मैं और मेरी पत्नी अपने एक करीबी रिश्तेदार की बेटी की शादी से अपने घर के लिए वापस लौट रहे थे. रात का सफर था और हमें टाटानगर रेलवे स्टेशन से पटना जंक्शन के लिए ट्रेन पकड़नी थी. हमारे पास 2 ट्रौली बैग में कीमती सामान व 75 हजार के आसपास नकद रुपए थे. हमें काफी चिंता हो रही थी. खैर, हम लोग ट्रेन में चढ़े और सारा सामान बर्थ के पास ही चैन से बांध कर रख दिया ताकि सामान चोरी न हो सके और हम आराम से सो सकें. देर रात तक सामने के यात्रियों से बातें करतेकरते हमें नींद आने लगी.
रात्रि 3.30 बजे मेरी नजर जब सामान पर पड़ी तो सामान चोरी हो चुका था. होहल्ला मचाने पर एक व्यक्ति, जो कोच के पास ही था, ने बताया कि 2-3 व्यक्तियों के पास 2 ट्रौलियों वाले बैग थे जो पिछले स्टेशन पर उतर गए थे. किसी को भी यह आभास नहीं हुआ कि वह चोरों का गिरोह था. अब तक ट्रेन रफ्तार पकड़ चुकी थी और कुछ भी कर पाना संभव नहीं था. ट्रेन के कोच में सुरक्षा बल या कोच अटेंडैंट नहीं थे.
इस घटना को शातिर चोरों द्वारा अंजाम दिया गया था. पटना जीआरपी से पता चला कि इस रूट पर अटैची चोरों का गिरोह सक्रिय है, जिन्हें अभी तक कंट्रोल नहीं किया जा सका है. उन्होंने हमें आश्वासन दिया कि कोई भी सूचना मिलने पर जीआरपी उन्हें सूचित करेगी. पर आज तक हमें कोई सूचना नहीं मिली है और न ही मिलने की उम्मीद है. इस तरह हमें हजारों का चूना लग गया.
विनय कुमार श्रीवास्तव, पटना (बिहार)

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