जल्‍द ही आपको ई-मेल करने, ब्‍लॉग लिखने या कोई भी सामग्री डाउनलोड करने पर टैक्‍स देना होगा. सरकार ने एक ऐसा फैसला लिया है, जिसके भविष्‍य में कई परिणाम हो सकते हैं. सरकार ने एक स्‍पेशल ई-कॉमर्स लेवी लगाने की तैयारी कर ली है, जिसमें सामान्‍य ऑनलाइन गतिविधियों जैसे ई-मेल भेजने और प्राप्‍त करने, कोई सामग्री डाउनलोड करने और ब्‍लॉग लिखने पर टैक्‍स देना होगा.

सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्‍ट टैक्‍सेस (सीबीडीटी) द्वारा गठित एक विशेष कमेटी ने ऐसी 13 ऑनलाइन गतिविधयों को ई-कॉमर्स इंडस्‍ट्री के साथ जोड़कर इन पर 6-8 फीसदी टैक्‍स लगाने की सिफारिश की है. यदि सरकार इन सिफारिशों को मान लेती है, तो डिजिटल इंडिया पहल को एक बड़ा झटका लग सकता है.

सालों से ये सारी गतिविधियां फ्री रही हैं और अब इन पर टैक्‍स लगने से ये सेवाएं महंगी हो सकती हैं. ऐसे समय में जब उत्‍तराखंड, उत्‍तर प्रदेश, असम और अन्‍य राज्‍यों ने ई-कॉमर्स ट्रांजैक्‍शन पर अतिरिक्‍त टैक्‍स लगाया है, यह नया टैक्‍स एक बुरी खबर है.

नए टैक्‍स लगाने का यह है तर्क 

सीबीडीटी द्वारा गठित कमेटी ने ऑर्गेनाइजेशन फॉर इकोनॉमिक को-ऑपरेशन एंड डेवलपमेंट (ओईसीडी) की पारंपरिक गाइडलाइंस बेस इरोजन एंड प्रोफि‍ट शिफ्टिंग का इस्‍तेमाल करते हुए सरकार को डिजिटल गतिविधियों पर 6-8 फीसदी स्‍पेशल टैक्‍स लगाने की सिफारिश की है. इस टैक्‍स से डिजिटल विज्ञापनदाता और गूगल और फेसबुक जैसी डिजिटल विज्ञापन कंपनियों पर भारी बोझ पड़ेगा, सरकार इन पर 6 फीसदी इक्‍वालाइजेशन टैक्‍स लगाने जा रही है.

कौनसी डिजिटल गतिविधियां आएंगी टैक्‍स के दायरे में

स्‍पेशल कमेटी की सिफारिश के आधार पर निम्‍नलिखिल ऑनलाइन गतिविधियां टैक्‍स के दायरे में आएंगी:

– क्‍लाइंट्स के लिए वेबसाइट की डिजाइनिंग और डेवलपिंग (घरेलू और अंतरराष्‍ट्रीय)

– डिजिटल विज्ञापन

– टीवी/रेडिया विज्ञापन के लिए उपयोग होने वाले डिजिटल टूल्‍स/सॉफ्टवेयर

– विज्ञापन के लिए स्‍थान उपलबध कराने वाली वेबसाइट

– कमर्शियल गतिविधियों के लिए उपयोग होने वाले ई-मेल

– कमर्शियल उद्देश्‍य के लिए उपयोग होने वाला ऑनलाइन सामग्री

– ऑनलाइन कम्‍यूटिंग, ब्‍लॉगिंग, ऑनलाइन डाटा या डिजिटल माध्‍यम से जुड़ी अन्‍य गतिविधियां

– डिजिटल सामग्री के अपलोडिंग, शेयरिंग, स्‍टोरिंग या डिस्‍ट्रीब्‍यूशन से जुड़ी सर्विस

म्‍यूजिक/वीडियो डाउनलोडिंग

– इंटरनेट से गेम्‍स और सॉफ्टवेयर/टूल्‍स डाउनलोडिंग

– ऑनलाइन पेमेंट्स/वॉलेट्स सर्विस की सुविधा

अभी बना हुआ है संशय

हालांकि यहां अभी यह संशय बना हुआ है कि यह टैक्‍स बी2बी के लिए है या बी2सी के लिए. भारत में जिस लिहाज से बिजनेस करने का तरीका बदल रहा है, ऐसे में बी2बी और बी2सी के बीच की गतिविधियों में अंतर करना बड़ा मुश्किल है. इस संबंध में अभी और जानकारी आने का इंतजार है. सरकार अभी इन सिफारिशों पर विचार कर रही है और सरकार जल्‍द ही इसकी औपचारिक घोषणा करेगी.

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