बेंगलुरु के एक एटीएम पर महिला के साथ हुई हिंसा की घटना के बाद बैंकों पर एटीएम की सुरक्षा के लिए सुरक्षा गार्ड नियुक्त करने का दबाव बढ़ा तो बैंकों में खलबली मच गई है. देशभर में फैले करीब डेढ़ लाख एटीएम के लिए सुरक्षा गार्ड की व्यवस्था पर बैंकों को भारी पैसा खर्च करना पड़ रहा है. बैंकों को इस अतिरिक्त खर्च से बचाने के लिए भारतीय बैंक संघ यानी आईबीए ने रिजर्व बैंक को दूसरे बैंकों के एटीएम इस्तेमाल करने पर शुल्क लगाने का सुझाव दिया है.
फिलहाल यह सुझाव शहरी क्षेत्र के बैंकों के लिए है लेकिन बाद में यह व्यवस्था छोटे शहरों और ग्रामीण इलाकों में भी लाई जा सकती है. छोटी जगह पर ग्राहकों के लिए बैंक और एटीएम ही नहीं हैं. अगर हैं तो उन की संख्या बहुत कम है. ऐसे में यदि दूसरे बैंक के एटीएम से पैसा निकालने पर शुल्क लगाने की बात है तो यह निश्चित रूप से अच्छा सुझाव नहीं है. दूसरे बैंक के एटीएम से माह में 5 से अधिक बार पैसा निकाला जाता है तो बैंक प्रति निकासी पर 20 रुपए शुल्क लेता है, अब यदि प्रत्येक निकासी पर शुल्क का प्रावधान होता है तो यह ग्राहकों को परेशान करने वाला फैसला होगा. इस से बेहतर होता कि बैंक तालमेल से स्थानों का चयन कर के मिल कर एटीएम लगाएं और मिल कर उस के रखरखाव की व्यवस्था करें. कुछ एटीएम कई दिनों तक खराब पड़े रहते हैं, उन में पैसा नहीं होता है. कुछ स्थानों पर एक साथ कई बैंकों के एटीएम हैं लेकिन उन की परवा किसी को नहीं है. छोटे शहरों, कसबों और ग्रामीण क्षेत्रों में तो हालत खराब ही है.