मेरी भतीजी है तो 5 वर्ष की लेकिन बहुत बातूनी है. अभी भी वह बोतल से ही दूध पीती है. वह अकसर मेरी छोटी बहन से उलझा करती है. एक दिन वह बहन से बोली, ‘‘बूआ, मैं बहुत से ऐसे काम कर सकती हूं जो आप नहीं कर सकतीं.’’ बहन बोली, ‘‘नहीं, मैं सभी काम कर सकती हूं,’’ तो वह बोली, ‘‘आप मम्मा से दूध की बोतल ले कर मेरी तरह लेट कर दूध नहीं पी सकतीं.’’ मेरी बहन का मुंह देखने लायक था. हम सभी खिलखिला कर हंस पड़े.

मनोरमा अग्रवाल, बांदा (उ.प्र.)

मैं ने अपने 2वर्ष 3 माह के बेटे अर्णव को एक धूप का काला चश्मा ला कर दिया. उसे वह बहुत शौक से पहनता है और पहन कर खुश हो जाता है. एक दिन अर्णव अपनी नानी के साथ खेल रहा था. नानी एक पत्रिका पढ़ रही थीं. पत्रिका के चित्रों में अर्णव दिलचस्पी दिखा रहा था. जब भी कोई विज्ञापन का चित्र उसे अच्छा लगता, तुरंत हाथ रख कर नानी को रोक देता व उस चित्र को ध्यान से मन भर कर देखता. मन भरने के बाद ही वह उन्हें आगे पढ़ने देता. इसी क्रम में एक विज्ञापन देख कर वह जोर से बोल उठा, ‘‘नानीनानी, देखो इन आंटी ने चश्मा, पेट में पहन रखा है.’’ चित्र देख कर नानी की हंसी छूट पड़ी, देखा, एक ब्रा कंपनी के विज्ञापन में एक महिला ने काली ब्रा पहन रखी थी, जिस का आकार अर्णव के चश्मे के फ्रेम से मिलता था.

गुंजन गुप्ता, बेंगलुरु (कर्नाटक)

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मेरे भांजे का 8 वर्षीय बेटा अर्णव बहुत ही शरारती व हाजिरजवाब है. गरमी की छुट्टियों में 5-6 दिन अपनी बूआ के घर रह कर बूआ के साथ लौटा. भांजे ने अपनी बहन के जाने के बाद अर्णव से कहा कि इतने दिनों तक पापा की याद नहीं आई? और मैं ने तो तुम्हें बूआ को गोद दे दिया है तो फिर अपनी मां (बूआ) के साथ क्यों नहीं गया? अर्णव थोड़ी देर तो चुपचाप सब सुन कर बैठा रहा, फिर कमरे से बाहर चला गया. भांजे ने सोचा कि मजाक कहीं ज्यादा तो नहीं हो गया? वह रूठ गया है शायद. तभी अर्णव कमरे में आया और बड़ी मासूमियत से गाने लगा, ‘‘अपने तो अपने होते हैं.’’ उस को हैरत से देखते हुए दोनों पतिपत्नी हंस पड़े कि क्या मौके का गीत गाया है और उसे यह गीत याद कैसे आया.

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