सत्ता में रहते कांग्रेस ने पद्म पुरस्कारों की रेवडि़यां अपनों को बांटबांट कर उपकृत किया था. अब यही मौजूदा एनडीए सरकार यानी भाजपा कर रही है. पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस के लिए भी आम सहमति चाहते हैं जिस से लगे कि कांग्रेस बेईमान थी, भाजपा नहीं है.
सरकारी पुरस्कारों का अपना एक अलग आकर्षण होता है. वहीं, पद्म पुरस्कार तो किसी उपाधि से कम नहीं होते, इसलिए हर कोई उन्हें किसी भी कीमत पर चाहता है. नीति आयोग के एक कार्यक्रम में नरेंद्र मोदी ने अप्रसंगवश यानी जानबूझ कर कहा कि अब पद्म पुरस्कारों में ‘खेल’ नहीं चलेगा.
अब औनलाइन भी नामांकन दाखिल किया जा सकता है. मोदी की मंशा कुछ भी हो पर औनलाइन नामांकन ईमानदारी की गारंटी नहीं हैं क्योंकि कई राज्यों में खसरेखतौनी और नकशे औनलाइन हैं, फिर भी पटवारी कैसे बारबार घूस खा रहे हैं.