम है हम से.
सिम्मी सिंह कनेर, वसंत कुंज (न.दि.)
मेरी दोस्त के पति कभी भी उस की बनाई किसी भी चीज की तारीफ नहीं करते थे. जब भी वह पूछती कि कैसा बना है खाना? उन का एक ही जवाब होता, ‘‘अच्छा तो है.’’ उसे बहुत दुख होता था. एक दिन उस ने जानबूझ कर उन के टिफिन में जो दाल रखी उस में नमक कम डाला. औफिस से लौटते ही पतिदेव बोले, ‘‘सुनो, आज तुम ने दाल में नमक कम डाला था.’’ कविता चुप रही.
फिर एक दिन उस ने उन की सब्जी में मिर्चें ज्यादा डाल दीं. उस दिन भी औफिस से आते ही उन्होंने कविता से शिकायत की. कविता फौरन पलट कर बोली, ‘‘जब मैं अच्छा खाना बना कर रखती हूं तो तुम कभी तारीफ नहीं करते, इसलिए अब खाने में कमी यदि रह भी गई है तो उस की बुराई करने का तुम्हें कोई अधिकार नहीं है.’’ पतिदेव एक पल को तो हैरान रह गए लेकिन फौरन उन को अपनी गलती समझ में आ गई. उस के बाद से वे हमेशा उस की बनाई हुई हर अच्छी चीज की तारीफ जरूर करने लगे.