देश की दिग्गज ई-कॉमर्स कंपनियों में बिक्री की रफ्तार कमजोर पड़ने लगी है. इसके लिए आप देश में ऑनलाइन शॉपिंग के लिए लोगों का रूझान कम होना कहेंगे या ई-कॉमर्स कंपनियों की ओर से दिए जाने वाले भारी डिस्काउंट पर सरकार की सख्ती का असर ? वजह जो भी हो लेकिन यह तय है कि भारत में ई-कॉमर्स इंडस्ट्री की ग्रोथ का पहिया अब धीमा पड़ने लगा है. बीते दो वर्षों से भारी डिस्काउंट की बदौलत जबरदस्त ब्रिकी और निवेशकों की ओर से हर दिन मिलती मोटी फंडिग के कारण ई-कॉमर्स इंडस्ट्री ने खूब सुर्खियों बटौरी. लेकिन पिछले 6 से 8 महीनों में ई-कॉमर्स सेक्टर की तस्वीर बदली है जिसके बाद तमाम बड़ी कंपनियों को भी नए निवेशक ढूंढने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

जीएमवी में गिरावट

2015 की तुलना में 2016 में ई-कॉमर्स कंपनियों की बिक्री अनुमान से कम रही. बीते साल जहां मई में बड़ी ई-कॉमर्स कंपनियों की कुल ग्रॉस मर्चेंडाइस वैल्यु (जीएमवी) 900 करोड़ डॉलर के करीब रही, वहीं इस साल यह आंकड़ा करीब 1000 करोड़ डॉलर का है. आंकड़ों के लिहाज से ब्रिकी की ग्रोथ रेट सालाना 11 फीसदी रही, जो इंडस्ट्री के अनुमान से काफी कम है

दिग्गज कंपनियों का निकला दम

आंकड़ों के मुताबिक देश की सबसे बड़ी ई-कॉमर्स कंपनी फ्लिपकार्ट का जीएमवी पिछले साल की तरह इस साल भी बिना किसी ग्रोथ के 400 करोड़ डॉलर पर स्थिर रहा. जबकि इससे एक साल पहले कंपनी ने 400 फीसदी की ग्रोथ दर्ज की थी.

अमेजन के इस साल जीएमवी कुछ सुधरते दिखे. पिछले साल कंपनी ने कुल 100 करोड़ डॉलर की बिक्री की थी, जबकि इस साल यह आंकड़ा 270 करोड़ डॉलर के करीब है. अमेजन अमेरिकी कंपनी है, जिसने महज 3 साल पहले ही भारत में अपना कारोबार शुरू किया है. अमेजन को बेस पिछले साल छोटा होने की वजह से आंकड़ों में ग्रोथ दिख रही है.

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