वर्ष 2008 की वैश्विक मंदी के दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूती के साथ खड़ी रही, इस का पूरी दुनिया ने लोहा माना लेकिन सामान्य आदमी के लिए अर्थव्यवस्था का पैमाना शेयर सूचकांक बना रहा. सूचकांक उस दौर में मजबूती के साथ बढ़ता रहा और लोगों को धैर्य देता रहा कि देश आर्थिक स्तर पर मजबूत है जबकि शेयर सूचकांक का देश की अर्थव्यवस्था से कोई लेनादेना नहीं होता है. इस अवधि में 8 हजार अंक के आसपास रहने वाला सूचकांक अब 28,000 अंक के पार पहुंच चुका है.

बाजार में कई कंपनियों के शेयर आसमान छू रहे हैं लेकिन बाजार में सूचीबद्ध कई कंपनियों के शेयर 2-3 रुपए में भी चल रहे हैं जबकि इन के शेयर कम से कम 10 रुपए की दर पर बेचे गए थे. टाटा टी, आलोक इंडस्ट्रीज, जेपी पावर जैसी कई कंपनियों के शेयर मूल दर से बहुत कम दर पर चल रहे हैं और शेयरधारक निराश हैं. वहीं, कुछ कंपनियों के शेयर झूम रहे हैं और उन के शेयरधारक मजे लूट रहे हैं. बौंबे स्टौक एक्सचेंज में सूचीबद्ध कंपनियों की हकीकत यह है कि बाजार में सूचीबद्ध करीब 5,550कंपनियों में 3,250 के शेयर एक साल से 50 फीसदी से ज्यादा का कारोबार कर रहे हैं जबकि 856 कंपनियों के शेयर  फेस वैल्यू यानी कि 10 रुपए से कम की दर पर चल रहे हैं. बाजार में सूचीबद्ध करीब साढ़े 5 हजार कंपनियों में से शेयर बाजार की194 कंपनियों को सूची से हटा दिया गया है. उन सभी कंपनियों को पिछले 13 साल से कारोबार से बाहर रखा गया था.

बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड यानी सेबी ने कुछ और कड़े नियम बनाए हैं जिन के कारण करीब एक हजार कंपनियों के शेयरों की लंबे समय से खरीदफरोख्त नहीं हो पा रही थी लेकिन ये कंपनियां जल्द ही बाजार में शेयरों का कारोबार कर सकेंगी. आसमान छूते शेयर बाजारों में छोटे निवेशक ज्यादा परेशान हैं. कम पूंजी की वजह से छोटे शेयरों में पैसा लगा कर वे घर बैठ गए हैं.

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