बसपा प्रमुख मायावती खुश होंगी कि उन्होंने कभी सपने में भी उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बन जाने का सपना नहीं देखा होगा पर बसपा के संस्थापक कांशीराम की कृपा कुछ ऐसी हुई कि वे इस मुकाम तक पहुंची और अब वे दोबारा पुराना सपना देख रही हैं. मुलायमअखिलेश की लड़ाई में ज्यादा फायदा किसे होगा बसपा को या भाजपा को, इस सवाल का सटीक जवाब अच्छेअच्छे विश्लेषक नहीं ढूंढ़ पा रहे पर मायावती को हक है कि वे रोज रात को सोने से पहले हिसाब लगाएं कि दलित वोट तो सारे के सारे उन के हैं ही, अब कुछ अतिपिछड़े भी मिल जाएंगे और पूरे न सही आधे ही सही मुसलिम वोट भी मिल गए तो किस की मजाल जो उन्हें सीएम बनने से रोक पाए. यह दीगर बात है कि आजकल का वोटर भी बड़ा हिसाबीकिताबी हो गया है जो सिर्फ यह देखता है कि उस के सपने कौन पूरे कर पाएगा. मायावती को इस पैमाने पर दूसरे से पहले नंबर पर आने के लिए अभी और कड़ी मेहनत करने व वोटरों की मेहरबानी हासिल करने की जरूरत है क्योंकि दूसरों की तरह उन के लिए भी यह आखिरी मौका है.

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