ग्राहक सुरक्षा यानी उपभोक्ता अधिकार के लिए जागरूकता पैदा करने वाले विज्ञापनों को पढ़ कर और सुन कर मन हर्षित होता है. लगता है कि बाजार में हमारे लिए व्यापक सुरक्षा तंत्र तैयार किया गया है लेकिन जब जमीन पर पांव रखते हैं तो हकीकत विपरीत होती है.

उपभोक्ता संरक्षण केंद्र हों या ग्राहक सेवा केंद्र, सब के एक ही हाल हैं. औनलाइन की वर्तमान व्यवस्था में तो कोई सुनने वाला ही नहीं है. आएदिन मोबाइल फोन सेवा का ग्राहक सेवा केंद्र के कर्मचारी से लड़ताझगड़ता नजर आता है. यह स्थिति तब है जब कंपनी ईमानदार कस्टमर केयर सैंटर चला रही है वरना कई कंपनियों ने ग्राहक सेवा केंद्र को रिकौर्डेड लाइन से जोड़ा हुआ है और उन के उपभोक्ता को सेवाप्रतिनिधि खोज कर भी नहीं मिलते हैं. जिन कंपनियों के सेवा प्रतिनिधि मिलते हैं वे आप की कुछ सेवा नहीं कर सकते हैं. इसी तरह से औनलाइन खरीदारी के नए प्रचलन की नई समस्या है. सामान बुक कराए तो वह समय पर नहीं मिलेगा. कई वस्तुएं खराब निकलती हैं. इस की शिकायत कीजिए तो कोई सुनने वाला नहीं है. ईमेल कीजिए, उस का जवाब नहीं मिलता.

सरकार को उपभोक्ताओं के इस दर्द की खबर है इसलिए सरकार ने ई-कौमर्स कारोबार को ग्राहकों के हितार्थ करने के लिए इस के नियम और सख्त बनाने का निर्णय लिया है ताकि ग्राहकों की शिकायतों का आसानी से निदान हो सके. सरकार के पास फ्लिपकार्ट, माईऔफर जैसी करीब 4 दर्जन कंपनियों की शिकायतें आई हैं. ये ग्राहकों की शिकायत का जवाब नहीं देती हैं. वाणिज्य उद्योग मंत्री सीतारमण ने इस मामले को उपभोक्ता मामलों के मंत्री रामविलास पासवान के समक्ष रखा है और उन्होंने स्पष्ट किया है कि उपभोक्ताओं के संरक्षण के लिए उन कंपनियों की मनमानी पर नकेल कसी जाएगी. पर काम कब तक होगा,यह अनिश्चित है. लेकिन सरकार ई-कौमर्स उपभोक्ताओं की शिकायत दूर करने की योजना बना रही है, यह तय है.

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