देश के होनहार सटोरियों के आगे अच्छेअच्छे राजनीतिक विश्लेषक पानी भरते नजर आते हैं. उन के खोले भाव की रिपोर्टिंग करते कई पत्रकार बताते हैं कि हवा का रुख दरअसल किस दिशा की तरफ है. 5 राज्यों खासतौर से उत्तर प्रदेश के नतीजों को ले कर इस बार सट्टा बाजार में सन्नाटा सा छाया हुआ है.
देश के प्रमुख सट्टा सैंटर इंदौर के सैसटोरियों की मानें तो इस की अहम वजह नोटबंदी को ले कर जनता का मूड न समझ आना है. इसलिए अगरमगर लगा कर भाव खोलने पड़ रहे हैं. नतीजतन, आम लोग सट्टे पर तवज्जुह नहीं दे रहे और हर चुनाव में औंधेमुंह गिरने वाले चैनलों के सर्वेक्षणों को आधार नहीं मान रहे. अब हो यह रहा है कि पहले दिन सपाकांग्रेस गठबंधन पर ज्यादा दांव लगता है तो दूसरे दिन भाजपा का भाव बढ़ जाता है और तीसरे ही दिन बसपा छिपी रुस्तम नजर आने लगती है. अब तो सट्टा इसी बात पर लगने लगा है कि मतदान के बाद सट्टा बाजार किसे भाव देगा.
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