बसपा प्रमुख मायावती अब फ्लैशबैक में जाने लगी हैं, उन्हें याद आ रहा है कि बसपा को सत्ता, विकास के नाम पर नहीं, बल्कि वर्ण व्यवस्था के विरोध के चलते मिली थी. इधर अपने अच्छे दिनों के उत्तरार्ध में वे कुछ पंडों की गिरफ्त में
आ कर पूजापाठ और मूर्तिवाद में उलझ गई थीं. यह चूक वे कर बैठी थीं तो बाइज्जत उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में ऐतिहासिक दुर्गति का शिकार भी हुईं.
मायावती ने नई धमकी गुजरात विधानसभा चुनावप्रचार की शुरुआत करते वड़ोदरा से दी कि अगर आरएसएस सहित हिंदू धार्मिक नेता यानी शंकराचार्य वगैरा दलितों के प्रति अपना रवैया नहीं बदलेंगे तो वे अपने समर्थकों (अनुयायियों नहीं) सहित बौद्ध धर्म अपना लेंगी. इस धौंस का कोई तात्कालिक या दीर्घकालिक महत्त्व नहीं है. वजह साफ है कि भाजपा भी दलितों को हिंदूवादी फीलिंग कराते ही सत्ता पर काबिज हुई है. बेहतर होता मायावती भी देश छोड़ने की धमकी देतीं तो बात कुछ बनती.
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