रेलवे को अपनी कमाई बढ़ाने के लिए प्रायोगिक तौर पर राजधानी, शताब्दी और दुरंतो ट्रेनों में फ्लेक्सी किराया प्रणाली लागू करना महंगा पड़ रहा है. इससे इन ट्रेनों के पैसेंजर्स अब दूसरी ट्रेनों में टिकट कराना बेहतर समझते हैं. यही वजह है कि एक ओर शताब्दी और राजधानी जैसी ट्रेनों में सीटें खाली चल रही हैं, वहीं दूसरी एक्सप्रेस ट्रेनों में जगह फुल है.

हफ्ते में कई बार ऐसा भी हो रहा है जब राजधानी, शताब्दी और दुरंतों का टिकट हवाई टिकट के बराबर या उससे भी महंगा हो जा रहा है, ऐसे में लोग इन ट्रेनों के बजाय फ्लाइट को ज्यादा प्राथमिकता देने लग गए हैं. बीते महीने से सितंबर में देश भर की सभी शताब्दी, राजधानी एवं दुरंतो एक्सप्रेस ट्रेनों में फ्लेक्सी फेयर सिस्टम लागू किया था. इससे इन ट्रेनों के 90 फीसदी पैसेंजर्स को पहले के मुकाबले महंगा किराया देकर सफर करना पड़ रहा है. यहां तक कि आखिर में टिकट लेने वालों को डेढ़ गुना तक किराया देना पड़ता है. इसके चलते 30-35 प्रतिशत लोग अब राजधानी और शताब्दी जैसी ट्रेनों में सफर करने के बजाए सामान्य किराए वाली ट्रेनों में सफर करना बेहतर समझते हैं.

यह हाल है लखनऊ-दिल्ली रूट का

फ्लेक्सी फेयर लागू होने के बाद लखनऊ से नई दिल्ली के बीच चलने वाली स्वर्ण शताब्दी में भीड़ घट गई है. शताब्दी में जहां रोजाना सैकड़ों सीटें खाली हैं, वहीं गोमती एक्सप्रेस और गरीब रथ जैसी गाड़ियों में एसी चेयरकार फुल है. इसके अलावा पैसेंजर रात की ट्रेन लखनऊ मेल को तरजीह दे रहे हैं. रेल मंत्रालय के प्रवक्ता अनिल कुमार सक्सेना ने कहा, 'फ्लेक्सी फेयर से रेलवे के फायदे-नुकसान का आंकलन तीन महीने बाद किया जाएगा.'

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