देश में नोटबंदी की घोषणा के बाद स्वाभाविक रूप से शेयर बाजार पर इस का विपरीत असर रहा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 8 नवंबर को अचानक की गई नोटबंदी की घोषणा का बौंबे स्टौक ऐक्सचेंज सूचकांक पर जबरदस्त असर रहा. सूचकांक झूले की तरह झूलता रहा और कई बार तो 600 अंक तक की भारी गिरावट पर बंद हुआ. रुपया भी इस दौरान रिकौर्ड स्तर तक गिरा और यह 69 रुपए प्रति डौलर के स्तर तक पहुंच गया. इन सब स्थितियों के बावजूद बाजार में अचानक कई बार तेजी देखी गई और 22नवंबर को सूचकांक लगातार हर दिन की गिरावट से तेजी पर बंद हुआ.
इस के अगले दिन भी बाजार में यही सिलसिला जारी रहा. हालांकि सूचकांक इस दौरान बढ़त पर ज्यादा देर तक टिक नहीं सका और गिरावट का रुख कर गया. फिर भी बाजार 26,000 अंक के मनोवैज्ञानिक स्तर के आसपास ही बना रहा. वैश्विक बाजारों का भी इस दौरान रुझान अमेरिका में नए राष्ट्रपति के विरुद्ध कई जगह हुए प्रदर्शनों के कारण तथा उन की नीतियों को ले कर अटकलों की वजह से बाजार अस्थिर रहे. इस दौरान 30 शेयरों वाले नैशनल स्टौक एक्सचेंज यानी निफ्टी में भी गिरावट का रुख रहा. बाजार पर टाटा समूह के अध्यक्ष साइरस पालोनजी मिस्त्री को हटाए जाने की घोषणा का भी प्रभाव रहा.
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