मैं शाम को रिकशे से घर लौट रही थी. 4 थैले कपड़े के और एक लैदरबैग ले कर रिकशे पर चढ़ने लगी. रिकशे वाले ने थैला थामते हुए कहा कि बहनजी, आप पहले रिकशे पर चढ़ जाइए, मैं तब आप को सामान पकड़ा दूंगा.
मैं ने भी उसे सभी बैग पकड़ा दिए. लेकिन उस ने एक कपड़े के झोले को कब हटा दिया, इस पर मेरा ध्यान न पड़ा. मेरे बैठने के बाद उस ने थैले मुझे थमा दिए.
जिस झोले में मेरे 12 सिले कपड़े रखे थे, घर पहुंच कर जब देखा तो वही नहीं था. घर से बाहर निकल कर काफी दूर तक मैं ने रिकशे वाले का पता लगाया लेकिन वह आंखों से ओझल हो चुका था. वह मेरा कीमती सामान ले कर चंपत हो गया था.
माया रानी श्रीवास्तव
*
दोपहर में दरवाजे पर एक व्यक्ति आया. उस ने बताया कि वह धोबी है. महल्ले में नया आया है. लोगों के कपड़े धोने व इस्तिरी करने का काम करता है. उस ने मुझे विश्वास दिलाया और कहा कि चाहें तो चल कर देख लें.
उस के पास कपड़ों की कई गठरियां भी थीं. पूछने पर उस ने कहा कि ये सभी कपड़े उस ने आसपास के घरों से लिए हैं. मेरा धोबी करीब 15 दिनों से बीमार था और मुझे शादी में जाने के लिए कपड़े इस्तिरी कराने थे सो, उसे कपड़े दे दिए.
2 दिन बीत जाने पर भी वह नहीं आया तो मेरा माथा ठनका. मैं ने आसपास के घरों में पता किया तो उन लोगों ने बताया कि ऐसा तो कोई व्यक्ति उन के घर नहीं आया था.