हम लोग दिल्ली से झांसी आ रहे थे. मथुरा स्टेशन के पास हमारी गाड़ी कुछ देर रुकी, तभी हमारे डब्बे में 2 लड़के चढ़ गए और टे्रन का फर्श झाड़ कर पैसे मांगने लगे. ज्यादातर यात्रियों ने उन्हें कुछ न कुछ पैसे दे दिए.
बाद में जब स्टेशन आया तो मैं ने बाहर जाने के लिए अपनी चप्पलें देखने के लिए नीचे नजर डाली तो मेरे होश उड़ गए. मेरी नई चप्पलें नदारद थीं. डब्बे के अन्य यात्रियों की भी चप्पलें नहीं मिल रही थीं.
फर्श झाड़ने वाले वे लड़के कूड़े के साथ यात्रियों की चप्पलों को भी ले गए थे. इस प्रकार यात्री दिन दहाड़े ठग लिए गए.
अर्पण शांडिल्य, झांसी (उ.प्र.)
बहुत दिनों से हम अपना पुराना सोफा रिपेयर कराने की सोच रहे थे. कुछ दिन में एक सोफा ठीक करने वाला आया. सोफा देखा. बोला, इस का रेक्सीन बदलना पड़ेगा. मैं आप को बढि़या रेक्सीन कम दाम में ला दूंगा.
हम ने उस पर विश्वास कर के दो हजार रुपए उसे दे दिए और वह पैसे ले कर बाजार चला गया. हम लोग पूरा दिन उस का इंतजार करते रहे लेकिन वह वापस नहीं आया. उस दिन के बाद वह आज तक लापता है. इस तरह हम दिन दहाड़े ठगे गए.
सी वी जगनी, बर्दवान (पश्चिम बंगाल)
बात कई साल पुरानी है. एक बार 2 लड़के (सेल्समैन) हमारे यहां आए. वे दोनों देखने में सीधेसादे और मासूम लग रहे थे. वे दोनों तवे बेचने आए थे. उन दोनों ने उस तवे की खासीयत बताते हुए कहा कि इस में रोटी के साथसाथ पापड़ वगैरह भी बना सकते हैं और दाम मात्र 150 रुपए. साथ में एक के साथ एक फ्री भी बताया.
मेरा छोटा बेटा उस समय 10वीं में था, वह पीछे पड़ गया कि मम्मी ले लो, कितनी अच्छी चीज है. मैं भी उन दोनों की बातों में आ गई और उन से तवा खरीद लिया.
बाद में बाजार में एक दुकान में वही तवा देखा तो रेट पूछने पर उन्होंने 35 रुपए एक तवे का मूल्य बताया. इस तरह मैं घर बैठे दिनदहाड़े ठगी गई. उस दिन के बाद से मैं ने सैल्समैनों से कोई भी चीज लेनी बंद कर दी.
आशा गुप्ता, जयपुर (राजस्थान)
मैं ने अपने घर में काम वाली बाई रखी. वह बहुत ही अच्छा काम करती थी. एक दिन उस ने मुझे 3 हजार रुपए एडवांस मांगे.
मैं सोच में पड़ गई कि अगर इसे पैसे नहीं दिए तो यह कल से आना बंद कर देगी, सो मैं ने उसे एडवांस दे दिया.
उस के एक हफ्ते तक तो वह आई और फिर उस ने आना बंद कर दिया. बाद में पता चला वह आसपास के कई घरों से इसी तरह रुपए ले कर चंपत हो गई थी.
तृप्ता, चितरंजनपार्क (नई दिल्ली) 

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