मेरी बेटी तान्या 4 साल की है. मैं उसे नएनए शब्द बोलना सिखा रहा हूं. कभीकभी वह इन शब्दों का प्रयोग गलत क्रम में कर देती है जिस से अर्थ का अनर्थ हो जाता है.
एक दिन हम सड़क से गुजर रहे थे. वहां एक गाय खड़ी थी. मैं बोला कि 
बेटा, गाय के पास से मत जाना, यह ‘खतरनाक’ गाय है. वैसे तो वह गाय से अच्छी तरह परिचित है पर ‘खतरनाक’ शब्द उस के लिए नया था. उस ने पूछा, ‘‘खतरनाक मतलब?’’ 
मैं ने कहा, ‘‘बेटा, इस के सींग बड़ेबड़े हैं, इसलिए यह खतरनाक गाय है.’’
कुछ दिनों बाद उसी गाय ने हमारे क्वार्टर के बाहर गोबर कर दिया. तान्या ने देखा और चिल्लाई, ‘‘पापा, देखोदेखो, गाय ने खतरनाक पौटी कर दी.’’ उस की बात सुन कर हम सब हंसे बिना न रह सके. दरअसल, वह तो कहना चाह रही थी कि खतरनाक गाय ने पौटी कर दी.
राजेश कुमार गुप्ता, पंचकूला (हरियाणा)
 
मेरा बेटा वियतनाम के होचीमिन शहर में रहता है. हम लोग उस के पास घूमने गए थे. मेरा 3 साल का पोता अनिकेत बहुत ही नटखट और हाजिरजवाब है. उसे पैदल चलना अच्छा नहीं लगता.
हम वहां का चिडि़याघर देखने गए. गाड़ी करीब आधा किलोमीटर दूर खड़ी करनी पड़ी. उस के पापा ने उसे गोद में घुमाया. रात में वे कहने लगे, ‘‘इसे गोद में उठाने से मेरे हाथ दर्द कर रहे हैं. सुबह औफिस कैसे जाऊंगा?’’ 
अनिकेत सुन रहा था, झट बोला, ‘‘पापा, औफिस तो पैर से जाओगे, हाथ से थोड़े ही जाना है.’’
उस की उस हाजिरजवाबी पर हम सब खिलखिला कर हंस पड़े.
स्नेहलता आगीवाल, उज्जैन (म.प्र.)
 
मेरा छोटा भाई जग्गी लगभग 6 वर्ष का था जब उस ने छोटी साइकिल पर पैडल मारना सीख लिया था. एक दिन वह पिताजी के पास आया और बोला, ‘‘डैडी, मुझे साइकिल चलानी आती है.’’
डैडी ने कहा, ‘‘अच्छा, चलाओ.’’
इस पर जग्गी ने कुछ संदेह से पूछा, ‘‘पर मुझे चढ़ाएगा कौन?’’ 
वहीं पास में खड़े हमारे बूढ़े माली रहीम काका ने कहा, ‘‘मैं चढ़ा दूंगा.’’ 
जग्गी ने फिर पूछा, ‘‘मुझे उतारेगा कौन?’’ रहीम काका ने कहा, ‘‘मैं उतार दूंगा, भैया. तुम चलाओ.’’ 
जग्गी ने फिर पूछा, ‘‘मेरे पीछेपीछे भागेगा कौन?’’ अब तो रहीम काका भी कुछ जवाब नहीं दे सके और हम सब मुंह छिपा कर हंस रहे थे.
मनोरमा दयाल, नोएडा (उ.प्र.)
 

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...