मैं ने अपने परिवार के साथ उत्तर भारत भ्रमण के दौरान कटक से दिल्ली हो कर नई दिल्ली स्टेशन से पुणे-जम्मूतवी झेलम ऐक्सप्रैस में रात साढे़ 9 बजे से सफर शुरू किया. एसी टू टायर कोच में हमारी 2 बर्थ ऊपर और 2 बर्थ अलग जगहों पर थीं. नीचे वाली 2 बर्थ में तकरीबन 50 से 55 उम्र के पतिपत्नी बैठे थे. वे कोई धार्मिक पाठ कर रहे थे.

एक बर्थ के नीचे वे अपना सारा सामान रखे थे. दूसरी बर्थ का नीचे वाला पूरा हिस्सा गीला था. इसलिए हम ने बर्थ के नीचे वाले हिस्से में अपना सामान रखने के लिए उन से शेयर करने को कहा तो वे ऊंचे स्वर में मुझ पर भड़क उठे, ‘‘हम रेलवे के 25 लोग इस ट्रेन में सफर कर रहे हैं. अगर मुंह खोला तो सारे परिवार को ट्रेन से धक्का दे कर बाहर फेंक दूंगा.’’

खैर, टीटीई आया और टिकट चैक कर चला गया. मैं ने टीटीई को कुछ नहीं बताया और चुप रहना मुनासिब समझा.

बाद में हम ने उन दोनों को जम्मू में कटरा के रास्ते में देखा. मैं ने सोचा जो लोग अपने सहयात्रियों के साथ इस तरह बरताव करते हैं वे धार्मिक पाठ और धार्मिक स्थलों के दर्शन कर के क्या पुण्य ले कर लौटेंगे?

अनंदा प्रसाद पटनायक

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मैं, मेरी सहेली, हमारी बेटियां, भाईभाभी व मां सब पचमढ़ी गए थे. हम जमुना प्रपात देखने गए. सभी खुश थे लेकिन नीचे उतर कर हमारी सारी उत्सुकता व मजा किरकिरा हो गया. वहां कई लड़के अंडरवियर पहने मस्ती कर रहे थे व चिल्ला रहे थे. कई तरह से पोज दे कर फोटो खिंचा रहे थे.

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