3 भाइयों में सब से छोटे मेरे पति बचपन से ही अत्यधिक दुलार, प्यार के कारण घर की साधारण कुकिंग विधियों से भी अनभिज्ञ रहे हैं.
एक बार मेरी छोटी बहन अपने पति के साथ आई. ये अति उत्साहित हो कर बोले, ‘‘रुची, तुम बैठ कर बातें करो, मैं सूजी का हलवा बना कर लाता हूं.’’ आधे घंटे बाद आ कर अत्यंत उत्साह से बोले, ‘‘सूजी का हलवा तैयार है. तुम सब को सर्व करो.’’
मैं रसोई में गई तो सामने नमक का डब्बा देख कर मेरा माथा ठनका. हलवे को चखा तो नमकीन था. चीनी की जगह श्रीमानजी ने नमक डाल दिया था.
अब, मैं क्या करूं? उस नमकीन हलवे में मैं ने नीबू निचोड़ा, हरी धनिया डाली और उपमा की नई डिश तैयार कर दी.
मैं रसोई के बाहर आई तो इन्होंने टोका, ‘‘अरे, हलवा नहीं लाई?’’ मैं ने कहा, ‘‘डिनर के समय रात में सर्व करूंगी.’’
‘‘अरे यार,’’ कह कर ये चुप हो गए. डिनर के समय? कटोरियों में सर्व की गई डिश को चख कर ये बोले, ‘‘अरे, यह हलवा नमकीन कैसे हो गया?’’
मैं ने कहा, ‘‘श्रीमानजी, आप ने सूजी में चीनी की जगह नमक डाल दिया था.’’
‘‘ओह, सौरी एवरीबडी,’’ कह कर ये लज्जित हो गए.
रुची खरे
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मेरे पति मजाकिया स्वभाव के हैं. उन के द्वारा किया गया मजाक अकसर मुझे बहुत देर से समझ में आता है. हमारे घर के नल में कुछ दिनों से पानी नहीं आ रहा था. एक दिन जो सब्जी बनाई, उस में पानी बहुत ज्यादा पड़ गया था. पानी ज्यादा पड़ जाने की वजह से सब्जी की ग्रेवी बहुत पतली हो गई थी.