मेरे पड़ोस में ढाई साल के जुड़वां बच्चे मुदित और मौलिक रहते हैं. दोनों मुझ से काफी हिलमिल गए हैं. मम्मीपापा दोनों के कामकाजी होने से बच्चे दिनभर अपने दादादादी और आया के साथ रहते हैं. एक दिन सुबह आया उन्हें बाहर घुमा कर घर वापस ला रही थी, तभी मेरे पति लंच के लिए घर आ रहे थे, बच्चों ने जैसे ही उन्हें देखा, खुशी से एकसाथ चिल्लाए, ‘‘वो थाया (छाया) अंकल आ गए.’’ दरअसल, मुझे पड़ोस में सभी छाया कहते हैं. बच्चों की बात सुन पति और अन्य मौजूद लोग खिलखिला कर हंस पड़े. पति ने कहा, ‘‘बच्चों ने तो मेरा नाम ही बदल दिया.’’

निर्मला राजेंद्र मिश्रा, नासिक रोड (महा.)

 

हमारे पास मेरा छोटा बेटा अपनी पत्नी व 3 वर्षीय पुत्र आदित्य के साथ आया हुआ था. आदित्य बड़ा ही बातूनी है. एक सुबह जब मैं नींद से जागा तो उस की मां आदित्य का मुंह धुला रही थी. मैं ने आदित्य को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘आदित्य, गुडमौर्निंग.’’ कोई जवाब नहीं मिलने पर मैं ने फिर कहा, ‘‘आदित्य, गुडमौर्निंग.’’ फिर भी कोई जवाब नहीं आया. तब मैं ने कहा, ‘‘पता नहीं, आदित्य कोई जवाब क्यों नहीं दे रहा है.’’ तभी आदित्य ऊंची आवाज में बोल पड़ा, ‘‘अभी हम मुंह धो रहे हैं.’’ आदित्य का उत्तर सुन कर हम सभी हंस पड़े.   

विनोद प्रसाद, रांची (झारखंड)

 

एक बार मेरी नवासी और मेरा पोता  इंटरनैट के जरिए स्काइप पर आमनेसामने बैठे बातें कर रहे थे. पोता बोला, ‘‘अरे, तुम्हारा दांत टूट गया, टूथफेयरी ने तुम्हें क्या गिफ्ट दिया?’’ दरअसल, अमेरिका में बच्चों का दांत टूटता है तो उसे तकिए के नीचे रख दिया जाता है. बच्चे को सुबह वहां एक गिफ्ट रखा मिलता है. मेरी नवासी को इस बारे में कुछ पता नहीं था. उस के पापा ने कहा, ‘‘तुम्हारी टूथफेयरी को अभी इंडिया का वीजा नहीं मिला.’’ यह सुन कर सभी का हंसतेहंसते बुरा हाल हो गया.     

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...