मुंबई की एक विशेष पीएमएलए (धनशोधन निरोधक अधिनियम) अदालत ने मंगलवार को बैंक ऋण धोखाधड़ी के एक कथित मामले में विजय माल्या को भगोड़ा घोषित किया . प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कोर्ट से माल्या को भगोड़ा घोषित करने का अनुरोध किया था.

विशेष न्यायधीश पी.आर. भावके ने अपने फैसले में कहा, ‘प्रवर्तन निदेशालय के आवेदन को अनुमति दी जाती है और विजय माल्या के खिलाफ फरमान जारी किया जाता है.’ प्रवर्तन निदेशालय ने सीआरपीसी की धारा 82 के तहत माल्या को भगोड़ा घोषित करने का अनुरोध करते हुए इस अदालत का रुख किया था. ईडी का कहना है कि माल्या के खिलाफ धन शोधन कानून (पीएमएलए) के तहत एक गैर-जमानती वारंट समेत ‘कई’ गिरफ्तारी वारंट लंबित हैं.

ईडी के मुताबिक, विभिन्न मामलों में माल्या के खिलाफ कई गिरफ्तारी वारंट लंबित हैं जिसमें से एक मामला चेक बाउंस होने का है और वह धन शोधन के एक मामले में भी वांछित है. जांच एजेन्सी ने इस अदालत को मामले में जांच की स्थिति के बारे में बताया और इस जांच में माल्या को शामिल करने की जरूरत पर बल दिया.

यदि अदालत के पास यह विश्वास करने का कारण है कि वह आरोपी जिसके खिलाफ गिरफ्तारी का वारंट जारी है, फरार है या खुद को छिपा रहा है जिससे इस तरह के वारंट को क्रियान्वित नहीं किया जा सके तो उस आरोपी को आपराधिक मामले की जांच में भगोड़ा अपराधी करार दिया जा सकता है.

सीआरपीसी की धारा 82 के मुताबिक, यह अदालत एक लिखित घोषणा कर सकती है जिसके अंतर्गत ऐसे आरोपी को एक निर्धारित जगह और एक निर्धारित समय पर पेश होना पड़ेगा. अधिकारियों ने कहा कि यदि माल्या धारा 82 के तहत शुरू की गई इस कार्यवाही का अनुपालन नहीं करते हैं तो इस एजेन्सी के पास सीआरपीसी धारा 83 (भगोड़ा व्यक्ति की संपत्ति कुर्क करना) के तहत कार्रवाई करने का भी विकल्प है.

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