बाजार नियामक सेबी ने कर चोरी और कालेधन को सफेद बनाने के लिए 112 कंपनियों पर प्रतिबंध के अपने अंतरिम आदेश की पुष्टि कर दी है. इसके अलावा इन कंपनियों के खिलाफ स्टॉक एक्सचेंज तंत्र के दुरुपयोग का मामला भी है.
इसके अलावा दूसरी तमाम कंपनियों के खिलाफ भी जांच चल रही है. नियामक ने 29 मार्च को अपने एक अंतरिम आदेश में 246 कंपनियों को बाजार से प्रतिबंधित कर दिया था. जांच में पाया गया था कि कंपनियां शेयर कीमतों को गलत तरीके से उठाने और गिराने व निवेशकों को जाल में फंसाने में शामिल हैं. इनमें ये 112 कंपनियां भी शामिल हैं, जिनके खिलाफ सेबी ने अपने अंतरिम आदेश की पुष्टि की है.
जांच में पाया गया है कि ये प्रतिष्ठान कैलाश ऑटो ग्रुप से जुड़ी विभिन्न कंपनियों के जरिए संचालन कर रहे थे. बाद में पाया गया कि कैलाश ऑटो ग्रुप का लगभग कोई अस्तित्व ही नहीं है . इसके रजिस्टर्ड ऑफिस से कोई परिचालन नहीं हो रहा है.
अंतरिम आदेश के अनुसार, इन कंपनियों ने धोखाधड़ी से कारोबार करते हुए 1,600 करोड़ रुपये मुनाफा कमाया है. सेबी के पूर्णकालिक सदस्य राजीव कुमार अग्रवाल ने कहा कि ऐसे कदमों से न सिर्फ बाजार की इमानदारी को धक्का लगा है बल्कि इस तरह के कदमों से निवेशकों के हितों का भी नुकसान हुआ है