दिल्ली के एक कोर्ट ने फेरा उल्लंघन मामले में कथित रूप से समन की तामील नहीं करने के लिए विजय माल्या के खिलाफ गैर जमानती वॉरंट जारी किया है. कोर्ट ने कहा, 'देश के कानून के प्रति माल्या में सम्मान की कमी है और भारत लौटने का कोई इरादा नहीं है.' अदालत ने यह भी कहा, ' माल्या का यह दावा गलत और प्रक्रिया का दुरुपयोग करने वाला है कि वह भारत लौटना चाहते हैं लेकिन उनका पासपोर्ट निरस्त कर दिया गया है.'

मौजूदा मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने माल्या के खिलाफ विदेशी विनिमय नियमन अधिनियम (FERA) के तहत एक मामला दर्ज किया था. एजेंसी ने फेरा के सेक्शन 40 के तहत माल्या को समन जारी किया था और एक जांच के संबंध में एजेंसी के सामने हाजिर होने का निर्देश दिया था. माल्या पर आरोप है कि लंदन स्थित बेनेटन फॉर्म्युला लि. के फ्लेवियो ब्रिटोर के साथ एक ट्रांजैक्शन के संबंध में उन्होंने फेरा रेग्युलेशन का उल्लंघन किया था. उसी मामले में यह जांच चल रही है.

ईडी का कहना है कि किंगफिशर ब्रैंड के विदेश में प्रमोशन के लिए लंदन स्थित बेनेटन फॉर्म्युला लि.के साथ दिसंबर 1995 में हुए एक करार के संबंध में माल्या को पूछताछ के लिए चार बार समन जारी किया गया है.

जब माल्या पूछताछ के लिए हाजिर नहीं हुए तो उनके खिलाफ यहां एक कोर्ट में 8 मार्च, 2016 को एक शिकायत दर्ज कराई गई और बाद में फेरा के तहत उन पर मामला दर्ज किया गया.

प्रवर्तन निदेशालय के अनुसार, माल्या ने कथित तौर पर 1996,1997 और 1998 में लंदन और कुछ अन्य यूरोपीय देशों में फॉर्म्युला वन वर्ल्ड चैंपियनशिप में किंगफिशर के लोगो को प्रदर्शित करने के लिए ब्रिटश कंपनी को 2,00,000 डॉलर यानी करीब 1.32 करोड़ रुपये का भुगतान किया था.

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