Story In Hindi : सविता ने किसी को अपना न समझा और भाईबहनों का साथ उसे कभी रास न आया लेकिन उस एक वाकए के बाद उस ने जो किया वह जिंदगीभर किए का उलटा ही था.
62 वर्षीया श्यामा नैटफ्लिक्स पर एक पुरानी मूवी देख रही थी. उस के बड़े भाई संजय जो उस से 2 साल ही बड़े थे, दूसरे रूम में बैठे कोई कहानी लिख रहे थे. वे रिटायर हो चुके थे. लिखने का बहुत शौक था उन्हें. नौकरी के दौरान यह शौक पूरा करने का समय मिल नहीं पाया. आजकल वे खूब लिखते हैं और उन की रचनाएं समाचारपत्रों व पत्रिकाओं में छपती रहती हैं. लिखतेलिखते उन्हें कुछ ध्यान आया, उठ कर श्यामा के पास गए और कहने लगे, ‘‘वैक्सीन हमें लग गई है, यह अलग बात है, कोरोना के चलते अभी भी काफी ध्यान तो रखना ही होगा. यह बताओ, तुम्हारा जन्मदिन आ रहा है, क्या प्लान बनाएं.’’
श्यामा ने मूवी रोकी, कहा, ‘‘अरे भैया, कुछ नहीं करना है, कहां जाएंगे, छोड़ो.’’
‘‘अरे, मेरी छोटी का बर्थडे है, बोल, क्या स्पैशल बनाऊं तेरे लिए या बाहर चलेगी?’’
‘‘सोच कर बताती हूं,’’ श्यामा ने कहा ही था कि संजय के फोन की घंटी बजी. वे वह फोन सुनने चले गए, जल्दी ही थोड़ा परेशान से वापस आ कर श्यामा से कहने लगे, ‘‘भाभी का फोन आया था, उन्हें साइटिका का पेन हो रहा है और उन का ड्राइवर अनिल लौकडाउन के समय जो गांव गया, लौटा ही नहीं. इस समय औटो में जाना सेफ नहीं है. मैं ने बोला है कि मैं कार ले कर आता हूं और उन्हें डाक्टर को दिखा दूंगा.’’
श्यामा ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी तो संजय को हंसी आ गई, कहा, ‘‘कुछ तो बोलो.’’
‘‘नहीं भैया, आप जानो, आप की ये भाभी जानें.’’
‘‘छोटी, तू बहुत शैतान है. अरे, भाभी हैं हमारी, हमारा फर्ज बनता है कि उन का ध्यान रखें. भैया तो रहे नहीं. बच्चे विदेश में हैं. कौन उन की केयर करेगा.’’
‘‘ठीक है, जाओ, दिखाओ डाक्टर को. अब याद आई हमारी, न कभी मतलब रखती हैं, न कभी कोई बात करती हैं.’’
‘‘ठीक है, छोटी, उन का जीने का अलग तरीका है. बस, हमारे विचार कभी नहीं मिले तो इस से हमारा रिश्ता थोड़े ही खत्म हो जाएगा.’’
‘‘भैया, मुझे नहीं सुननी आप की ये बातें, मुझे मूवी देखने दो.’’
संजय श्यामा को घूरते हुए जाने के लिए तैयार होने लगे. संजय के जाने के बाद श्यामा का मूवी में दिल न लगा, टीवी बंद कर बालकनी में रखी चेयर पर बैठ कर सविता भाभी की चिंता करने लगी. उसे अपनी यह भाभी हमेशा बहुत अच्छी लगी थीं. नरम दिल की श्यामा सविता की तकलीफ सुन कर झूठी नाराजगी दिखा रही थी, यह संजय भी जानते थे. दोनों भाई एकदूसरे की एकएक आदत, स्वभाव जानते थे. दोनों एकदूसरे की जान थे. भाईबहन के प्यार का जीताजागता उदाहरण थे. श्यामा बैठीबैठी बहुतकुछ याद कर रही थी. अकसर ही सबकुछ किसी फिल्म की तरह आंखों के आगे घूम जाता. श्यामा ने विवाह नहीं किया था. आज भी आंखों के आगे अपने पहले प्रेम का दुखांत आ जाता है. प्रेमी विजय पति बनने से 2 दिन पहले ही एक सड़क दुर्घटना में साथ छोड़ गया था. उसे इस सदमे से निकालने में संजय ने अपने दिनरात एक कर दिए थे.
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