क्या आप जानते हैं कि आपके द्वारा चुकायी गई पेट्रोल या डीजल की कीमतों में कई किस्म के टैक्स शामिल रहते हैं. विदेशों से कच्चा तेल आयात करने में सरकार को प्रति लीटर लगभग 21 रुपये प्रति लीटर का खर्च पड़ता है. अब अगर आप एक लीटर पेट्रोल के लिए लगभग 71 रुपये तक की किमत चुका रहे हैं तो ये जानना जरूरी है कि बाकी पैसे सरकार आपसे किन किन मद में और क्यों वसूल रही है.

बता दें कि एक बैरल में 159 लीटर पेट्रोल होता है. इस लिहाज से एक लीटर कच्चे तेल का मू्ल्य लगभग 21 रुपये 65 पैसे होता है.

भारतीय बास्केट के कच्चे तेल की अंतर्राष्ट्रीय कीमत बुधवार 13 सितंबर को 53.83 डालर प्रति बैरल दर्ज की गई थी. अगर देखा जाए तो रुपये में इसकी कीमत 3443 रुपये 89 पैसे होती है. कच्चे तेल की रिफाइनिंग शुरू होती है. इस प्रक्रिया में प्रति लीटर लगभग 9 रुपये 34 पैसे का खर्च आता है. इस तरह से रिफाइनिंग के बाद पेट्रोल की कीमत हो जाती है 30 रुपये 99 पैसे. इस कीमत पर डीलर्स सरकारी तेल कंपनियों से पेट्रोल खरीदते हैं. डीलरों को पेट्रोल की बिक्री पर लगभग प्रति लीटर 3 रुपये 24 पैसे का कमीशन मिलता है.

अब इस प्रक्रिया के बाद केन्द्र सरकार इस पर प्रति लीटर 21 रुपये 49 पैसे का उत्पाद शुल्क लगाती है. अब राज्य सरकार इसी कीमत पर वैट लगाती है. देश के 26 राज्यों में पेट्रोल पर वैट की दर लगभग 25 प्रतिशत है. मुंबई में वैट की दर सबसे ज्यादा 49.98 प्रतिशत है. इसलिए मुंबई में पेट्रोल सबसे महंगा मिलता है. लेकिन यहां हम अन्य शहरों की बात कर रहे हैं. जहां पर लगभग 26 फीसदी वैट राज्य सरकार लेती है. इस हिसाब से प्रति लीटर वैट की रकम लगभग 15 रुपये 04 पैसे तक पड़ती है. इसके बाद खुदरा बाजार में पेट्रोल की कीमतें लगभग 72 रुपये 78 पैसे प्रति लीटर हो जाती है. बता दें कि ये सभी गणना अनुमानित मूल्यों और अनुमानित कर दरों के आधार पर की गई है.

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