आदत
ईमानदारी, भलमनसाहत और परिश्रम करने की आदत हम बचपन में अपने घर में ही सीख सकते हैं. अगर किसी बच्चे में इन गुणों के बीज बो दिए जाएं और कुछ वर्षों तक उन्हें अच्छी तरह सींचा जाए तो उस में से गुणों के ये पौधे आसानी से नहीं उखाड़े जा सकते.
अवसर
मौके सभी की जिंदगी में आते हैं, लेकिन बहुत कम लोग उन्हें पहचान पाते हैं, उन्हें पहचानने और इस्तेमाल करने का सही तरीका है कि हम अपने रोज के काम को पूरी ईमानदारी व मेहनत से करते रहें.
अहंकार
अहंकारी को लगता है कि मैं न हुआ तो दुनिया नहीं चलेगी. जबकि सचाई यह है कि मैं ही क्या, सारा जग भी न हुआ तो भी दुनिया चलती रहेगी.
अज्ञान
अज्ञान से घमंड बढ़ता है. जो अपने को सब से अधिक ज्ञानी समझते हैं वे सब से बड़े मूर्ख होते हैं.
अवस्था
20 वर्ष की उम्र में मनुष्य की अभिलाषा प्रधान होती है, 30 वर्ष की अवस्था में बुद्धि औ?र 40 वर्ष की अवस्था में निर्णय.