हम 4 बहनें और 1 भाई हैं. 4 लड़कियां होने के कारण अकसर लोग मेरे पापा से कहते थे कि लड़कियों की शादी जल्दी कर दो, इन को पढ़ा कर क्या फायदा?
मेरे पापा ने इन बातों की परवा न कर के हम सभी को पढ़ने के लिए प्रेरित किया और हमारी प्रत्येक इच्छा को पूरी करने की कोशिश की. हमें लड़की होने की वजह से उन्होंने कभी उपेक्षित नहीं किया. हम बचपन से ले कर आज तक अपने पापा के साथ सब बातें शेयर करते आ रहे हैं.
उन के दिए संस्कारों, प्रेरणा, सहयोग व प्यार की वजह से आज हम सभी भाईबहनें शिक्षित व आत्मनिर्भर हैं. मुझे अपने प्यारे पापा पर गर्व है.
मोनिका सक्सेना, अलवर (राज.)
 
मेरे पापा शहर के जानेमाने डाक्टर और अत्यंत मेहनती इंसान हैं. उन्होंने हम तीन बहनों और मेरे भाई को दिलोजान से पाला है. मेरी शादी हो चुकी है, उन से मुलाकात कम हो पाती है. वे इन दिनों अपने सब्जैक्ट पर किताब लिखने में व्यस्त हैं. किताब अच्छाखासा उन का समय लेती है. मैं इस बार घर गई हुई थी, वे अपनी किताब में कुछ करैक्शन कर रहे थे. कंप्यूटर को ज्यादा न जानने के कारण उन को देर लग रही थी. मैं ने किताब पीडीएफ से वर्ड में कनवर्ट कर दी और अपने घर लौट आई. कुछ दिन बाद उन का फोन आया कि ऐसा करना बहुत लाभकारी रहा. उन के शब्दों में धन्यवाद झलक रहा था. मेरे अंदर आंसू की लहर दौड़ गई कि जिस इंसान ने अपना सारा जीवन हमारी खुशहाली के लिए लुटा दिया, उन्होंने मेरे छोटे से कृत्य को इतना सराहा.
डा. अपर्णा सिंघल, पश्चिम विहार (न.दि.)
 
जब भी मैं चिकित्सा के क्षेत्र में अपनी  सहपाठियों को कामयाब देखती हूं, जिन्होंने मेरे सैलेक्शन होने के 3 साल बाद मैडिकल जौइन किया था, तो मैं अवसाद से भर उठती हूं. किसी भी टैक्निकल लाइन में जाने की मेरी आकांक्षा थी. गर्ल्स स्कूल में साइंस की पढ़ाई नहीं होने के बावजूद मैं ने स्पैशल परमिशन से जिला स्कूल से 3 साल का कोर्स मात्र डेढ़ साल में पढ़ा और मेरा सैलेक्शन पटना मैडिकल कालेज में हुआ.
लेकिन मेरे पापा के एक छोटे से शब्द ‘न’ ने मेरी सारी आशाओं व आकांक्षाओं पर तुषारापात कर मेरे भविष्य को दांव पर लगा दिया. फिर भी किसी तरह मनोबल को जुटा आगे की पढ़ाई की. बीएससी औनर्स एवं एमएससी बिहार के सब से नामी कालेज से टौप करते हुए पास करने के बावजूद जाति, आरक्षण एवं सिफारिश के कारण एवं कुछ अपनी परिस्थितियों के कारण ढंग से कहीं कुछ नहीं कर पाई.
मेरे पापा की अस्पताल के प्रति गलत धारणा ने मेरे सारे सपनों को ध्वंस कर के रख दिया.
रेणु श्रीवास्तव, पटना (बिहार) 

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