हमारा नया घर कोटा के श्रीनाथपुरम इलाके में बन रहा है. नलफिटिंग व लाइटफिटिंग का काम चल रहा था. हम ने सामान मंगवा कर कुछ घर के अंदर और कुछ बाहर चौकीदार की झोंपड़ी में रखवा दिया. मेरे पति, बाऊजी और मेरे देवर सुबहशाम मकान का काम देखने जाया करते थे.
एक दिन दोपहर में 3 बजे 2 व्यक्ति स्कूटी पर आए और कहने लगे, ‘‘बाऊजी ने बिजली के तारों की बोरी, जो तुम्हारी झोंपड़ी में रखी है, पुराने घर पर मंगवाई है.’’ उन सभ्य दिखने वाले व्यक्तियों की बातों पर विश्वास कर चौकीदार ने उन्हें बोरी पकड़ा दी. वे बोरी स्कूटी पर रख कर चलते बने.
शाम 5 बजे जब मेरे पति व बाऊजी मकान पर गए तो चौकीदार ने कहा, ‘‘बाऊजी, आप ने बिजली के तार पुराने घर पर मंगवाए. वहां पर भी काम चल रहा है क्या?’’ यह सुन कर बाऊजी व मेरे पति बोले, ‘‘हम ने कोई तार नहीं मंगवाया.’’
चौकीदार के होश उड़ गए. वह बोला, ‘‘बाऊजी, उन्होंने आप का नाम लिया और हम ने विश्वास कर लिया.’’ इस तरह हमें हजारों रुपए का चूना दिनदहाड़े लग गया.
राधा भारती काल्या
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मेरे पड़ोस में एक सज्जन के यहां नया एयरकंडीशन लगना था. कंपनी वाले शाम के समय मशीन रख गए और बोले, ‘‘सुबह दुकान खुलने पर हमारा आदमी आ कर इसे लगा देगा.’’ वे सज्जन अपनी मां के साथ रहते थे. उन की बीवी मायके गई हुई थी.
दूसरे दिन सुबह जब वे सज्जन औफिस जाने लगे तो मां से बोले, ‘‘जब कंपनी के आदमी एयरकंडीशन लगाने आएं तो मुझे फोन कर देना. मैं तुरंत औफिस से चला आऊंगा.’’ उन सज्जन का औफिस घर के पास ही था.
दूसरे दिन उन के घर करीब 11 बजे सुबह 2 लड़के आए और कहने लगे, ‘‘माताजी, हम लोग एयरकंडीशन लगाने आए हैं.’’ इस पर माताजी बोलीं, ‘‘बेटे को फोन कर देती हूं, वह अभी औफिस से आ जाएगा.’’ इस पर वे लड़के बोले, ‘‘अरे माताजी, फोन तो कर लो पर हम लोगों को जगह बता दीजिए कि एयरकंडीशन कहां पर लगाना है.’’
माताजी उन को कमरा दिखाने ले गई. इतने में एक लड़का बोला, ‘‘माताजी, जरा यह तार तो पकडि़ए, हम लोग नाप लें कि कितना तार लगेगा.’’
माताजी ने तार को पकड़ा ही था कि उन्हें बेचैनी हुई. वे सिर पकड़ कर कुरसी पर बैठ गईं और बेहोश हो गईं. वे दोनों लड़के घर का कीमती सामान व नकदी ले कर फरार हो गए. उपमा मिश्रा