कीमती धातु सोने को ले कर पिछले दिनों देश में खूब बवाल मचा रहा. सरकार के साथसाथ पूरी आबादी सोनासोना ही गाती रही. एक साधु का सपना सरकार के लिए भी सपना बन गया. एक वीरान पड़े राजमहल में कथित रूप से गड़े सोने के लिए सरकार की देखरेख में खुदाई शुरू हुई.
इसी बीच एक शोध सामने आया और फिर पूरी दुनिया ही सोनासोना गाने लगी. इस शोध ने हमारे प्रधानमंत्री के ‘पैसा पेड़ पर नहीं उगता’ वाले चर्चित बयान को ताजा कर दिया. यह शोध आस्टे्रलिया में हुआ है. शोध प्रतिष्ठित जर्नल नैचुरल कम्युनिकेशंस में प्रकाशित हुआ जिस में राष्ट्रमंडल औद्योगिक और वैज्ञानिक अनुसंधान संगठन यानी सीएसआईआरओ के वैज्ञानिकों ने पाया कि पश्चिमी क्षेत्र में उगने वाले यूकेलिप्टस पेड़ों की पत्तियों पर स्वर्णकण मौजूद हैं. इस शोध ने जमीन के नीचे सोने की खान की अवधारणा को ही जैसे बदल दिया.
वैज्ञानिकों ने यह शोध वर्ष 1800 के आसपास सोने के भंडार के रूप में चर्चित रहे पश्चिमी आस्ट्रेलिया के कलगूर्ली क्षेत्र में किया. शोधकर्ता भूरासायनिक वैज्ञानिक मेल लिंटर्न ने लिखा कि यह पेड़ जमीन के नीचे 30 मीटर यानी करीब 100 फुट की दूरी से सोने के कणों को खींचता है और उसे अपनी पत्तियों में स्थान देता है. उन का कहना है कि यूकेलिप्टस पानी के पंप की तरह काम करता है और अपनी जड़ों से सोने के कणों को पत्तियों तक पहुंचाता है. पत्तियों में हालांकि सोने के कणों की मात्रा बहुत कम पाई गई है लेकिन इस शोध ने ‘पेड़ पर भी सोना मिलता है’ की नई अवधारणा को जन्म दिया है.
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