मैं 22 वर्षीय युवक हूं और बीसीए की पढ़ाई कर रहा हूं. मेरे दोस्तों के समूह में 6 लड़कियां हैं, मैं अकेला लड़का हूं. हम सब की दोस्ती पिछले डेढ़ साल से है. मैं अपने समूह की एक लड़की से बेहद प्यार करता हूं लेकिन मैं ने अभी तक उस से अपने प्यार का इजहार नहीं किया है. मैं डरता हूं कि कहीं उस के सामने अपने प्यार का इजहार करने से वह बुरा तो नहीं मान जाएगी और मुझ से अपनी दोस्ती तोड़ लेगी, जो मैं हरगिज नहीं चाहता. मेरा दिल तो अपने प्यार का इजहार करना चाहता है पर दिमाग ऐसा करने से रोकता है. मैं उलझन में हूं कि दिल की सुनूं या दिमाग की? सलाह दीजिए.
अपनी भावनाओं का या अपने प्यार का इजहार करना कदापि गलत नहीं है. आप अपने दोस्त से अपने प्यार का इजहार खुल कर कीजिए. अगर आप की दोस्ती सच्ची है तो वह बुरा नहीं मानेगी. इसलिए अपने मन से दोस्ती खोने का डर निकाल दीजिए. अगर वह आप से प्यार नहीं करती होगी तो अपनी भावनाएं आप के सामने प्रकट कर देगी, आप से नाराज नहीं होगी. इस से आप दिल व दिमाग की लड़ाई से मुक्त हो जाएंगे. बिना बात किए बात नहीं बनेगी.
मैं 25 वर्षीय युवती हूं. मेरी समस्या यह है कि मेरा किसी भी काम में मन नहीं लगता. मन में अजीबअजीब से खयाल आते हैं. किसी से बात करने, कहीं जानेआने का भी मन नहीं करता. ऐसा लगता है कि मैं पागल सी हो गई हूं. जिंदगी बेकार लगने लगी है. मैं क्या करूं जिस से जिंदगी के प्रति मेरा लगाव हो और मुझे खुशी मिले?
आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें
डिजिटल

सरिता सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं
- सरिता मैगजीन का सारा कंटेंट
- देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
- 7000 से ज्यादा कहानियां
- समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

सरिता सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं
- सरिता मैगजीन का सारा कंटेंट
- देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
- 7000 से ज्यादा कहानियां
- समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
- 24 प्रिंट मैगजीन