मेरी रिश्ते की एक मामी बहुत ही धार्मिक व पुरातनपंथी हैं जिस के कारण उन के घर में हर रोज झगड़ा होता है. उन की बेटी की सालाना परीक्षाएं नजदीक थीं. मामी ने घर में भागवत का आयोजन शुरू करवा दिया. मामाजी व उन के बच्चों ने मामी को बहुत सम?ाया परंतु मामी अपने फैसले से टस से मस नहीं हुईं. 10 दिन तक घर में धार्मिक रस्में चलती रहीं और उन की बेटी भी उन्हीं कार्यों में जुटी रही.बेटी का जब रिजल्ट आया तो वह फेल हो गई. धार्मिक आयोजन ने बेटी का  1 साल बरबाद कर दिया था.

प्रदीप गुप्ता, बिलासपुर (हि.प्र.)

 

मेरे तायाजी के जवान बेटे का देहांत हो गया. हम सब बहुत दुखी थे. पंजाब में एक प्रथा है कि मौत पर सब महिलाएं मिल कर एक गोल दायरा बना कर खड़ी हो, हाथ से हाथ मिला कर सियापा यानी छाती पीटना करना शुरू कर देती हैं.

ऐसा उस समय भी हुआ. मेरी बूआ उन के साथ मिल कर सियापा नहीं कर पा रही थीं. एक औरत ने दायरे से बाहर कर दिया. मेरे पति को बहुत बुरा लगा, कहने लगे, ‘‘यह कोई परेड तो नहीं कि सब को एकसाथ ही हाथ से हाथ मिला कर करना है. दुख तो उन्हें भी उतना ही है जितना हमसब को है.’’ हमारी ये कुरीतियां कब खत्म होंगी?

शशि बाला, उत्तम नगर (न.दि.)

 

मेरी ससुराल के गांव में प्रथा है कि प्रसव के बाद कमरे में 13 दिन तक कंडे (उपले) का धुआं करते हैं ताकि जच्चाबच्चा से भूतप्रेत दूर रहें. हमारे पड़ोस की महिला की लड़की प्रसव कराने मायके आई हुई थी. धुएं से उस को एलर्जी होने के कारण उस ने मना भी किया पर परिवार के लोग नहीं माने और धुआं रातभर किया गया. इस कारण उस की तबीयत बहुत खराब हो गई. अस्पताल में औक्सीजन तक लगवानी पड़ी.

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