मेरे पति के दोस्त का 5 वर्षीय बेटा ‘मून’ बड़ा ही नटखट व चूजी है. जब भी कहीं पर जाना होता है तो स्वयं ही अलमारी से अपनी पसंद के कपड़े निकाल कर पहनता है. एक बार वह पाजामा निकाल कर पहनने लगा तो उस की मम्मी ने कहा, ‘‘बेटा, किसी के घर पाजामा पहन कर नहीं जाते. यह तो सोते समय पहनते हैं.’’

एक बार किसी काम से मेरे पति उन के घर गए. मेरे पति ने क्रीम कलर की पैंट व सफेद शर्ट पहन रखी थी, उन का बेटा बाहर ही बैठा था. वह मेरे पति को देख कर अंदर जा कर बोला, ‘‘मम्मी, चौकलेट वाले अंकल आए हैं पाजामा पहन कर.’’

मेरे पति ने यह बात सुन कर दोस्त की पत्नी से कहा, ‘‘मैं इस को चौकलेट देता हूं तो चौकलेट वाले अंकल तक तो बात ठीक है पर इस का पाजामा पहन कर बोलने की क्या तुक थी.’’

इस पर जब दोस्त की पत्नी ने सारी बात बताई तो सब हंसतेहंसते बेहाल हो गए.

 सरोज रानी, कासगंज (उ.प्र.)

 

मेरी छोटी बहन अनीता के एक परिचित ने अपनी पत्नी की आकस्मिक मृत्यु के कुछ समय बाद ही अपने बेटे अपूर्व की परवरिश के लिए दूसरा विवाह कर लिया. इस विवाह के कुछ दिन बाद मेरे भाईसाहब के अचानक बीमार होने पर मेरी बहन अनीता बच्चों के एग्जाम होने की वजह से उन्हें अपनी पड़ोसिन सुहासिनी के पास छोड़ कर भोपाल चली आई.

3 दिन बाद जब वह वापस दिल्ली पहुंची तो सुहासिनी आंटी के साथ बच्चों को खुश देख कर उसे तसल्ली हुई कि उस के पीछे बच्चे देखभाल से वंचित नहीं रहे. सुहासिनी ने उन की पढ़ाई, मनपसंद व्यंजन और घुमानेफिराने का पूरापूरा ध्यान रखा था. मगर अनीता की खुशी कुछ क्षणों में ही काफूर हो गई जब उस के 4 वर्षीय बेटे गौतम ने मासूमियत से पूछा, ‘‘मम्मी, क्या आप अपूर्व की पहली मम्मी की तरह मर नहीं सकतीं?’’

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